पेट का फूलना, जिसे अफरा रोग भी कहा जाता है, एक सामान्य लेकिन परेशान करने वाली स्वास्थ्य समस्या है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब पेट में गैस का असामान्य रूप से संचय हो जाता है, जिससे पेट फूल जाता है और असहजता होती है। अफरा रोग के कारण विभिन्न हो सकते हैं, जैसे कि आहार की गलत आदतें, पाचन तंत्र की गड़बड़ी, या कुछ विशेष खाद्य पदार्थों के प्रति संवेदनशीलता। इस ब्लॉग में हम पेट के फूलने के कारणों, लक्षणों और इसके उपचार के विभिन्न उपायों पर विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे, जिससे आप इस समस्या को समझ सकें और इससे निजात पाने के प्रभावी तरीके अपना सकें।
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पेट का फूलना का कारण (flatulence causes)
अजीर्ण, मन्दाग्नि तथा अतिसार के कारण पेट में वायु भर जाती है और पेट फूल जाता है। इसी को ‘अफर’ कहते हैं। इसमें पेट के भीतर वायु भरने के बाद रुक जाती है। अनियमित भोजन, भूख से अधिक चीजें खाने आमाशय में सूजन, पित्त के कारण अजीर्ण, आमाशय का फैलना, मानसिक अशान्ति, आमाशय की दीवार को कमजोरी, हाजमा ठीक न होने आदि कारणों से प्रायः पेट फूल जाता है।
पेट का फूलना के लक्षण (flatulence symptoms)
अफरा या आध्मान रोग में रोगी को बेचैनी होती है, जी घबराता है तथा सांस लेने में तकलीफ होती है। पेट की नसें फूल जाती हैं। कब्ज हो जाता है। छाती में जलन, हृदय तक वायु का भारीपन, सिर दर्द, सिर चकराना, नाड़ो दुर्बलता आदि के लक्षण दिखाई देते हैं। वायु ऊपर या नीचे से निकल जाने पर रोगी को कुछ शान्ति मिलती है।
निदान
1. पेट के फूलने के 10 घरेलू उपाय
- अमरबेल (आकाशवेल) को पीसकर पेट पर लेप करने से अफरा तुरन्त शान्त हो जाता है। वायु डकारों अथवा अपान द्वारा निकल जाती है।
- 2 ग्राम राई को शक्कर के साथ खिलाएं। ऊपर से 50 ग्राम जल में जरा-सा चूना घोलकर रोगी को पिला दें। आध्मान(अफरा) का रोग ठीक हो जाएगा।
- 1 रत्ती हींग पानी से निगल लें। अपान वायु खारिज होने लगेगी।
- हीरा हींग पानी में घोलकर नाभि तथा पेट पर मलें।
- एरंड के तेल में जरा-सा देशी घी मिलाकर पेट पर मालिश करें। गेहूं की भूसी तथा जरा-सा सेंधा नमक-दोनों को पोटली में बांध लें। इस पोटली को तवे पर बार-बार गरम करके पेट पर सेंक करें।
- सोंठ के काढ़े में एक चम्मच एरंड का तेल मिलाकर पिलाएं।
- अफरा में छोटी इलायची तथा हींग रामबाण सिद्ध होती है
- 4 रत्ती बच का चूर्ण तथा 8 रत्ती सौंफ का चूर्ण-दोनों को मिलाकर पानी के साथ सेवन करें। नीबू के रस में जायफल घिसकर चाटने से पेट का दर्द तथा अफरा जाता रहता है।
- तारपीन के तेल में थोड़ा-सा एरंड का तेल डालकर पेट पर मालिश करें। तारपीन के तेल का प्रयोग अकेले नहीं करना चाहिए।
- आधा चम्मच अजवायन, एक छोटी हरड़, 1 चुटकी सेंधा नमक तथा आधी चुटकी हींग-इन सबको पीसकर गुनगुने जल के साथ सेवन करें।
- प्याज के दो चम्मच रस में जरा-सा नमक और जरा-सी हींग मिलाकर प्रयोग करें।
