बच्चों की पसली चलना bronchopneumonia: जानिए इसके कारण और 5 उपचार

इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि बच्चों में पसली चलना, जिसे ब्रोंकोनिमोनिया (Bronchopneumonia) भी कहा जाता है, क्या होता है। यह बीमारी बच्चों के फेफड़ों और ब्रोंकाई में सूजन और संक्रमण का कारण बनती है, जिससे उन्हें सांस लेने में कठिनाई होती है। इस ब्लॉग में हम इसके कारण, लक्षण, और इलाज के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे ताकि हर माता-पिता को समय पर सही जानकारी मिल सके और वे उचित कदम उठा सकें।

बच्चों की पसली चलना
जाने बच्चों की पसली चलने के कारण

बच्चों की पसली चलना: ब्रोन्कोप्न्यूमोनिया का उत्पत्ति

यह रोग ‘प्राइमरी ब्रोन्कोन्यूमोनिया’ के रूप में जाना जाता है। इसका प्रमुख प्रभाव आमतौर पर 3 वर्ष से कम आयु के बच्चों पर होता है। यह बीमारी अचानक सर्दी लगने, भीग जाने, फेफड़ों और पसलियों को ठंडे प्रभाव के तहत, निरंतर जुकाम-खांसी, चेचक, खसरा, आदि की बीमारियों के कारण शारीरिक रूप से कमजोर बच्चों को बहुत तेजी से ले लेता है।

बच्चों की पसली चलना रोग के लक्षण:

बच्चों में पसलियों की चलने के रोग के लक्षण विविध होते हैं। यह रोग अक्सर खांसी, बुखार, और नजला-जुकाम के साथ देखा जाता है, जो कभी-कभी तेज होते हैं, तो कभी-कभी कम। बच्चा सांस लेते समय आमाशय के मुख पर और पसलियों के नीचे गड्डा-सा महसूस कर सकता है। नाक से बड़ी तेजी के साथ श्वास निकलता है और छाती में एक तरफ दर्द हो सकता है। खांसी आने पर बच्चा कफ को निगलने के लिए प्रयत्न कर सकता है। छोटे बच्चों में मानसिक रोग के लक्षण, जैसे आक्षेप या उल्टी, भी आ सकते हैं। कई बार इस रोग के कारण बच्चों की स्थिति गंभीर हो जाती है।

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ब्रोन्कोप्न्यूमोनिया का घरेलू उपाय :

  1. हींग का उपयोग: एक मुनक्का तवे पर भूनें और उसमें 2 रत्ती भुनी हींग भरकर बच्चे को दें। तारपीन का सफेद तेल 10 ग्राम और सरसों का पका तेल 10 ग्राम मिलाकर छाती और पसलियों के भागों पर मालिश करें।
  2. लहसुन और हींग का घोल: एक पूड़ी कुचलकर पानी में औटाएं, फिर दो-दो चम्मच दूध में देकर बच्चे को पिलाएं। गरम पानी में हींग का घोल बनाकर दो-दो घंटे बाद बच्चे को पिलाएं।
  3. तारपीन के तेल का उपयोग: तारपीन के तेल में कपूर मिलाकर छाती और पसलियों पर मालिश करें।
  4. हींग भरा मुनक्का: मुनक्के में हींग भरकर खिलाने से बच्चों की पसली चलना बंद हो जाती है।
  5. आयुर्वेदिक काढ़ा: दस पत्ते तुलसी, पांच दाने कालीमिर्च और थोड़ा सा अदरक को काढ़े के रूप में पिलाने से लाभ हो सकता है।
  6. शहद और गरम पानी: एक गिलास गरम पानी में थोड़ा-सा शहद मिलाकर बच्चे को पिलाएं।
  7. मालिश: छाती पर पुराना घी या विन्टोजिनो की मालिश करें।
  8. अण्डे की जर्दी, हल्दी और शहद का लेप: अण्डे की जर्दी, हल्दी, और शहद को मिलाकर छाती पर लेप करें। यह रोग को दूर करने में मदद कर सकता है।
  9. पान का रस और शहद: पान का रस और शहद को मिलाकर चटाएं। इससे खांसी और जुकाम में राहत मिल सकती है।
  10. सुहागा का दूध: दूध में थोड़े से सुहागा मिलाकर बच्चे को दें। यह छाती पर जमे कफ को निकालने में मदद कर सकता है।
  11. लौंग का पानी: लौंग को भूनकर पीस डालें और उसे दूध में मिलाकर रोगी को दें। इससे खांसी और सांस की समस्याओं में लाभ हो सकता है।
  12. अखरोट का भस्म: छिलके सहित अखरोट का भस्म शहद में मिलाकर दिन में कई बार दें। यह श्वास की समस्याओं को कम करने में मदद कर सकता है।
  13. लाल इलायची और शहद: लाल इलायची को भूनकर उसमें थोड़ी-सी कालीमिर्च मिलाकर शहद से चटाएं। इससे खांसी और सांस की समस्याओं में राहत मिल सकती है।

