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आधुनिक जीवनशैली में एक सामान्य समस्या जो किसी भी उम्र में हो सकती है, वह है “बहुमूत्र” या Polyuria । यह रोग एक व्यक्ति को अत्यधिक मूत्र प्रवाह के लिए प्रेरित करता है, जिससे उन्हें नियमित रूप से टॉयलेट जाने की आवश्यकता होती है। बहुमूत्र कई कारणों से हो सकता है, जिसमें नियमित दिनचर्या का परिवर्तन, वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण, शरीर में विटामिन डी की कमी, मधुमेह, या थायराइड की असमानता शामिल हो सकती है।
बहुमूत्र रोग के विषय में प्रसिद्ध है कि यह पैतृक पहले है और बाद में किसी दूसरे कारणवश फैलता है। फिर भी इस रोग के मुख्य कारण हिस्टीरिया, चिन्ता, सिर में चोट लगना, यकृत या आमाशय के विकार, सर्दी लग जाना, शराब पीना, आतशक, कब्ज तथा पौष्टिक भोजन का अभाव आदि हैं।
बहुमूत्र polyuria रोग के लक्षण
बहुमूत्र रोग में रोगी को बहुत मूत्र आता है। यह रोग बच्चों तथा युवाओं को अधिक होता है। बहुमूत्र में वंश परम्परागत खराबी के भी लक्षण पाए जाते हैं। इस रोग में कब्ज, मंदाग्नि, अधिक प्यास लगने, मूत्र का रंग पीला होने, अधिक मूत्र तथा अनिद्रा की शिकायत हो जाती है। रोगी दिन-प्रतिदिन कमजोर होता जाता है। कमर तथा हाथ-पैर में दर्द रहने लगता है। कई बार कमर का दर्द बढ़कर जंघाओं तथा पिंडलियों तक पहुंच जाता है। बहुमूत्र रोग क्षय-रोगी के लिए अधिक खतरनाक है। इसमें मांसपेशियां घुल जाती हैं और रोगी की मृत्यु हो जाती है।
- अत्यधिक मूत्रप्रवाह: यह सबसे मुख्य लक्षण है, जिसमें व्यक्ति को असामान्य रूप से अधिक मूत्र प्रवाह होता है।
- प्यास: अत्यधिक मूत्र प्रवाह के साथ, व्यक्ति को लगातार प्यास लगती है।
- शारीरिक कमजोरी: अत्यधिक मूत्रप्रवाह के कारण, शारीरिक कमजोरी भी हो सकती है।
बहुमूत्र polyuria रोग के उपचार –
1. घरेलू उपाय
- काले तिल 40 ग्राम और अजवायन 20 ग्राम दोनों को मिलाकर पीस लें। फिर इस चूर्ण को 60 ग्राम गुड़ में मिलाकर 6-6 ग्राम सुबह-शाम सेवन करें।
- अंगूर के आठ चम्मच रस में थोड़ा-सा पीपल का चूर्ण डालकर सेवन करें।
- रीठे की गुठली का चूर्ण 1-1 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम ताजे पानी से लें। काले तिल 5 ग्राम, नौसादर 4 ग्रेन तथा मिश्री 5 ग्राम इन तीनों को कूट-पीसकर प्रातः सायं 2-3 माह तक उपयोग करें। खसखस के दाने 20 ग्राम तथा गुड़ 20 ग्राम दोनों को मिलाकर उसमें से 2-2 ग्राम प्रतिदिन सेवन करें।
- रूमी मस्तगी, दालचीनी और शक्कर तीनों समान मात्रा में लेकर मिला लें। उसमें से 3-3 ग्राम की मात्रा प्रातः सायं प्रयोग करें।
- मुलहठी 30 ग्राम, कालीमिर्च 30 ग्राम और मिश्री 40 ग्राम तीनों को कूट-पीसकर 4-4 ग्राम दवा घी के साथ सुबह-शाम सेवन करें।
- पके हुए अनन्नास की छोटी-छोटी फांकें करके उसके ऊपर पीपल का चूर्ण बुरक दें। फिर उसको जीरा और जायफल के चूर्ण के साथ खाएं। यह
- बहुमूत्र रोग दूर करता है। दिन में चार सेब काला नमक के साथ खाने से बहुमूत्र का रोग ठीक हो जाता है।
