अजीर्ण या भोजन हजम न होना एक आम स्वास्थ्य समस्या है जो लोगों को पेट की तकलीफ, अनियमितता, और अस्वस्थता का सामना करने पर मजबूर करती है। यह समस्या भोजन के पाचन में समस्या के कारण होती है, जिससे खाया गया भोजन सही तरीके से पाच नहीं पाता है। अजीर्ण के कारण और लक्षण व्यक्ति से व्यक्ति भिन्न हो सकते हैं, लेकिन इसके सबसे सामान्य लक्षणों में पेट में गैस, अपच, उल्टी, और पेट में तकलीफ शामिल होती हैं।
अजीर्ण के कारणों में अनुशासित आहार, अपच, तनाव और स्ट्रेस, अनियमित भोजन, और अधिक दवाओं का सेवन शामिल हो सकते हैं। इस समस्या का समाधान करने के लिए सही आहार, योग, और नियमित व्यायाम की आवश्यकता होती है। यहां हम अजीर्ण के प्रमुख कारणों पर ध्यान केंद्रित करेंगे और उनके संभावित उपचार की चर्चा करेंगे, जिससे आप इस समस्या से राहत पा सकें।
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अजीर्ण की उत्पत्ति
अजीर्ण का अर्थ है-खाना-पीना ठीक से न पचना। इसे ‘अग्निमांद्य’ तथा ‘मन्दाग्नि’ भी कहते हैं। यह रोग चिकने पदार्थ खाने, दिन में सोने तथा रात में जागने आदि के कारण हो जाता है। इसके अलावा समय-कुसमय भोजन करने, खाद्य पदार्थों को अच्छी तरह चबाए बगैर ही निगल जाने, तम्बाकू खाने, चाय-शराब का अधिक सेवन करने, खटाई, अचार, खट्टी चीजें खाने, दूषित वातावरण में रहने, कमर में कसकर वस्त्र बांधने, शरीर में खून की कमी, ईर्ष्या द्वेष, भय, क्रोध आदि के कारण अजीर्ण तीव्र गति से होता है।
अजीर्ण के लक्षण
इस रोग में भूख नहीं लगती, खट्टी-खट्टी डकारें आती हैं तथा सिर में भारीपन रहता है। कभी-कभी चक्कर आते हैं। जी मिचलाना, पेट फूलना, दिल की धड़कन बढ़ना, मुंह में पानी भर आना, खाने-पीने की इच्छा न होना आदि लक्षण दिखाई देते हैं। कब्ज, बदहजमी, सुस्ती, शरीर में भारीपन, जोभ पर मैल आदि की शिकायतें हो जाती हैं। यदि रोग पुराना हो जाए तो पेट में वायु की गुड़गुड़ाहट होती है। शारीरिक वजन कम हो जाता है।
उपचार
1 . घरेलू उपचार
- नीबू के रस में जायफल घिसकर चाटें।
- दालचीनी, सोंठ तथा लाल इलायची तीनों को बराबर की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इसे भोजन से पहले 2 ग्राम की मात्रा में लें।
- पिसा हुआ सूखा धनिया 3 ग्राम तथा सोंठ का चूर्ण 3 ग्राम दोनों को 100 ग्राम गरम पानी के साथ लें।
- सेंधा नमक, सोंठ तथा हरीतिकी- तीनों चीजें बराबर की मात्रा मैं लेकर चूर्ण बना लें। दोनों समय 3-3 ग्राम चूर्ण ताजे पानी के साथ लें।
- पीपल (पिप्पली) का चूर्ण 3 ग्राम प्रतिदिन शहद के साथ सेवन करें।
- छोटी हरड़ को घी में भूनकर काले नमक के साथ पीस लें। 2 चुटकी चूर्ण नित्य दो बार पानी से खाएं। काला जीरा, राई तथा गुड़-तीनों बराबर की मात्रा में पीसकर बेर के बराबर गोलियां बना लें। एक-एक गोली सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करें।
- आधा चम्मच पपीते के रस में जरा-सी चीनी मिलाकर लेने से अजीर्ण खत्म हो जाता है।
- दो चम्मच प्याज के रस में जरा-सा काला नमक मिलाकर सुबह के समय ग्रहण करें।
- मूली का रस आधा चम्मच, नीबू का रस आधा चम्मच, सेंधा नमक 1 चुटकी, कालीमिर्च चार और अजवायन का चूर्ण 2 चुटकी-सबको मिलाकर भोजन के बाद खाएं। दो लौंग, दो हरड़ तथा 2 चुटकी काला नमक- इन तीनों को एक कप पानी में औटाएं। जब पानी आधा कप रह जाए तो काढ़े को छानकर पी लें।