ब्रोन्कोप्न्यूमोनिया का आयुर्वेदिक उपचार :

  1. झंडु बाम और अन्य बामों की मालिश: छाती पर झंडु बाम, हमदर्द बाम, विक्स वेपोरब, अमृतांजन, ओरियंटल बाम, डाबर पेन बाम, नूरानी तेल, दुर्वेशी तेल आदि की मालिश करने से बच्चे को लाभ मिल सकता है।
  2. वृहत् कास चिन्तामणि रस: यदि बच्चे की सांस तेज चल रही हो, तो वृहत् कास चिन्तामणि रस का प्रयोग करें।
  3. कस्तूरी भैरव रस और महालक्ष्मी विलास रस: कस्तूरी भैरव रस या महालक्ष्मी विलास रस में से एक का सेवन करें।
  4. वृहत् कस्तूरी भैरव रस: वृहत् कस्तूरी भैरव रस (1 ग्राम), कनक सुन्दर रस (1 ग्राम), और चिन्तामणि रस (1 ग्राम) को मिलाकर दो खुराक करें। इसे सुबह-शाम बच्चे को पिलाएं।

ब्रोन्कोप्न्यूमोनिया का होमियोपैथिक उपचार :

  1. ब्रायोनिया: यदि बच्चे को श्वास नली भरी हो, धौंकनी की तरह छाती पर दबाव, खांसी में बलगम निकल जाने से कुछ दीलापन, और छाती में दर्द हो, तो ब्रायोनिया का सेवन कराएं।
  2. कॉलि बाइक्रोम: छाती में तेज दर्द, बेहद कष्ट, श्वास लेने पर छाती में दर्द, और बच्चे की बहुत अधिक बेचैनी आदि लक्षणों में कॉलि बाइक्रोम दें।
  3. रसटाक्स: जब पानी में भीगने या ठंड लगने के कारण रोग उभर आए, सूखी खांसी, रात में श्वास-प्रश्वास में तेजी, और बेचैनी होने पर रसटाक्स दें।
  4. एन्टिम टार्ट: जब पसलियां तेजी से चलें, श्वास कष्ट, बेचैनी, और लेसदार कफ आदि लक्षणों हों, तो एन्टिम टार्ट दें।
  5. बेरेट्रम विरिड: यदि ढोली सर्दी, कफ छाती में घड़-घड़ करे, गले तथा छाती में जलन कष्ट, दाई या बाई करवट लेटने में बहुत कष्ट हो, तो बेरेट्रम विरिड दें।
  6. ओपियम: यदि छाती में कफ के कारण दर्द, कफ भरा हो, खांसने पर कफ न निकले, लम्बी-लम्बी सांसें भरे, सोने में कष्ट, फेफड़े पर आघात, और अन्य लक्षण हों, तो ओपियम दें।
  7. सेनेगा: यदि छाती में दर्द, कफ न निकले, और दर्द के साथ घर-घर्र की आवाज, फेफड़ों में हल्की सूजन, और अन्य लक्षण हों, तो सेनेगा दें।

