काली खांसी, जिसे हूपिंग कफ भी कहा जाता है, एक अत्यधिक संक्रामक बैक्टीरियल संक्रमण है जो प्रमुख रूप से श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। इसे बैक्टीरिया Bordetella pertussis द्वारा उत्पन्न किया जाता है। इस बीमारी का सबसे पहचानने योग्य लक्षण एक तीव्र खांसी का दौरा है, जिसमें खांसी के अंत में एक विशिष्ट “हूपिंग” आवाज उत्पन्न होती है, विशेषकर बच्चों में। यह खांसी लंबे समय तक चल सकती है और व्यक्ति को बहुत अधिक थका देती है।
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काली खांसी (हूपिंग कफ) का कारण (Causes of Whooping Cough)
काली खांसी, जिसे हूपिंग कफ भी कहा जाता है, एक अत्यधिक संक्रामक बैक्टीरियल संक्रमण है। यह संक्रमण बच्चों में सामान्य खांसी से बिगड़कर हो सकता है और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इस ब्लॉग में हम काली खांसी के कारण, लक्षण और रोकथाम के उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
काली खांसी के 5 प्रमुख कारण
- बैक्टीरियल संक्रमण: काली खांसी का मुख्य कारण Bordetella pertussis नामक बैक्टीरिया है।
- वात दोष का बिगड़ना: आयुर्वेद के अनुसार, वात दोष के असंतुलन से यह रोग उत्पन्न हो सकता है।
- ठंड और जुकाम: बच्चों के गले-फेफड़ों में ठंड लगने और जुकाम बिगड़ने के कारण यह समस्या हो सकती है।
- कफ का जमाव: गले और छाती पर कफ जमा होने से यह बाहर नहीं निकल पाता और संक्रमण फैल सकता है।
- संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना: यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से फैलती है।
काली खांसी के लक्षण (symptoms of whooping cough)
इस खांसी में दौरे पड़ते हैं। रोगी खांसते-खांसते नीला पड़ जाता है। उसे सांस लेने में कठिनाई उत्पन्न होती है। खांसने से अंतड़ियों में पीड़ा होने लगती है। छाती में दर्द, जकड़न, मल-मूत्र का निकल जाना, नींद न आना, मुंह से हुप-हुप की आवाज होना आदि लक्षण दिखाई देते हैं।
काली खांसी के 7 सामान्य लक्षण
- खांसी के दौरे: इस खांसी में दौरे पड़ते हैं, जिसमें रोगी खांसते-खांसते नीला पड़ जाता है।
- सांस लेने में कठिनाई: खांसी के दौरान और बाद में सांस लेने में कठिनाई होती है।
- अंतड़ियों में पीड़ा: खांसने से अंतड़ियों में दर्द होने लगता है।
- छाती में दर्द और जकड़न: खांसी के कारण छाती में दर्द और जकड़न महसूस होती है।
- मल-मूत्र का निकल जाना: खांसी के तीव्र दौरों के कारण कभी-कभी मल-मूत्र का निकल जाना।
- नींद न आना: खांसी के कारण नींद में व्यवधान होता है और रोगी ठीक से सो नहीं पाता।
- मुंह से हुप-हुप की आवाज: खांसते समय मुंह से ‘हूप-हूप’ की आवाज निकलती है।
Whooping cough के लिए प्रभावी घरेलू उपाय
- अपराजितलेह और दशमूल घृत : काली खांसी को नियंत्रित करने के लिए अपराजितलेह और दशमूल घृत अत्यंत प्रभावी हैं। ये आयुर्वेद में प्रसिद्ध हर्बल उपचार हैं जो खांसी के लक्षणों को कम करके शांति प्रदान करते हैं।