- रात को दूध में चार छुहारे डालकर खा जाएं।
- बहुमूत्र रोग को उखाड़ फेंकता है अंगूर का रस
- 1 ग्राम जावित्री तथा 2 ग्राम मिश्री-दोनों को मिलाकर दूध के साथ उपयोग करें।
- भुने हुए चनों का चूर्ण बनाकर गुड़ के साथ खाने से बहुमूत्र रोग जाता रहता है।
- दो केले को धीमी आंच पर भून लें। फिर उसे 2 चुटकी काले तिल तथा एक चम्मच शहद के साथ खाएं।
- 3 ग्राम मेधी की पत्तियां पीसकर गुड़ के साथ सेवन करें।
- जामुन की गुठली और बहेड़े के छिलके दोनों 3-3 ग्राम पीसकर कुछ दिनों तक उपयोग करें। ७ एक मूली का रस तथा एक शलजम का रस-दोनों को मिलाकर उसमें जरा-सा काला नमक डालकर सेवन करें। बहुमूत्र रोग ठीक हो जाएगा।
- प्रतिदिन दो सूखे अंजीरों को काले तिल के साथ खाएं।
- खीरे के बीज तथा तिल- दोनों समान मात्रा में मिलाकर सेवन करें।
- शतावर में मिश्री मिलाकर खाएं।
- 10 ग्राम ककड़ी के बीज बारीक पीस लें। उसमें कांजी तथा सेंधा नमक मिलाकर सेवन करें।
- 6 ग्राम आंवले का चूर्ण 15 ग्राम गुड़ के साथ खाएं।
- सूखा आंवला 10 ग्राम और हल्दी 3 ग्राम प्रातः काल उसे छानकर पी जाएं। इन दोनों को कूट-पीसकर 250 ग्राम पानी में भिगो दें।
- पेठा की मिठाई खाने से मूत्र सम्बंधी समस्त विकार नष्ट हो जाते हैं।
2. आयुर्वेदिक उपाय
- ब्राह्मी रस 3 ग्राम, पीपल 2 ग्राम, तिल 5 ग्राम और शहद 6 ग्राम-इन सबको खरल करके सेवन करें। पलाश के फूल 3 ग्राम और कलमी शोरा 6 ग्राम-दोनों को पीस डालें। फिर उसमें 3 ग्राम शहद मिलाकर पेस्ट बना लें। इसे पेड़ पर लेप करें।
- घिया (लौकौ) का रस 10 ग्राम, कलमी शोरा 2 ग्राम, मिश्री 20 ग्राम तथा पीपल 3 ग्राम-सबको 250 ग्राम पानी में डालकर काढ़ा बनाकर पिएं।
- काले तिल 250 ग्राम, पिसी हल्दी 100 ग्राम, धनिया 100 ग्राम तथा पुराना गुड़ 100 ग्राम लें। सबसे पहले
- हल्दी को गाय के घी में भून लें। इसके बाद सबको कूट-पीसकर गुड़ में मिलाकर लड्डू बनाएं। प्रतिदिन दो लड्डू खाने के एक घंटा बाद पानी का सेवन करें।
- काले तिल 75 ग्राम, अजवायन 20 ग्राम तथा हल्दी 30 ग्राम सबको बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 6-6 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम खाएं।
- आंवले के पत्ते 200 ग्राम, हल्दी 100 ग्राम, तिल 50 ग्राम और इमली के बीजों की गिरी 10 ग्राम इन सबको कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। नित्य 5-5 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम सेवन करें।
- कालीमिर्च 30 ग्राम, मुलहठी 35 ग्राम, तिल 20 ग्राम, मिश्री 60 ग्राम तथा आंवले का चूर्ण 10 ग्राम- सबको मिलाकर चूर्ण तैयार कर लें। प्रतिदिन 6-6 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम खाएं।
- सफेद कमल की गांठ का चूर्ण 6 माशा, जीरे का चूर्ण 3 रत्ती, चीनी 6 माशा और घी 1 तोला- इन सबको मिलाकर सुबह-शाम उपयोग करें।
- अनार की कली, सफेद चन्दन की भूसी, बंसलोचन एवं बबूल का गोंद 10-10 ग्राम; धनिया, मेथी 15- 15 ग्राम; जामुन तथा आम की गुठली की गिरी 25-25 ग्राम और कपूर 5 ग्राम-इन सबको थोड़े-से अनार के रस में घोटकर गोलियां बना लें। दो-दो गोली सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करें।