बच्चों की पसली चलने में चुम्बक चिकित्सा:

  1. चुम्बक लगाना: बच्चों की पसली चलना को राहत देने के लिए, पसली के पास और छाती पर 10-15 मिनट के लिए चुम्बक लगाएं। यह श्वासनली के संतुलन को सुधारने में मदद कर सकता है।
  2. चुम्बक लगाने की आवृत्ति: बच्चों की पसली चलना को दूर करने के लिए, दिनभर में 3-4 बार चुम्बक लगाएं। इससे उनकी सांस लेने की क्षमता में सुधार हो सकता है।
  3. चुम्बक का स्थान: चुम्बक को पसली के बीच वाले भाग पर और छाती के ऊपरी हिस्से के पास लगाएं। इससे उनके श्वासनली को सही स्थिति में लाने में मदद मिल सकती है।
  4. सहायक चुम्बक: हाथ की कलाइयों पर भी चुम्बक लगाएं, क्योंकि इससे श्वासनली को और भी अधिक संतुलित किया जा सकता है।
  5. चुम्बक का प्रभाव: चुम्बक द्वारा प्रभावित जल को बच्चों को सुबह-शाम पिलाएं। यह बच्चों की पसली चलना के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।

ब्रोन्कोप्न्यूमोनिया – एक्यूप्रेशर चिकित्सा में दबाव तकनीक:

बच्चों की पसली चलना
बच्चों की पसली चलना
  1. पैर के अंगूठे के नीचे का दबाव: सबसे पहले, दाएं पैर के अंगूठे के नीचे की ओर दबाव दें। यह तकनीक श्वासनली को सुधारने में मदद कर सकती है।
  2. पैर के तलवे में दबाव: दाएं पैर के तलवे में बीच के खाली भाग पर 3 सेकंड तक दबाव डालें। यह तकनीक श्वासनली के विस्तार को सहायक हो सकती है।
  3. हाथ की हथेली में अंगूठे के नीचे का दबाव: सीधे हाथ की हथेली में अंगूठे के नीचे दबाव दें। यह तकनीक श्वासनली को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है।
  4. हाथ की हथेली के बीच में दबाव: दाएं हाथ की हथेली के बीच में गहरा दबाव डालें। इससे श्वासनली के प्रवाह को सुधारा जा सकता है।
  5. शरीर में दबाव: शरीर में गले के नीचे छाती पर, हाथ की कलाइयों पर और नाभि के अगल-बगल धीरे-धीरे दबाव डालें। यह तकनीक श्वासनली के संतुलन को सुधारने में सहायक हो सकती है।
  6. पैर के तलवे पर दबाव: दाएं पैर के तलवे पर पांचों उंगलियों के नीचे दबाव डालें। इससे उनकी सांस लेने की क्षमता में सुधार हो सकता है।
  7. पैरों और हाथों के पंजों में दबाव: पैरों और हाथों के पंजों पर उंगलियों के आसपास धीरे-धीरे दबाव डालें। यह तकनीक श्वासनली के संचालन में सहायक हो सकती है।

महत्वपूर्ण निर्देश:

  1. पौष्टिक आहार:
    • बच्चे को गाय का दूध पतला करके दें।
    • हल्के भोजन में साबूदाना, पतली दलिया, मूंग की पतली दाल, और गेहूं की सूखी रोटी जैसे पोषण से भरपूर आहार दें।
  2. स्वच्छता का ध्यान:
    • सुबह-शाम शुद्ध वातावरण में बच्चे को नहलाएं।
    • जाड़े के दिनों में गरम पानी से स्नान कराएं या तौलिये से सारे शरीर को पोंछें।
  3. प्रतिबंधित आहार:
    • बर्फ, ठंडी तासीर वाली चीजें, कब्जकारी पदार्थ, मूली, खीरा, चीकू, सेब, आदि भूलकर भी न दें।