- मूली के रस में जरा-सी हींग मिलाकर ग्रहण करें।
- सेंधा नमक, अदरक तथा नीबू-इन तीनों को मिलाकर लेने से पेट का दर्द रुक जाता है तथा वायु खारिज होने लगती है।
- पीपल और सोंठ-दोनों को बराबर की मात्रा में लेकर जरा-सा गुड़ मिलाकर खाएं।
- एक चम्मच मेथी के दाने तथा दो कालीमिर्च- दोनों को मिलाकर पीस लें। फिर इस चूर्ण की फंकी लगाकर ऊपर से गुनगुना पानी पी जाएं।
2. आयुर्वेदिक उपचार
- काला जीरा, सहिजन की जड़, चीता की जड़, सेंधा नमक तथा पीपल इन सबको बराबर की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। एक चम्मच चूर्ण खाकर ऊपर से जल पी लें।
- पीपल, सोंठ तथा अजवायन तीनों समान मात्रा में लेकर उसमें 1 रत्ती हींग और जरा-सा काला नमक मिलाकर चूर्ण बना लें। प्रतिदिन सुबह एक चम्मच चूर्ण खाकर ऊपर से जल पी लें।
- 10 ग्राम निसोथ, 3 ग्राम पीपल, 10 ग्राम खांड़, 10 ग्राम अजवायन, 3 रत्ती हींग तथा 2 रत्ती कपूर-सबको कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। एक-एक चम्मच चूर्ण सुबह-शाम जल के साथ लें। दो दिनों तक इसे निरंतर लेने से अफरा की शिकायत सदा के लिए दूर हो जाएगी।
- सोंठ, कालीमिर्च, बड़ी हरड़ का छिलका, अनारदाना, काला नमक, चीता को जड़ तथा भुनी हींग- सब 10-10 ग्राम लेकर चूर्ण बना लें। अफरा होने पर एक चम्मच चूर्ण पानी के साथ सेवन करें
- तेजपात, नागकेसर, धनिया, तालीसपत्र, विडनीन, काला जीरा, पीपल, पीपरामूल, सेंधा नमक और अमरबेल 10-10 ग्राम तथा सोंठ, कालीमिर्च, जीरा एवं तज 5-5 ग्राम सबको कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। सुबह ताजे पानी से एक चम्मच चूर्ण खाकर थोड़ी देर टहलें। वायु निकलना शुरू हो जाएगी।
- 1 तोला असगंध को गोमूत्र में पीसकर पी जाएं। वायु निकलने लगेगी। चव्य और सोंठ दोनों आधा-आधा चम्मच लेकर गोमूत्र में पीसकर खा जाएं। ऊपर से पानी पी लें।
3. जड़ी-बूटी उपचार
- बहेड़े की चार पत्तियों को पीसकर उसमें जरा-सा काला नमक मिलाकर खाएं। वायु खारिज होने लगेगी। बेल के पेड़ की चार पत्तियां पीस डालें। फिर उसमें जरा-सा नमक मिलाकर खाएं।
- पीपल के वृक्ष के चार फल पानी के साथ निगलकर ऊपर से चार कलियां चबाकर खा लें।
- नीबू के दो पत्ते, तुलसी के पौधे की जड़ 3 ग्राम तथा नारंगी के पेड़ की दो कलियां (नई पत्तियां)- इन सबको पीसकर चटनी बना लें। फिर उसमें जरा-सा सेंधा नमक डालकर सेवन करें। अफरा ठीक हो जाएगा।
- एरंड के पौधे का पांच कच्चा फल (ककरी) पौस डालें। फिर उसमें जरा-सा सेंधा नमक मिलाकर खाएं। पीपल की छाल पानी में घिसकर पेट पर लेप करें।
- बेल की पत्तियों में नमक मिलाकर सेवन करने से आध्मान दूर होता है
- चार पत्तियां पालक, चार पत्तियां नीम और चार पत्तियां चौलाई तीनों को पीस लें। फिर उसमें जरा-सा नमक मिलाकर सेवन करें।
4. प्राकृतिक उपचार
- पेट पर पीली मिट्टी का लेप लगाकर ऊपर से पट्टी बांधे।
- रीढ़ की हड्डी के पास पानी की धार छोड़ते हुए मालिश करें।