3. होमियोपैथिक उपाय
- पेशाब अधिक मात्रा में आता हो, पेशाब की हाजत रोकना कठिन, अचानक पेशाब निकल जाए, खांसने पर पेशाब निकले आदि लक्षणों में कास्टिकम का प्रयोग करें।
- दिन में भारी मात्रा में पेशाब आए, घूमते समय या यात्रा के समय बार-चार पेशाब, मूत्राशय में जलन, गुर्दे में दर्द, पेशाब गरम आदि लक्षणों में कैहिन्का दें।
- मूत्र अधिक तथा मूत्र-त्याग करते समय जोर लगाना पड़े आदि लक्षणों में एल्यूमिना का सेवन कराएं। मूत्र अधिक, जलन तथा बार-बार जाने की इच्छा होने पर एसिड गैलिक का उपयोग करें।
- लगातार मूत्र-त्याग की इच्छा, रात को पेशाब अधिक आए, पेशाब में कुछ सफेदी आदि लक्षणों में एमीन कार्य का प्रयोग करें।
- तेज तथा अधिक पेशाब आने पर असाई दें।
- बार-बार पेशाब के लिए जाना पड़े तथा अधिक मात्रा में पेशाब आए, पेशाब में तीव्रता, यूरिक एसिड की अधिकता आदि लक्षणों में इक्थियोलम का प्रयोग करें।
- मूत्रनली में जलन के साथ अधिक पेशाब आने की हालत में आनिस्कम दें।
- अधिक मात्रा में पेशाब तथा अनजाने में पेशाब आने पर अर्जेन्टाइना का उपयोग करें।
- हर तरह के मूत्र विकार में एरिस्टोलेशिया क्लेमेटिस का सेवन करें।
- हर समय पेशाब की इच्छा, बार-बार पेशाब, रोगी को लगे कि पेशाब तुरन्त न करने पर निकल जाएगा आदि लक्षणों में इक्विजिटम हाईमेल दें।
- बूंद-बूंद पेशाब आने के बाद एकदम तेज पेशाब आने पर वर्बेस्कम दें।
- मूत्र की इच्छा न रोक पाने तथा आधी रात को अधिक होने पर सिनेरिया दें।
4. चुम्बक उपाय
- जननेन्द्रिय से कुछ ऊपर की ओर पेडू पर शक्तिशाली चुम्बक लगाएं।
- चुम्बक का उत्तरी ध्रुव 15-20 मिनट तक रखें।
- मेरुदण्ड के नीचे वाले भाग पर शक्तिशाली चुम्बक लगाएं।
- चुम्बक का उत्तरी ध्रुव 20-25 मिनट तक रखें।
5. एक्यूप्रेशर उपाय
- पीठ तथा दोनों नितम्बों पर प्रेशर देने की क्रिया करें।
- दाएं हाथ की सबसे छोटी उंगली पर बारी-बारी से दबाव दें।
- गर्दन के पीछे खोपड़ी के नीचे प्रेशर दें।
जरूरी बाते –
हालाकि हमने ऊपर सभी तरह कि उपचार और दवाइयों के बारे मे बताया है लेकिन अगर आप नीचे दिए गए निर्देशों को पालन करते है तो आप जल्दी ही ठीक हो जाएंगे और आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेंगा –
- रोगी को सामान्य परिश्रम करना चाहिए। मानसिक अशान्ति से बचना चाहिए। सादा तथा शीघ्र पचने वाला भोजन करें। लौकी, तरोई, टिण्डे और गाजर उपयोगी सब्जियां हैं।
- घी, तेल, शराब, मसाले के पदार्थ तथा तम्बाकू आदि का सेवन न करें।
यदि आपको बहुमूत्र polyuria रोग लंबे समय तक बनी रहती है या गंभीर है, तो डॉक्टर से सलाह लेना उचित होगा। वे सही उपचार और सलाह प्रदान कर सकते हैं।
बहुमूत्र polyuria रोग मे अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
यहाँ बहुमूत्र polyuria के बारे में कुछ आम सवाल Frequent Asked Questions(FAQs) हैं:
प्रश्न 1 : बहुमूत्र polyuria क्या है?