ये सावधानियां बच्चों को ब्रोन्कोप्न्यूमोनिया के इलाज में सहायक हो सकती हैं।

बच्चों की पसली चलना Bronchopneumonia में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. Bronchopneumonia क्या है?
Bronchopneumonia एक फेफड़ों और ब्रॉन्काइल ट्यूब में संक्रमण की सामान्य और संक्रामक बीमारी है।

2. बच्चों में पसली चलने के क्या लक्षण होते हैं?
Bronchopneumonia के लक्षणों में बुखार, खांसी, सांस लेने में कठिनाई, श्वास लेने में तकलीफ, और उन्हें सांस लेने के दौरान दर्द हो सकता है।

3. Bronchopneumonia के क्या कारण होते हैं?
बच्चों में Bronchopneumonia के कारणों में सर्दी, बारिशी मौसम, वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण, धूल या प्रदूषण शामिल हो सकते हैं।

4. बच्चों में Bronchopneumonia का इलाज क्या होता है?
Bronchopneumonia का इलाज आमतौर पर दवाइयों, उपचार और सही देखभाल के माध्यम से किया जाता है। गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती भी की जा सकती है।

5. Bronchopneumonia से बचाव के उपाय क्या हैं?
बच्चों में Bronchopneumonia से बचाव के उपाय में स्वच्छता का ध्यान रखना, पोषणपूर्ण आहार, अच्छे हवाई अड्डों की यात्रा का अवसर देना, और अन्य संक्रमण से बचाव के उपाय शामिल हैं।

6. क्या Bronchopneumonia संक्रमण संक्रमित व्यक्ति से फैल सकता है?
हां, Bronchopneumonia संक्रमण संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैल सकता है, इसलिए हाथ धोना और संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखना महत्वपूर्ण है।

7. Bronchopneumonia का जल्दी इलाज क्यों जरूरी है?
बच्चों में Bronchopneumonia का जल्दी इलाज जरूरी है क्योंकि यह संक्रमण गंभीर हो सकता है और गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है।

8.Bronchopneumonia के उपचार में कौन-कौन सी दवाएं प्रभावी होती हैं?
Bronchopneumonia के उपचार में डॉक्टर द्वारा निर्धारित अन्टीबायोटिक्स, जो बैक्टीरियल संक्रमण को नष्ट करने में मदद करते हैं, प्रभावी हो सकती हैं। इसके अलावा, अंशदार और उन्नत चिकित्सा उपायों का उपयोग भी किया जा सकता है, जैसे कि नेबुलाइज़र और स्टेरॉयड की दवाओं का सेवन।

9. बच्चों को Bronchopneumonia से कैसे बचाया जा सकता है?
Bronchopneumonia से बचाव में अच्छे हवाई अड्डों की यात्रा का अवसर देना, स्वच्छता का ध्यान रखना, नियमित हाथों का धोना, पोषणपूर्ण आहार और पूर्ण आराम का पालन करना महत्वपूर्ण है। साथ ही, टीकाकरण भी संक्रमण से बचाव में मददगार हो सकता है।

10. Bronchopneumonia के क्या संभावित संबंधित समस्याएं हो सकती हैं?
अगर Bronchopneumonia सही समय पर इलाज न किया जाए, तो यह गंभीर संबंधित समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे कि फेफड़ों के नुकसान, फेफड़ों में परत और फ्लूइड इकट्ठा होना, और सांस लेने में कठिनाई।

इन निर्देशों का पालन करने से बच्चों की पसली चलना में राहत मिल सकती है और रोगी जल्दी स्वस्थ हो सकता है। ऐसी ही जानकारी के लिए आप हमारी वेबसाईट पर विज़िट कर सकते है । पोस्ट कैसी लगी कमेन्ट करके जरूर बताये

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