- काली मिट्टी में नीबू-पानी मिलाकर धीरे-धीरे पैर के तलवों पर लेप लगाएं। लेप पानी से तर करते रहें। एक घंटा बाद उसे छुटा दें। पेट की गर्मी शान्त होगी। वायु खारिज होकर अफरा दूर हो जाएगा।
5. होमियोपैथिक उपचार
- पेट में वायु बने, पेट फूले, हाजमा खराब हो, पेट में दर्द हो, गैस खारिज न हो आदि लक्षणों में हिपर सल्फ 3, 30 या 200 दें।
- वायु के कारण पेट फूले, खट्टी तथा फीकी डकारें, मिचली, वायु गले तक आए, भोजन से अरुचि, अफरा के कारण बेचैनी आदि लक्षणों में सीपिया 3, 30 या 200 दें।
- कभी पेट फूले कभी पिचक जाए, तेज अफरा, दुर्गंधित खट्टी डकारें, कभी कब्ज़ तो कभी पतले दस्त, पेट गुड़गुड़ाहट आदि लक्षणों में हाइड्रैस्टिस 30 दें।
- पेट फूले, भारीपन, सांस लेने में कष्ट तथा बार-बार डकारें आएं आदि लक्षणों में फेरम आयोड 3 विचूर्ण वा 30 का सेवन करें।
- खट्टी डकारें, पेट फूले, पेट में जलन-दर्द, अफरा, वायु निकलने में कष्ट, गले में जलन, कभी-कभी वमन, मुंह में पानी आए आदि लक्षणों में लाइकोपोडियम 3, 6, 30 या 200 दें।
- पेट फूले, छाती में जलन, अफरा, जी मिचलाए, बार-बार वायु नीचे की ओर बढ़े किन्तु खारिज न हो, कब्ज तथा दस्त आदि लक्षणों में फेरम सियानेटम 6 या 30 दें।
- पेट फूले, वायु की गुड़गुड़ाहट, डकारें, जबरदस्त अफरा, पेट में अधिक वायु भरने के कारण डकार लेने में कष्ट आदि लक्षणों में चायना मूलार्क 6, 30 या 200 लें।
- बूढ़ों को भोजन के बाद अफरा, वायु बने, पेट में दर्द, पेट फूले, भयंकर अफरा आदि लक्षणों में नक्स मस्केटा 6 या 200 का उपयोग करें।
- पेट फूले, पेट में दर्द, ऐंठन, अफरा, कब्ज, पेट में वायु भर जाए, उबकाई आए, गरम पानी पीने से आराम आदि लक्षणों में नक्स वोमिका 2, 6, 30 या 200 लें।
- डकारें, अफरा, पेट में वायु, बेचैनी, सांस ऊपर को चले आदि लक्षणों में एसिड फ्लोर 6 दें।
- यदि वायु भरने के बाद नीचे की ओर पहुंचकर खारिज न हो तो कार्बोवेज 6 लें।
- तलपट में जबरदस्त अफरा तथा बार-बार डकारें आने पर लैकेसिस 6 या कैमोमिला दें।
नोट : यदि आपको अफरा रोग लंबे समय तक बनी रहती है या गंभीर है, तो डॉक्टर से सलाह लेना उचित होगा। वे सही उपचार और सलाह प्रदान कर सकते हैं।
महत्वपूर्ण निर्देश –
हालाकि हमने ऊपर सभी तरह कि दवाइयों के बारे मे बताया है लेकिन अगर आप नीचे दिए गए निर्देशों को पालन करते है तो आपको निश्चित ही अफरा रोग कि समस्या नहीं होगी और आप स्वास्थ्य रहेंगे –
- सादा-सुपाच्य भोजन, मूंग की दाल की पतली खिचड़ी छाछ या दही के साथ, बिस्कुट तथा पतला दूध रोगी को दें।
- पालक, चौलाई, तरोई, लौकी, परवल, टिण्डा, मूली और गाजर की सब्जियां कम घी में छींककर खाएं।
- मिर्च-मसालेदार चीजें, वायु बनाने वाले पदार्थ- गोभी, चने, भिण्डी, मिस्से की रोटी आदि न दें।
- चाय, लहसुन, प्याज, घुड़यां, आलू आदि न खाएं। सुबह उठकर कुल्ला करने के बाद दो गिलास पानी पिएं। नित्य सुबह टहलने का कार्यक्रम बनाएं।
पेट का फूलना मे अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- पेट का फूलना (अफरा) क्या है?