- सौंफ और अजवायन का काढ़ा : दो चम्मच सौंफ और दो चम्मच अजवायन को दो कप पानी में उबालकर तैयार किया जा सकता है। जब पानी एक कप रह जाए, तो उसे छानकर उतारें। इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर बच्चों को पिलाएं। यह काढ़ा काली खांसी को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
- जड़ी बूटियों का पाउडर और शहद : नागरमोथा, काकड़ासींगी और अतीस-तीनों को बराबर की मात्रा में पीसकर एक चमच शहद के साथ मिलाएं। इस मिश्रण को बच्चों को नित्य सुबह-शाम देने से काली खांसी में आराम मिल सकता है।
- अड़सा और कालीमिर्च का क्वाथ : अड़सा और कालीमिर्च का क्वाथ बनाकर छानकर ठंडा करें और बच्चों को पिलाएं।
- अनार की छाल का चूर्ण : अनार के पेड़ की छाल को सुखाकर चूर्ण बनाएं। फिर उसमें दो कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर 4 माशे सुबह और 4 माशे शाम को शहद के साथ बच्चों को दें।
- अजवायन का सेवन : सीफ के साथ अजवायन का सेवन करने से काली खांसी में लाभ होता है।
- पुराने देशी घी में कपूर : पुराने देशी घी में थोड़ा-सा कपूर मिलाकर बच्चे की छाती पर मलें।
- गुल बनफशा, उन्नाव, खातमी, अतीस और मुलहठी का चूर्ण : गुल बनफशा, उन्नाव, खातमी, अतीस और मुलहठी को बराबर की मात्रा में पीसकर चूर्ण बनाएं। फिर दो चम्मच इस चूर्ण का काढ़ा बनाकर लगभग एक सप्ताह तक पिएं।
- फिटकरी और शहद : थोड़ी-सी फिटकरी को तवे पर भूनकर फूला बनाएं और फिर 1 चुटकी फिटकरी को शहद के साथ चाटें।
- मुलहठी और पीपल का चूर्ण : 2 ग्राम मुलहठी और 2 ग्राम पीपल का चूर्ण तैयार करें और इसे शहद के साथ दो बार दिन में लें।
- अदरक, पीपल और जवाखार का चूर्ण : अदरक का रस, पीपल का चूर्ण और जवाखार को शहद के साथ सुबह-शाम चाटें।
- कालीमिर्च, हल्दी और लौंग का दूध : कालीमिर्च, हल्दी और लौंग को दूध में औटाकर बच्चों को तीन-तीन घंटे बाद पिलाएं।
- नौसादर और छोटी पीपल का मिश्रण : नौसादर 1 रत्ती और छोटी पीपल 1 रत्ती को मिलाकर महीन पीसकर शहद के साथ दें।
- सफेद सुहागा और मुलहठी का काढ़ा : 10 ग्राम सफेद सुहागा और 20 ग्राम मुलहठी को 1 लीटर पानी में पकाएं। जब पानी आधा रह जाए तो छानकर आधा किलो शक्कर की चाशनी में डालकर दवा तैयार करें। बच्चे को 10 बूंद या आधा चम्मच दवा पानी में मिलाकर दिन में चार बार दें।
- भाप लेना : किसी बड़े पात्र में पानी गरम करके उसमें बेनजाइल या यूकलिप्टस तेल की कुछ बूंदें डालकर इसकी भाप लेने से काली खांसी नष्ट हो जाती है।
- भस्म और शहद : श्रृंग भस्म और श्वेत-लाल भस्म को शहद के साथ मिलाकर बच्चे को चटाएं।
काली खांसी के आयुर्वेदिक उपाय
- सोंठ, काकड़ासींगी, कायफल, भारंगी और छोटी पीपल का चूर्ण: इन सभी चीजों को 5-5 ग्राम की मात्रा में कूट-पीसकर चूर्ण बनाएं। इसमें से 3 माशा चूर्ण सुबह और 3 माशा शाम को शहद के साथ सेवन करें।
- धनिया, सौंफ, कालीमिर्च, लौंग और मिश्री का चूर्ण: उचित मात्रा में सभी चीजों को कूट-पीस लें। इसमें से 2 चुटकी चूर्ण को शहद में मिलाकर सेवन करें।
- कालीमिर्च, केसर और लौंग का गोली: इनको बराबर की मात्रा में महीन पीसकर गोलियां बनाएं। दो गोलियां शहद में घिसकर सुबह-शाम बच्चों को दें।
