जानिए ‘ बार-बार हिचकी आना ‘ के कारण और 20 बेहतरीन घरेलू उपाय

हिचकी, जिसे आमतौर पर ‘हिचकप’ (Hiccup) के रूप में जाना जाता है, एक सामान्य लेकिन कभी-कभी कष्टदायक शारीरिक प्रतिक्रिया है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब हमारा डायाफ्राम, जो हमारे फेफड़ों को नियंत्रित करने वाली मांसपेशी है, अचानक और अनियंत्रित रूप से संकुचित हो जाता है। इस संकुचन के परिणामस्वरूप हमारी वोकल कॉर्ड्स (स्वरयंत्र) अचानक बंद हो जाती हैं, जिससे एक विशेष ध्वनि उत्पन्न होती है जिसे हम ‘हिच’ के रूप में पहचानते हैं।

हिचकी का आना एक आम और सामान्य घटना है, जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे जल्दी-जल्दी खाना, अत्यधिक शराब या कार्बोनेटेड पेय का सेवन, अचानक तापमान में बदलाव, अत्यधिक उत्तेजना या तनाव, और कुछ चिकित्सीय स्थितियां। हालांकि हिचकी आमतौर पर कुछ ही मिनटों में समाप्त हो जाती है, लेकिन कभी-कभी यह लंबे समय तक बनी रह सकती है और असुविधा का कारण बन सकती है।

 जानिए बार-बार हिचकी आना के कारण और 20 घरेलू उपाय
बार-बार हिचकी आना के कारण और घरेलू उपाय

इस ब्लॉग में, हम हिचकी के विभिन्न कारणों, इससे निपटने के लिए उपलब्ध घरेलू उपचारों, और कब चिकित्सीय मदद की आवश्यकता हो सकती है, पर विस्तार से चर्चा करेंगे। हिचकी को लेकर कई मिथक और भ्रांतियां भी हैं, जिन पर हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रकाश डालेंगे। हमारा उद्देश्य है कि आप हिचकी के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करें और जब भी आपको या आपके प्रियजनों को हिचकी आए, तो आप आसानी से इससे निपट सकें।

बार-बार हिचकी आने के कारण (causes of Hiccups)

हिचकी (हिक्का) कोई स्वाभाविक या प्राकृतिक रोग नहीं है, वरन् यह दूसरे रोगों को पैदा करने वाला उपसर्ग है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब विभिन्न बाहरी और आंतरिक कारकों के कारण हमारा श्वसन तंत्र असामान्य रूप से काम करता है।

हिचकी के प्रमुख कारण

  1. खाद्य पदार्थ और पेय: तेज मिर्च, चाट, और मसालेदार चीजें खाने से हिचकी आने की संभावना बढ़ जाती है। इन खाद्य पदार्थों से पेट में जलन होती है, जो डायाफ्राम को प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा, अत्यधिक शराब या कार्बोनेटेड पेय का सेवन भी हिचकी का कारण बन सकता है।
  2. पेट की गड़बड़ी: पेट में थोड़ी-सी गड़बड़ी भी हिचकी का कारण बन सकती है। जब पेट में गैस इकट्ठी होती है, तो यह डायाफ्राम पर दबाव डालती है, जिससे अचानक संकुचन होता है और हिचकी आती है। बच्चों में पेट में वायु इकट्ठी होने की समस्या अक्सर हिचकी का कारण बनती है।
  3. प्राणघातक बीमारियाँ: गंभीर बीमारियों के दौरान, जब पेट में गैस बनकर रुक जाती है, तो उचित उपचार के अभाव में हिचकी आने लगती है। इस स्थिति में हिचकी एक गंभीर समस्या का संकेत हो सकती है, जिसे तुरंत चिकित्सीय ध्यान की आवश्यकता होती है।
  4. पाचन यंत्र की खराबी: पाचन तंत्र की खराबी जैसे कब्ज, अपच, और पेट में अल्सर जैसी स्थितियाँ भी हिचकी को उत्तेजित कर सकती हैं। इन स्थितियों में पेट और डायाफ्राम के बीच तालमेल बिगड़ जाता है, जिससे हिचकी उत्पन्न होती है।
  5. मानसिक और भावनात्मक कारण: चिंता, शोक, अत्यधिक दुख, और मानसिक तनाव भी हिचकी का कारण बन सकते हैं। भावनात्मक उथल-पुथल से शरीर में कई प्रकार के हार्मोनल बदलाव होते हैं, जो डायाफ्राम को प्रभावित कर सकते हैं।

