एसिडिटी – उत्पत्ति ,लक्षण और 5 असरदार उपाय

अम्लपित्त (एसिडिटी) एक सामान्य चिकित्सीय समस्या है जो आमतौर पर जीवनशैली और खान-पान के अनियमितता के कारण होती है। यह रोग अम्ल (हाइड्रोक्लोरिक एसिड) की अधिकता के कारण पेट में जलन, दर्द, उल्टी, तेजाबिली, और पेट की अफवाहों के रूप में प्रकट होता है।

 एसिडिटी acidity का कारण

गरम-तेज पदार्थ, चर्बी वाली वस्तुएं तथा अधपके मांस का सेवन करने, दांत खराब होने, भोजन के ठीक प्रकार से न पचने और खटाई, तेल, मिर्च, मसाले, मिठाई, चावल, मैदा, तली हुई वस्तुएं आदि अधिक मात्रा में खाने से अम्लपित्त (एसिडिटी) का रोग हो जाता है।

एसिडिटी - उत्पत्ति ,लक्षण और 5 असरदार उपाय
एसिडिटी

एसिडिटी के लक्षण

इस रोग में छाती में बेचैनी, जलन, खट्टी डकारें, उबकाई, अरुचि, सिर में दर्द, पेट में दर्द तथा कभी-कभी उल्टी आदि के लक्षण दिखाई देते हैं। मुंह का स्वाद बिगड़ जाता है। कई बार दस्त भी हो जाते हैं।

एसिडिटी – 5 तरह के उपचार

घरेलू उपचार

  1. आधा चम्मच पपीते के दूध में चीनी मिलकर सेवन करें।
  2. अजवायन, छोटी हरड़, सेंधा नमक तथा । चुटकी हींग – सबका चूर्ण बना लें। भोजन के बाद एक चम्मच चूर्ण गुनगुने पानी से लें।
  3. प्याज का रस एक चम्मच, नीबू का रस एक चम्मच तथा चार कालीमिर्च का चूर्ण-तीनों चीजों को मिलाकर सेवन करें।
  4. एक चम्मच पिसी हुई अजवायन, । चुटकी सेंधा नमक और 1 चुटकी हींग-तीनों को मिलाकर फेंको लगाएं। ऊपर से पानी पी लें।
  5. देशी कपूर 10 ग्राम, अजवायन 10 ग्राम तथा सूखा पुदीना 10 ग्राम तीनों को बराबर की मात्रा में लेकर पौस डालें। आधा-आधा चम्मच चूर्ण ताजे पानी के साथ सुबह-शाम भोजन के बाद खाएं।
  6. मूली के रस में जरा-सी शक्कर मिलाकर सेवन करें।
  7. चार लौंग, दो हरड़ तथा एक चम्मच अजवायन-तीनों का काढ़ा बनाकर पिएं।
  8. सेंधा नमक 1 चुटकी, अदरक एक छोटी गांठ तथा नीबू का रस एक चम्मच-तीनों चीजों की चटनी बनाकर सेवन करें।
  9. सोंठ, हींग और जीरा-सभी 3-3 ग्राम लेकर चूर्ण बनाकर गुनगुने जल से ग्रहण करें।
  10. मूली के रस में शक्कर मिलाकर पीने से
  11. यदि रात में एसिडिटी परेशान करे तो एक चम्मच खाने वाला सोडा और एक चम्मच नीबू का रस ठंडे पानी में मिलाकर पी जाएं। एसिडिटी में लाभ होता है
  12. 1 रत्ती होंग पानी में घोलकर पीने से एसिडिटी में शान्ति मिलती है। अदरक का रस एक चम्मच, जीरे का चूर्ण आधा चम्मच तथा हींग 1 रत्ती- तीनों को ताजे पानी में घोलकर नित्य सेवन करें।
  13. पीपल तथा सोंठ का आधा-आधा चम्मच चूर्ण शहद में मिलाकर चाटें।
  14. पुदीना, जीरा और कालीमिर्च- तीनों 10-10 ग्राम पीसकर चटनी बना लें। फिर इसे एक कप पानी में उबालकर पी जाएं।
  15. धनिया तथा मिश्री का काढ़ा बनाकर दिनभर में तीन-चार बार पीने से अपच, अजीर्ण और एसिडिटी में शान्ति मिलती है।
  16. 10 ग्राम अदरक, दो कली लहसुन तथा आधा चम्मच काला नमक- तीनों को एक चम्मच गन्ने के सिरके में मिलाकर खरल कर लें। फिर एक गिलास पानी में डालकर पी जाएं।
  17. पालक का रस आधा कप, गाजर का रस आधा कप और कुलथी का रस दो चम्मच तीनों को मिलाकर सेवन करें।
एसिडिटी - उत्पत्ति ,लक्षण और उपाय
एसिडिटी – उत्पत्ति ,लक्षण और उपाय