- पीपल और पोहकरमूल का चूर्ण: दोनों का चूर्ण बनाएं और 1-1 चुटकी सुबह-शाम शहद के साथ चाटें।
- हरड़, सोंठ, कालीमिर्च और लौंग का चूर्ण: सभी चीजों को बराबर की मात्रा में लेकर चूर्ण बनाएं। 6 माशा चूर्ण को गरम पानी के साथ सेवन करें।
- आडूसे का रस और बेलपत्रों का रस: दोनों का 6-6 माशे की मात्रा में लेकर सरसों के तेल में मिलाएं। सितोपलादि चूर्ण, मरीचादि चूर्ण, जातिफलादि चूर्ण, कासमर्दन वटी, कासहर वटी, हरीत्यादि वटी आदि खांसी की आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन करें। इनका सेवन उचित मात्रा में करके लाभ उठाएं।
काली खांसी कि होमियोपैथिक दवाईया
यहाँ हम काली खांसी के कुछ सामान्य लक्षण और उनकी होमियोपैथिक चिकित्सा के बारे में जानकारी देंगे।
- एकोनाइट 3
लक्षण: बच्चे का मुंह नीला पड़ना, घबराहट
उपयोग: काली खांसी के इन लक्षणों में एकोनाइट 3 का सेवन लाभकारी होता है। - ब्रायोनिया 3 या 30
लक्षण: सूखी खांसी, कब्ज, खांसते समय छाती में दर्द, सुबह-शाम ठंडी हवा लगने पर खांसी का दौरा तेज होना
उपयोग: इन लक्षणों में ब्रायोनिया 3 या 30 का सेवन करना चाहिए। - इपिकाक 3x या 6
लक्षण: सूखी खांसी, स्वरनली में सुरसुरी, सांय सांय की आवाज, मिचली, श्लेष्मा का निकलना
उपयोग: इन लक्षणों के लिए इपिकाक 3x या 6 बहुत लाभकारी है। - चायना 3
लक्षण: सूखी खांसी, सर्दी के कारण बेचैनी, छाती में दर्द, कृमि की हालत
उपयोग: चायना 3 का सेवन इन लक्षणों में राहत प्रदान करता है। - सल्फर 30
लक्षण: काली खांसी के सामान्य लक्षण
उपयोग: सल्फर 30 काली खांसी के लिए काफी लाभकारी है। - हायोसायमस विचूर्ण
लक्षण: रात और सुबह खांसी का तेज दौरा, बेचैनी, छाती में दर्द, पीड़ा के कारण बच्चा लोट-पोट हो जाना
उपयोग: इन लक्षणों में हायोसायमस विचूर्ण का उपयोग करना चाहिए। - सैंगुइनेरिया
लक्षण: लगातार खांसी, खांसी का दौरा अचानक तेज हो जाना
उपयोग: इन लक्षणों के लिए सैंगुइनेरिया बहुत लाभकारी है। - कालि बाइक्रोम 6
लक्षण: रात में नींद खुलने पर खांसी का दौरा, खांसते-खांसते उल्टी, श्लेष्मा मुश्किल से निकलना
उपयोग: इन लक्षणों में कालि बाइक्रोम 6 का सेवन करना चाहिए। - स्टिक्टा 6
लक्षण: सुबह के समय खांसी का तेज दौरा, खांसते-खांसते मुंह लाल पड़ना, कब्ज, मुंह का स्वाद खराब होना, उठने-बैठने में बेचैनी, हूपिंग कफ की तेजी, अकड़न
उपयोग: स्टिक्टा 6 इन लक्षणों में राहत प्रदान करती है। - ड्रोसेरा 3
लक्षण: काली खांसी का अचानक तेज दौरा, वमन
उपयोग: इन लक्षणों में ड्रोसेरा 3 का सेवन करें। - कैमोमिला 6
लक्षण: बच्चे के दांत निकलने के समय खांसी आना
उपयोग: कैमोमिला 6 का सेवन इन लक्षणों में बहुत प्रभावी होता है।
होमियोपैथिक दवाइयाँ काली खांसी के लक्षणों को कम करने और मरीज को राहत प्रदान करने में मदद कर सकती हैं। हालांकि, इनका उपयोग किसी विशेषज्ञ होमियोपैथिक चिकित्सक के परामर्श से ही करना चाहिए। काली खांसी के लक्षणों के प्रकट होने पर तुरंत चिकित्सीय सलाह लेना आवश्यक है।
जरूरी बाते –
हालाकि हमने ऊपर सभी तरह कि उपचार और दवाइयों के बारे मे बताया है लेकिन अगर आप नीचे दिए गए निर्देशों को पालन करते है तो आप जल्दी ही ठीक हो जाएंगे और आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेंगा –
- बच्चे को ठंड से बचाएं। अधिक घूमने-फिरने न दें। सुबह-शाम दौरा पड़ने से पहले ही दवा दे दें।
- खट्टे फल, सिरका, कड़वी चीजें तथा ठंडे प्रभाव का भोजन भूलकर भी न दें।
- अचानक सर्दी तथा गर्मी वाली जगहों पर न जाएं, क्योंकि इससे रोग बढ़ सकता है।
- दूध, चाय, रोटी, सादी सब्जी, दालें आदि दी जा सकती हैं।
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Whooping cough रोग मे अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
- काली खांसी क्या है?
काली खांसी, जिसे हूपिंग कफ भी कहा जाता है, एक संक्रामक बीमारी है जो बैक्टीरिया बोरडेटेला पर्टुसिस के कारण होती है। यह विशेष रूप से बच्चों को प्रभावित करती है और इसमें खांसी के तेज और लगातार दौरे होते हैं। - Whooping cough के मुख्य लक्षण क्या हैं?
1. काली खांसी के मुख्य लक्षणों में शामिल हैं:
2. तेज और लगातार खांसी के दौरे
3. खांसते-खांसते सांस फूलना
4. खांसी के बाद “हूप” जैसी आवाज आना
5. उल्टी होना
6. ठंडी हवा में खांसी का बढ़ना - Whooping cough कैसे फैलती है?
काली खांसी संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से हवा में फैलने वाले बूंदों के माध्यम से फैलती है। यह एक अत्यधिक संक्रामक रोग है। - काली खांसी का निदान कैसे किया जाता है?
काली खांसी का निदान चिकित्सा इतिहास, लक्षणों की पहचान और नाक या गले की सूजन के नमूने की प्रयोगशाला जांच से किया जाता है। - Whooping cough से बचाव के उपाय क्या हैं?
काली खांसी से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
1. नियमित टीकाकरण (DTaP वैक्सीन बच्चों के लिए और Tdap वैक्सीन वयस्कों के लिए)
2. संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखना
3. संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर चिकित्सीय सलाह लेना - काली खांसी का उपचार कैसे किया जाता है?
काली खांसी का उपचार एंटीबायोटिक दवाओं के माध्यम से किया जाता है। इसके अलावा, होमियोपैथिक दवाइयाँ भी लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकती हैं। विशेष मामलों में अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता हो सकती है। - कौन से बच्चे काली खांसी के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं?
विशेषकर नवजात शिशु और छह महीने से छोटे बच्चे काली खांसी के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली पूरी तरह से विकसित नहीं होती है और उनका टीकाकरण पूरा नहीं होता है। - क्या गर्भवती महिलाओं को Whooping cough का टीका लेना चाहिए?
हाँ, गर्भवती महिलाओं को टीका (Tdap) तीसरी तिमाही में लेना चाहिए, जिससे नवजात शिशु को जन्म के बाद प्रारंभिक सुरक्षा मिल सके। - क्या काली खांसी का टीका सभी उम्र के लोगों के लिए उपलब्ध है?
हाँ, DTaP टीका बच्चों के लिए और Tdap टीका किशोरों और वयस्कों के लिए उपलब्ध है। बूस्टर खुराक भी समय-समय पर ली जानी चाहिए। - क्या टीका लगाने के बाद भी काली खांसी हो सकती है?