हिचकी के अन्य संभावित कारण

  • जल्दी-जल्दी खाना: जल्दी-जल्दी खाने से भी हिचकी आने की संभावना बढ़ जाती है, क्योंकि इससे हवा निगलने की संभावना बढ़ जाती है, जो डायाफ्राम पर दबाव डालती है।
  • तापमान में अचानक बदलाव: अचानक गर्म से ठंडा या ठंडे से गर्म वातावरण में जाने से भी हिचकी आ सकती है।
  • कुछ औषधियाँ: कुछ दवाइयों के सेवन से भी हिचकी आ सकती है, विशेषकर वे दवाइयाँ जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती हैं।
बार-बार हिचकी आने के कारण
बार-बार हिचकी आने के कारण

बार-बार हिचकी आने के लक्षण (Symptoms of hiccups)

हिचकी (हिक्का) एक आम लेकिन कभी-कभी कष्टदायक स्थिति है, जिसे पहचानना मुश्किल नहीं है। इसके लक्षण स्पष्ट और अक्सर परेशान करने वाले होते हैं। यहां हम हिचकी के विभिन्न लक्षणों का विस्तार से वर्णन करेंगे, ताकि आप इस स्थिति को बेहतर समझ सकें और समय पर उचित उपचार कर सकें।

  1. हिचकी की आवाज :
    हिचकी की सबसे पहचानने योग्य विशेषता इसकी आवाज है। यह एक तेज और अचानक उत्पन्न होने वाली ध्वनि है, जो गले के बाहर स्पष्ट रूप से सुनाई देती है। यह ध्वनि डायाफ्राम के अचानक संकुचन और वोकल कॉर्ड्स के अचानक बंद होने के कारण उत्पन्न होती है। यह आवाज अक्सर बार-बार और अनियंत्रित रूप से आती है, जो न केवल खुद व्यक्ति के लिए बल्कि उसके आस-पास के लोगों के लिए भी ध्यान आकर्षित करती है।
  2. गले में अकड़न या ऐंठन :
    हिचकी आने पर गले में टेंदुए (गले) में कुछ देर के लिए अकड़न या ऐंठन-सी महसूस होती है। यह स्थिति अस्थायी होती है, लेकिन यह बहुत असुविधाजनक हो सकती है। गले की यह ऐंठन हिचकी की ध्वनि उत्पन्न होने के समय होती है और यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक हिचकी खत्म नहीं हो जाती।
  3. बार-बार हिचकी आना :
    अगर हिचकी लगातार और बार-बार आती है, तो यह एक चिंताजनक लक्षण हो सकता है। बार-बार हिचकी आने से व्यक्ति की आवाज बैठ जाती है, जिससे बोलने में कठिनाई हो सकती है। इस स्थिति में, व्यक्ति को हर कुछ सेकंड या मिनट में हिचकी आती है, जो उसकी दिनचर्या और कामकाज को बाधित कर सकती है।
  4. पानी निगलने में कठिनाई :
    हिचकी के दौरान पानी निगलने में कठिनाई होती है। यह इसलिए होता है क्योंकि हिचकी के समय गले और डायाफ्राम में ऐंठन हो जाती है, जो निगलने की प्रक्रिया को प्रभावित करती है। इस कठिनाई के कारण व्यक्ति को खाने-पीने में भी परेशानी हो सकती है, जिससे उसकी दैनिक जीवन की गतिविधियां बाधित हो सकती हैं।
  5. छाती में हल्का दर्द:
    कुछ मामलों में, लगातार हिचकी के कारण छाती में हल्का दर्द भी हो सकता है। यह दर्द डायाफ्राम और आसपास की मांसपेशियों के बार-बार संकुचन के कारण होता है।
  6. उल्टी का अहसास:
    लंबे समय तक हिचकी जारी रहने पर उल्टी का अहसास भी हो सकता है। यह आमतौर पर तब होता है जब हिचकी के साथ गैस्ट्रिक समस्याएं भी जुड़ी होती हैं।
  7. नींद में बाधा:
    लगातार हिचकी आने से नींद में भी बाधा उत्पन्न हो सकती है। रात के समय हिचकी आना विशेष रूप से कष्टदायक होता है और यह व्यक्ति को आराम से सोने नहीं देती।
  8. मानसिक और शारीरिक थकावट :
    लगातार हिचकी आना मानसिक और शारीरिक थकावट का कारण बन सकता है। व्यक्ति को हिचकी के कारण तनाव और चिंता महसूस हो सकती है, जिससे उसकी मानसिक स्थिति पर भी प्रभाव पड़ता है। शारीरिक रूप से, बार-बार हिचकी आने से डायाफ्राम और पेट की मांसपेशियों पर दबाव बढ़ता है, जिससे थकावट महसूस होती है।