आयुर्वेदिक चिकित्सा

  1. आंवला, सोंठ, चित्रक, अजमोद, इलायची और सेंधा नमक- सबको बराबर की मात्रा में पीसकर चूर्ण बना लें। प्रतिदिन एक चम्मच चूर्ण गरम जल से सेवन करें।
  2. सोंठ, काला नमक, दालचीनी, हींग, पीपल तथा हरड़-सब 5-5 ग्राम की मात्रा में पीस-छानकर चूर्ण बना लें। प्रतिदिन भोजन के बाद एक चम्मच चूर्ण गुनगुने पानी से लें।
  3. अविपत्तिकर चूर्ण 3 ग्राम, पंचनिम्बादि चूर्ण 3 ग्राम, एलादि चूर्ण 3 ग्राम तथा चित्रकादि चूर्ण 1 ग्राम-इन सबको मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम भोजन के बाद ताजे पानी से खाएं।
  4. अम्लपित्तांतक लौह चौथाई चम्मच की मात्रा में भोजन के बाद खाएं। भुना हुआ जीरा 100 ग्राम, सोंठ 50 ग्राम, सेंधा नमक 150 ग्राम, काला नमक 50 ग्राम, नीबू का सत 50 ग्राम और पोपरमेंट 2 ग्राम-इन सभी चीजों को मिलाकर अच्छी तरह पीस लें। आधा चम्मच चूर्ण प्रतिदिन भोजन के बाद लें। यह ‘अग्निभुख चूर्ण’ के नाम से बाजार में बना-बनाया मिलता है। यह एसिडिटी, कब्ज, मन्दाग्नि तथा अपच आदि में रामबाण है।
  5. शुद्ध गंधक 50 ग्राम, मुलहठी 50 ग्राम, सनाय 150 ग्राम तथा मिश्री 200 ग्राम सबको पीसकर कपडे मे छान कर लें। आधा-आधा चम्मच चूर्ण प्रतिदिन सुबह-शाम गरम पानी से सेवन करें।

जड़ी-बूटी चिकित्सा

  • तुलसी की चार पत्तियां पीसकर केले की गैल के साथ खाएं।
  • ग्वारपाठे का रस निकालकर प्रतिदिन सुबह एक चम्मच पिएं।
  • नीम की कॉपलें, नीम की निबौली तथा नीम की छाल-तीनों को बराबर की मात्रा में लेकर पीस डालें। आधा चम्मच दवा प्रतिदिन सुबह बिना कुछ खाए पानी के साथ सेवन करें।
  • दूब घास 3 ग्राम तथा बधुए की पत्तियां 3 ग्राम दोनों को धोकर चबा जाएं।
  • सहिजन की जड़ और गिलोय की जड़-दोनों 5-5 ग्राम लेकर चटनी बनाकर गरम जल से सेवन करें। बरगद की एक पत्ती को पीसकर पेट पर लेप करें।