- तीन दाने कालीमिर्च, तीन लौंग और तीस नीम की कलियां- तीनों को पीसकर जरा-सी शक्कर मिलाकर सुबह-शाम 15 दिनों तक सेवन करें।
- अजीर्ण रोग में पपीते का रस काफी लाभदायक सिद्ध होता है
- दो चम्मच जीरा को एक कप पानी में उबालकर पी जाएं।
- एक चम्मच अदरक के रस में थोड़ा-सा नीबू का रस मिलाकर पीने से अजीर्ण खत्म हो जाता है।
- जामुन की छाल का भस्म आधा चम्मच की मात्रा में शहद के साथ सुबह के समय चाटें।
- अदरक, कालीमिर्च, अनारदाना, काला नमक और दालचीनी 10-10 ग्राम तथा जरा-सी हींग-इन सबको मिलाकर सेवन करें।
- पके हुए बेल का शरबत लगभग 20 दिनों तक पीने से अजीर्ण का रोग जाता रहता है। आधा कप अनन्नास के रस में थोड़ा सा काला नमक डालकर सेवन करें।
- अदरक के रस में 2 चुटकी पिसा जीरा और शहद मिलाकर पिएं।
- 25 ग्राम अजवायन, तीन छोटी हरड़ तथा । तोला भुनी हींग तीनों का चूर्ण बनाकर पानी के साथ लें।
- दो गांठ लहसुन छीलकर पीस डालें। फिर उसमें 1 चुटकी काला नमक, आधी चुटकी पिसी हुई हींग और आधा चम्मच सूखे पुदीने का चूर्ण मिलाकर सेवन करें।
- दो चम्मच काले तिल पीस लें। फिर उसमें एक चम्मच शहद मिलाकर खाएं।
2 . आयुर्वेदिक उपचार
- सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, अजवायन, सेंधा नमक, सादा जीरा तथा काला जीरा-सब 10-10 ग्राम पीसकर चूर्ण बना लें। आधा चम्मच चूर्ण घी के साथ सेवन करें।
- अजमोद, बायबिडंग, सेंधा नमक, देवदारु, चित्रक जड़ की छाल, पौपरामूल, पीपल, सौंफ तथा कालीमिर्च 10-10 ग्राम, बड़ी हरड़ 50 ग्राम, विधारा और सोंठ 100-100 ग्राम सबको पीसकर 200 ग्राम गुड़ मिलाकर बेर के बराबर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। एक गोली सुबह दूध के साथ लें।
- मुलहठी का चूर्ण 100 ग्राम, सोंठ का चूर्ण 10 ग्राम और गुलाब के सूखे फूल 5 ग्राम-तीनों को एक कप पानी में डालकर उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो उतारकर छान लें। रात को गुनगुना करके पी जाएं।
- अजवायन, बायबिडंग, निसोथ, सौंफ, काला नमक तथा छोटी हरड़ 10-10 ग्राम, काला दाना 50 ग्राम और सनाय 35 ग्राम-सबको पीसकर रख लें। रात को सोते समय एक चम्मच चूर्ण पानी के साथ खाएं।
- सनाय की पत्ती डंठल रहित 50 ग्राम, सौंफ 100 ग्राम और बूरा 200 ग्राम तीनों को पीसकर चूर्ण बना लें। एक चम्मच चूर्ण गुनगुने पानी से सेवन करें।
- त्रिफला 300 ग्राम, काला नमक 150 ग्राम, सनाय 100 ग्राम, अजवायन 100 ग्राम तथा काला नमक 100 ग्राम लें। सबसे पहले अजवायन को तवे पर हल्का भून लें। फिर सभी चीजों को कूट-पीसकर चूर्ण बनाएं। एक चम्मच चूर्ण ठंडे पानी से सेवन करें।
- शंख भस्म 1 ग्राम और सोंठ का चूर्ण 1 ग्राम दोनों को शहद में मिलाकर तीन-चार बार चाटने से अजीर्ण का रोग जाता रहता है।
3 . जड़ी-बूटी उपचार
- जामुन के जड़ की छाल सुखाकर उसका चूर्ण बना लें। आधा चम्मच चूर्ण शहद के साथ सेवन करें। चार नग पीपल के फल (गूलर) लेकर काले नमक के साथ खाएं।
- दूब घास 2 ग्राम, नीम की कलियां दस तथा सदाबहार की पत्तियां पांच-इन सबको पीसकर चटनी बना लें। यह चटनी नित्य इतनी ही मात्रा में 20-25 दिनों तक सेवन करें।
- बबूल की छाल और नीम की छाल-दोनों को सुखाकर चूर्ण बना लें। 3 ग्राम चूर्ण शहद के साथ चाटें।