इस प्रकार, हिचकी के लक्षण केवल शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्तर पर भी प्रभावित कर सकते हैं। हिचकी की आवाज, गले की अकड़न, बार-बार हिचकी आना, और पानी निगलने में कठिनाई जैसे लक्षणों के साथ-साथ अन्य शारीरिक और मानसिक प्रभावों को समझना महत्वपूर्ण है। इन लक्षणों को पहचान कर समय पर उचित उपचार करना आवश्यक है, ताकि इस सामान्य लेकिन कष्टदायक स्थिति से राहत मिल सके।

जानिए बार-बार हिचकी आना के कारण और 20 घरेलू उपाय
बार-बार हिचकी आना के कारण और घरेलू उपाय

बार-बार हिचकी आना के घरेलू उपाय (Home remedies for hiccups)

  1. राई का पानी:
    10 ग्राम राई को दो कप पानी में उबालें। छानकर ठंडा करें और रोगी को थोड़ी-थोड़ी देर में पिलाएं।
  2. नमक और शक्कर:
    हिचकी आने पर ताजे पानी में 1 चुटकी नमक और 1 चुटकी शक्कर मिलाएं। इसे घूंट-घूंट पीने से लाभ होता है।
  3. मोर पंख का भस्म:
    2 रत्ती मोर पंख का भस्म शहद में मिलाकर चटाएं।
  4. कलौंजी:
    3 ग्राम कलौंजी को मक्खन में मिलाकर सेवन करें।
  5. पीपल का चूर्ण:
    एक चुटकी पीपल के चूर्ण को शहद के साथ खिलाएं।
  6. अदरक और शहद:
    अदरक का रस और शहद मिलाकर चाटें।
  7. कालीमिर्च की राख:
    कालीमिर्च को आग में जलाकर उसकी राख शहद के साथ सेवन करें।
  8. पुदीने की पत्ती:
    शक्कर में पुदीने की पत्ती मिलाकर खिलाएं। इससे हिचकी तुरंत बंद हो जाती है।
  9. सूखा धनिया:
    आधा चम्मच सूखा धनिया मुख में रखकर चूसने से हिचकी ठीक हो जाती है।
  10. नारियल का पानी:
    नारियल का पानी पीने से भी हिचकी में राहत मिलती है।
  11. उपले की गरम राख:
    3 ग्राम उपले की गरम राख में एक चम्मच शहद मिलाकर चाटें।
  12. हींग पानी:
    2 रत्ती हींग को पानी में घोलकर पीने से हिचकी शांत हो जाती है।
  13. अदरक, कालीमिर्च और नीबू का रस:
    आधा चम्मच अदरक का रस, दो कालीमिर्च और एक चम्मच नीबू का रस मिलाकर पीने से फायदा होता है।
  14. गिलोय, सोंठ और शहद:
    2 चुटकी गिलोय का चूर्ण, आधा चम्मच सोंठ का चूर्ण और एक चम्मच शहद को मिलाकर लें।
  15. प्याज का रस:
    प्याज के रस में शहद मिलाकर चाटने से भी हिचकी बंद हो जाती है।
  16. अमृतधारा या पुदीना का अर्क:
    पानी में 4 बूंद अमृतधारा या 2 बूंद पुदीना डालकर सेवन करें।
  17. नाक में प्याज का रस:
    नाक में 2 बूंद प्याज का रस डालने से हिचकी रुक जाती है।
  18. गन्ने का रस:
    गन्ने का रस पीने से भी हिचकी बंद हो जाती है।
  19. हिंग्वष्टक चूर्ण:
    आधा चम्मच हिंग्वष्टक चूर्ण ताजे पानी से लेने से हिचकी शांत हो जाती है।
  20. दही की लस्सी या छाछ:
    दही की लस्सी या छाछ पीने से भी हिचकी दूर होती है।
  21. इलायची के दाने:
    लाल या सफेद इलायची के दाने मुख में रखकर चूसने से हिचकी बंद हो जाती है।
  22. तुलसी का रस:
    एक चम्मच तुलसी का रस और एक चम्मच शहद मिलाकर सेवन करें।