प्राकृतिक चिकित्सा

  • पेट पर काली मिट्टी का लेप करके ऊपर से पट्टी बांध लें। सूख जाने पर पुनः मिट्टी का लेप करें।
  •  टब में पानी भरकर कमर तक पानी में बैठ जाएं। पेट को लगभग 10 मिनट तक प्रतिदिन सुबह के समय पानी में हथेली से सहलाएं।
  • पैर के दोनों तलवों पर देशी घी की मालिश 10 मिनट तक करें।
  • रबड़ की थैली में गरम पानी भरकर पेट, पीठ, कमर तथा घुटनों की सेंकाई करें।
  • कुर्सी पर बैठकर वाष्य-स्नान करें।
एसिडिटी - उत्पत्ति ,लक्षण और उपाय
एसिडिटी

होमियोपैथिक चिकित्सा

  • खाना खाने के बाद छाती में जलन, जीभ मैली, कड़वा स्वाद, भोजन की उल्टी या उबकाई आए, लार निकले, शारीरिक एवं मानसिक परिश्रम के बाद सिर में दर्द, भूख में कमी, कमजोरी का अनुभव आदि लक्षणों में एपिफेगस 3 या 30 दें।
  • भोजन, मांस, मछली, प्रोटीन आदि हजम न होने पर एलन्सरूव मूलार्क 6 दें।
  • बिना पचे खाद्य को उल्टी, वमन के साथ दर्द, छाती में जलन, खट्टी डकारें आदि में सोरियम ऑकीलिकम 1 विचूर्ण दें।
  • खाई हुई वस्तु न पचे, पेट में दर्द, गरिष्ठ चीजें खाने से बार-बार पाखाना या कब्ज, वायु इकट्ठा हो, मुंह में पानी भर आए आदि लक्षणों में नक्स वोमिका 3, 30 या 200 दें।
  • थोड़ी चीज खाने के बाद पेट में भारीपन, खट्टी डकारें, खाई वस्तु जैसे गले में लौट रही हो तथा बेचैनी आदि लक्षणों में फेरम आयोड 3 विचूर्ण या 30 दें। पेट फूले, दुर्गंधित खट्टी डकारें, कभी पतले दस्त तो कभी कब्ज आदि लक्षणों में हाइड्रैस्टिस 30 दें।
  • खट्टी वस्तुओं से हानि, वायु के कारण पेट फूले, स्वाद खट्टा, फौका, गंधयुक्त डकार, मिचली आए, कब्ज, पेट व गले में जलन, मांस-मछली से अरुचि, दूध लेने से दस्त अथवा पेट में भारीपन आदि लक्षण होने पर सीपिया 3, 30 या 200 लें।
  • खट्टी डकारें, अफरा, पेट-छाती में जलन एवं भारीपन, कुछ खाने पर पेट में दर्द, कभी-कभी वमन आदि लक्षणों में लाइकोपोडियम 3, 6 या 30 दें।
  • छाती में जलन, पाकस्थली में दर्द, जी मिचलाए, पेट फूले तथा कब्ज आदि होने पर फेरम सियानेटम 6 या 30 का सेवन करें।

जरूरी बाते –

हालाकि हमने ऊपर सभी तरह कि दवाइयों के बारे मे बताया है लेकिन अगर आप नीचे दिए गए निर्देशों को पालन करते है तो आपको एसिडिटी कि समस्या नहीं होगी और आप स्वास्थ्य रहेंगे –

  1. मूंग, पुराना चावल, करेला, लौकी, तरोई, गेहूं का आटा, पत्तों का साग, हरड़, लहसुन तथा शहद आदि का सेवन प्रतिदिन करें।
  2. फलों में पपीता, अमरूद, सेब, केला, चीकू, बेल तथा आंवले का मुरब्बा आदि खाएं।
  3. चाय, कॉफी, शराब, मांस, मछली, अंडा, अरवी, मिठाई, खटाई, तम्बाकू, गुड़, बासी भोजन, गरिष्ठ भोजन, मैदा के पदार्थ, आलू, मिर्च-मसाले, तली हुई चीजें तथा नमकीन आदि का सेवन न करें।
  4. अधिक मात्रा में घी-तेल, दही, पित्त बढ़ाने वाले पदार्थ, अरहर की दाल तथा साबुत उड़द आदि का सेवन न करें। धूप में न घूमें। कब्ज न बनने दें।

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