उत्तर: बहुमूत्र एक मेडिकल शब्द है जिसका अर्थ है ‘अत्यधिक मूत्रप्रवाह’। इसमें व्यक्ति को असामान्य रूप से अधिक मूत्र प्रवाह होता है।
प्रश्न 2 : बहुमूत्र polyuria के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर: बहुमूत्र के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि मधुमेह, विटामिन डी की कमी, थायराइड की समस्या, किडनी की बीमारी, दवाओं का सेवन या अतिरिक्त कॉफी और चाय का सेवन।
प्रश्न 3 : बहुमूत्र polyuria के लक्षण क्या हैं?
उत्तर: इसके प्रमुख लक्षण में अत्यधिक मूत्रप्रवाह, लगातार प्यास, शारीरिक कमजोरी, और जब्त करने की भावना शामिल है।
प्रश्न 4 : बहुमूत्र polyuria का इलाज क्या है?
उत्तर: बहुमूत्र के इलाज का सही तरीका उसके कारण के आधार पर होता है। इसमें दिनचर्या में परिवर्तन, चिकित्सा उपचार, और पोषण संपत्ति का ध्यान रखना शामिल हो सकता है।
प्रश्न 5 : बहुमूत्र polyuria का निदान कैसे किया जाता है?
उत्तर: इसका निदान आपके चिकित्सक द्वारा अधिकांश अवधारणाओं, शारीरिक परीक्षणों, और जाँचों के माध्यम से किया जाता है।
प्रश्न 6 : बहुमूत्र polyuria का उपचार कितने समय तक लिया जाना चाहिए?
उत्तर: बहुमूत्र के उपचार की अवधि उसके कारण और गंभीरता पर निर्भर करती है। अधिकांश मामलों में, नियमित चिकित्सा जाँच और उपचार के साथ बहुमूत्र को नियंत्रित किया जा सकता है।
प्रश्न 7 : बहुमूत्र polyuria के लिए संभावित संबंधित समस्याएं क्या हो सकती हैं?
उत्तर: बहुमूत्र के लिए संभावित संबंधित समस्याएं शामिल हो सकती हैं: मधुमेह, किडनी की बीमारी, थायराइड रोग, और अन्य मेडिकल समस्याएं।
प्रश्न 8 : बहुमूत्र polyuria से बचाव के लिए क्या सावधानियां हैं?
उत्तर: बहुमूत्र से बचाव के लिए, स्वस्थ जीवनशैली, पर्याप्त पानी की मात्रा का सेवन, और नियमित चिकित्सा जाँच महत्वपूर्ण हैं।
प्रश्न 9 : क्या बहुमूत्र polyuria का इलाज आयुर्वेद में मौजूद है?
उत्तर: हां, आयुर्वेद में भी बहुमूत्र का इलाज है, जो आपके शरीर के प्रकृतिक गुणों और अनुकूल आहार के माध्यम से हो सकता है। लेकिन इससे पहले डॉक्टर की सलाह लेना महत्वपूर्ण है।
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