इन घरेलू उपायों को अपनाकर हिचकी से राहत प्राप्त कर सकते हैं। यदि हिचकी लंबे समय तक बनी रहे तो चिकित्सक सलाह लेना उचित है।

बार-बार हिचकी आना पर प्राकृतिक उपाय (Natural remedy for Hicccups)

  1. गरम पानी: रोगी को गरम पानी पिलाएं।
  2. गीली मिट्टी की पट्टी: गले में गीली मिट्टी की पट्टी बांधें।
  3. गीली मिट्टी का लेप: पेट पर गीली मिट्टी का लेप लगाकर ऊपर से पट्टी बांधें।
  4. कटि स्नान: कटि स्नान करते समय पेट पर धीरे-धीरे 10 मिनट तक पानी की मालिश करें।

बार-बार हिचकी आना की होमियोपैथिक दवाईया (Homeopathic medicine for Hiccups)

  1. खानपान के बाद हिचकी: खट्टी डकार के साथ हिचकी तथा गले में कुछ अटक जाने से हिचकी होने पर इग्नेशिया का सेवन करें।
  2. पेट में भारीपन और जलन: हिचकी आने पर पेट में भारीपन, जलन, बेचैनी आदि लक्षणों में काक्सिनेला का प्रयोग करें।
  3. निरंतर हिचकी: निरंतर हिचकी आने पर कॉलि ब्रोम दें।
  4. पेट में वायु: पेट में वायु (गैस) या किसी अन्य व्याधि के कारण हिचकी आने पर पल्सेटिला लें।
  5. खाने के बाद डकारें: कुछ खाने के बाद डकारें तथा हिचकी, पानी पीने के बाद हिचकी इन लक्षणों में फॉस्फोरस दें।
  6. तेज हिचकी: तेज हिचकी, सम्पूर्ण शरीर में कम्पन, बार-बार हिचकी, वमन की इच्छा आदि होने पर बेलाडोना लें।
  7. बार-बार हिचकी: यदि बार-बार हिचकी तथा पेट में गैस की शिकायत हो तो रैटान्हिया दें।
  8. रुक-रुककर हिचकी: रुक-रुककर हिचकी आने पर एमोन म्यूर देना चाहिए।
  9. हिलने-डुलने पर हिचकी बढ़ना: हिलने-डुलने पर हिचकी बढ़ जाए, खांसी, बेचैनी, दम घुटे, अफरा आदि लक्षणों में कार्बोवेज दें।
  10. लगातार हिचकी: लगातार हिचकी, प्यास तथा जी मिचलाना आदि लक्षणों में स्टेफिसेप्रिया लें।
  11. डायफ्राम में सिकुड़न: हिचकी के कारण डायफ्राम में सिकुड़न, खानपान में कमी, पेट में दर्द, ठंडा पानी पीने से हिचकी प्रारम्भ होने पर नक्स वोमिका का सेवन करें।
  12. प्रसिद्ध दवा: एसाफोटिडा 2 या 3 भी हिचकी की प्रसिद्ध दवा है, इसका प्रयोग हर प्रकार की हिचकी में होता है।