- अनार का छिलका, नींबू का छिलका तथा पपीते का छिलका- तीनों को सुखाकर चूर्ण बना लें। प्रतिदिन 3 ग्राम चूर्ण शहद के साथ सेवन करें।
4 . प्राकृतिक उपचार
- पेट तथा पेड़ पर मिट्टी की पट्टी बांधे। जब मिट्टी सूख जाए तो उसे बदल दें। कटि स्नान करें। पीठ पर 3 मिनट तक धार बांधकर पानी छोड़ें।
- कटि स्नान : अजीर्ण रोग का अचूक उपचार
- उपवास करें तथा प्रातःकाल एनिमा लें। एनिमा के लिए किसी योग्य चिकित्सक की सहायता लें।
- उपवास के बाद संतरे, मीठे अंगूर या अनार का रस 100 ग्राम की मात्रा में घूंट-घूंट पिएं।
- गरम पानी में आधा नीबू का रस निचोड़कर कुछ दिनों तक नित्य पिएं।
5 . होमियोपैथिक उपचार
- खाई हुई चीजें पेट में बिना पचे जमी रहें लेकिन वमन न हो, अतिसार, कलेजे में जलन, पेट में तनाव, वायु के कारण दर्द, पेट फूले, मुंह में पानी आए, बार-बार डकारें, पेट में गुड़गुड़ाहट हो तथा अधोवायु का निष्कासन होने पर पल्सेटिला 2, 30 या 200 लें।
- पुराने अजीर्ण रोग में खट्टी डकारें आने तथा बार-बार भूख लगने आदि लक्षणों में फॉस्फोरस 6 लें। यदि काफी दिनों तक चाय-कॉफी पीने से अजीर्ण रोग हो तो मर्क सोल 3 दें।
- यदि रक्ताल्पता के कारण अजीर्ण हो तो अर्जेंटम नाइट्रिकम 30 का सेवन कराएं।
- पुराने अजीर्ण रोग में जब कोई चीज न पचती हो तो हिपर सल्फ 6 लें।
- बहुत पुराना अजीर्ण रोग, खट्टी डकारें और पेट में भारीपन हो तो सवेरे सल्फर 30 और शाम को नकार
- वोमिका 30 का सेवन करें। जीभ मैली, कड़वा स्वाद, खाने के बाद वमन, पतले दस्त, मुंह में लेसदार लार, सिर दर्द, भूख में कमी,
- कमजोरी आदि लक्षणों में एपिफेगस 3 या 30 दें।
- यदि भारी पदार्थों को खाने के कारण अजीर्ण हो तो एलन्सरूय मूलार्क 6 लें।
- थोड़ा-सा खाने के बाद पेट में भारीपन, पाकस्थली में जलन एवं पुराना अजीर्ण होने पर फेरम आयोड 3 का सेवन करें।
- पेट फूले, दुर्गंध से पूर्ण खट्टी डकारें, कब्ज, पतले दस्त, आंव आदि लक्षणों में हाइड्रैस्टिस 30 लें। पाचन शक्ति की कमजोरी, कोई भी चीज अच्छी तरह हजम न हो, सावधानी से खाना खाने के बाद भी पेट खराब रहे, मुंह का स्वाद खट्टा, पेट में मरोड़, कुछ खा लेने पर पेट में दर्द हो तो हिपर सल्फ 3, 30 या 200 लें।
6 . चुम्बक उपचार
- नाभि या उससे कुछ ऊपर शक्तिशाली चुम्बक लगाएं।
- चुम्बक का उत्तरी ध्रुव 20-30 मिनट तक रखें।
- चुम्बक सुबह-शाम दो बार लगाएं।
- चुम्बक से प्रभावित जल दिन में चार बार पिएं।
महत्वपूर्ण निर्देश –
हालाकि हमने ऊपर सभी तरह कि दवाइयों के बारे मे बताया है लेकिन अगर आप नीचे दिए गए निर्देशों को पालन करते है तो आपको अजीर्ण कि समस्या नहीं होगी और आप स्वास्थ्य रहेंगे –
- भोजन से पहले सिरके की चटनी, अदरक का मुरब्बा या पुदीने की चटनी खिलाएं।
- कच्चे नारियल की गिरी, नारियल का जल, चोकर की रोटी, पुराने चावल का ताजा भात तथा कच्चे
- पपीते की सब्जी खाएं। पके फलों, हरी सब्जियों, मेवा तथा दूध का सेवन उचित मात्रा में करें।
- रोगी को मानसिक डर, उत्तेजना, क्रोध, शोक, चिन्ता आदि से दूर रखें। उसे यथासंभव शान्त चित्त रहना चाहिए। यदि पेट में भारीपन मालूम पड़े तो खाना न खाएं।
- सुबह-शाम टहलें या हल्का व्यायाम करें।
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