हाँ, टीका लगवाने के बाद भी काली खांसी हो सकती है, लेकिन टीका लगाए हुए व्यक्तियों में इसके लक्षण कम गंभीर होते हैं। - काली खांसी के रोगी को क्या आहार लेना चाहिए?
काली खांसी के रोगी को पौष्टिक आहार लेना चाहिए, जिसमें तरल पदार्थों की मात्रा अधिक हो। फलों का रस, सूप, और हर्बल चाय लाभकारी हो सकते हैं। मसालेदार और तले हुए खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। - काली खांसी के दौरान घर पर क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
1. रोगी को आराम देने के लिए ह्यूमिडिफायर का उपयोग करें।
2. मरीज को अच्छी हवादार जगह पर रखें।
3. संक्रमित व्यक्ति के संपर्क से बचें और हाथ धोने की आदत बनाए रखें।
4. खांसी के दौरान मुंह और नाक को ढकने के लिए टिश्यू या कोहनी का उपयोग करें। - क्या Whooping cough का कोई प्राकृतिक उपचार है?
कुछ प्राकृतिक उपचार जैसे शहद, अदरक, तुलसी, और हल्दी के उपयोग से खांसी में राहत मिल सकती है। हालांकि, इन्हें चिकित्सीय सलाह के साथ ही उपयोग करना चाहिए। - काली खांसी के इलाज में होमियोपैथी कितनी प्रभावी है?
होमियोपैथी काली खांसी के लक्षणों को कम करने और रोगी की समग्र प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद कर सकती है। विशेषज्ञ होमियोपैथिक चिकित्सक से परामर्श करना आवश्यक है। - काली खांसी से प्रभावित होने के बाद शारीरिक गतिविधियाँ कब शुरू करनी चाहिए?
पूरी तरह ठीक होने और डॉक्टर की सलाह के बाद ही शारीरिक गतिविधियाँ शुरू करनी चाहिए। अत्यधिक शारीरिक मेहनत से बचना चाहिए जब तक कि स्वास्थ्य पूर्ण रूप से ठीक न हो जाए। - काली खांसी से बचाव के लिए सामाजिक व्यवहार में क्या बदलाव करने चाहिए?
संक्रमित व्यक्ति से दूर रहना, भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचना, टीकाकरण को सुनिश्चित करना, और खांसते या छींकते समय मुंह को ढकने की आदत को अपनाना चाहिए। - Whooping cough के दीर्घकालिक प्रभाव क्या हो सकते हैं?
लंबे समय तक खांसी, फेफड़ों की समस्याएँ, श्वसन तंत्र की कमजोरियाँ, और अन्य संबंधित संक्रमण हो सकते हैं। सही समय पर उपचार न मिलने पर दीर्घकालिक प्रभाव गंभीर हो सकते हैं। - Whooping cough के इलाज में एंटीबायोटिक्स की क्या भूमिका है?
एंटीबायोटिक्स काली खांसी के बैक्टीरिया को मारने और संक्रमण को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह बीमारी की गंभीरता को कम करने और संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद करता है। - क्या Whooping cough के दौरान स्कूल या डे केयर जाना सुरक्षित है?
नहीं, काली खांसी संक्रामक होती है और इसका इलाज पूरा होने और डॉक्टर की अनुमति के बाद ही बच्चे को स्कूल या डे केयर भेजना चाहिए। - क्या Whooping cough से संक्रमित व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है?
काली खांसी के गंभीर मामलों में, विशेष रूप से छोटे बच्चों और शिशुओं में, अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता हो सकती है। अस्पताल में, ऑक्सीजन थेरेपी, इंट्रावेनस तरल पदार्थ, और अन्य सहायक देखभाल प्रदान की जा सकती है ताकि मरीज की स्थिति स्थिर रहे और उसे उचित उपचार मिल सके।
यदि आपको काली खांसी (हूपिंग कफ) रोग लंबे समय तक बनी रहती है या गंभीर है, तो डॉक्टर से सलाह लेना उचित होगा। वे सही उपचार और सलाह प्रदान कर सकते हैं।
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