पेट का फूलना, जिसे अफरा भी कहते हैं, एक सामान्य पाचन समस्या है जिसमें पेट में गैस जमा हो जाती है जिससे पेट फूलने और असुविधा का अनुभव होता है। - पेट का फूलना किन कारणों से होता है?
अफरा के प्रमुख कारणों में शामिल हैं:
1.अत्यधिक वायु निगलना
2.भारी, तली-भुनी या मसालेदार खाने का सेवन
3.कार्बोनेटेड पेय पदार्थ
4.जल्दी-जल्दी खाना
5.पाचन संबंधी विकार जैसे इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) या लेक्टोज इंटॉलेरेंस - पेट के फूलने के लक्षण क्या हैं?
अफरा के लक्षणों में शामिल हैं:
1.पेट में फूला हुआ और भारीपन महसूस होना
2.पेट में दर्द या ऐंठन
3.गैस पास होना
4.डकार आना - पेट के फूलने से बचने के लिए क्या करना चाहिए?
1.धीरे-धीरे और अच्छी तरह चबाकर खाना खाएं।
2.तली-भुनी और मसालेदार चीज़ों से परहेज करें।
3.कार्बोनेटेड पेय पदार्थों का सेवन कम करें।
4.नियमित व्यायाम करें।
5.तनाव कम करने के तरीके अपनाएं। - अफरा होने पर तुरंत राहत के लिए क्या करें?
1.गर्म पानी पिएं।
2.अजवाइन या सौंफ चबाएं।
3.हींग और काला नमक का सेवन करें।
4.पेट की हल्की मालिश करें। - क्या पेट का फूलना किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है?
अधिकांश मामलों में पेट का फूलना सामान्य होता है, लेकिन यदि यह लंबे समय तक बना रहे या इसके साथ अन्य गंभीर लक्षण (जैसे अत्यधिक दर्द, वजन में कमी, खून की उल्टी या मल में खून) हों, तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। - क्या घरेलू उपचार अफरा के लिए प्रभावी हैं?
हाँ, कई घरेलू उपचार जैसे अजवाइन, सौंफ, हींग और अदरक का सेवन पेट के फूलने में राहत दिला सकते हैं। लेकिन यदि समस्या लगातार बनी रहती है, तो चिकित्सा सलाह आवश्यक है। - क्या आयुर्वेदिक उपचार अफरा के लिए लाभदायक हैं?
आयुर्वेद में कई औषधियाँ और उपचार हैं जो पेट के फूलने में लाभदायक हो सकते हैं, जैसे त्रिफला, अजवाइन का अर्क, और हिंग्वाष्टक चूर्ण। - पेट का फूलना कब डॉक्टर को दिखाना चाहिए?
यदि पेट का फूलना लंबे समय तक बना रहे या इसके साथ अन्य गंभीर लक्षण हों, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। - क्या खानपान में बदलाव से अफरा की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है?
जी हाँ, सही खानपान और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर पेट के फूलने की समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
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