बार-बार हिचकी आना पर चुम्बक उपाय (Magnet therapy for hiccups)

  • हिचकी आते ही: चुम्बक द्वारा प्रभावित जल चम्मच से गले में डालें। हथेली के मूल तथा कलाई के बीच में छोटे चुम्बक का उत्तरी ध्रुव 5 मिनट तक लगाएं।
  • गरदन के पीछे: गरदन के पीछे दोनों तरफ तथा पीठ के जोड़ से कुछ ऊपर चुम्बक का दक्षिणी ध्रुव लगाएं।
  • गरदन पर मालिश: गरदन पर चुम्बक द्वारा प्रभावित तेल की हल्की मालिश करें।

बार-बार हिचकी आना पर सावधानियाँ(Precautions for Hiccups)

  • धीरे-धीरे भोजन करें: जल्दी-जल्दी खाने से बचें, ताकि भोजन अच्छी तरह चबाकर निगल सकें।
  • कार्बोनेटेड ड्रिंक्स से बचें: सोडा, कोल्ड ड्रिंक्स और अन्य कार्बोनेटेड पेय पदार्थों का सेवन न करें।
  • अत्यधिक मसालेदार और तैलीय भोजन से बचें: ये पेट में जलन और हिचकी का कारण बन सकते हैं।
  • छोटे भोजन करें: बड़े-बड़े भोजन करने के बजाय छोटे-छोटे भागों में भोजन करें।
  • तंबाकू और शराब का सेवन न करें: ये आपके पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं और हिचकी का कारण बन सकते हैं।
  • तनाव को कम करें: अत्यधिक तनाव और चिंता हिचकी को बढ़ा सकते हैं, इसलिए नियमित रूप से ध्यान, योग, और गहरी सांस लेने के अभ्यास करें।
  • जल्दी-जल्दी पानी न पिएं: धीरे-धीरे पानी पिएं और छोटे-छोटे घूंट लें।
  • आराम से बैठें: भोजन के बाद सीधे न लेटें, बल्कि आराम से बैठें या थोड़ी देर टहलें।
  • सही मुद्रा में बैठें: भोजन करते समय और पानी पीते समय सीधा बैठें, ताकि आपके पेट पर दबाव न पड़े।
  • पेट की गैस को नियंत्रित करें: पेट में गैस बनने से बचने के लिए गैस्ट्रिक दवाओं का सेवन कर सकते हैं।
    इन सावधानियों का पालन करने से बार-बार हिचकी आने की समस्या को कम किया जा सकता है। यदि हिचकी लंबे समय तक बनी रहती है, तो किसी चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें।

बार-बार हिचकी आना में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ on Hiccups)

  1. हिचकी क्यों आती है?
    हिचकी की वजह कई हो सकती हैं, जैसे भोजन करते समय तेजी से खाना-पीना, अत्यधिक तनाव, पेट में गैस या वायु, या तंबाकू और शराब का सेवन।
  2. हिचकी को कैसे रोका जा सकता है?
    हिचकी को रोकने के लिए आप धीरे-धीरे भोजन करें, अत्यधिक मसालेदार और तैलीय भोजन से बचें, तंबाकू और शराब से दूर रहें, और नियमित योग और ध्यान का अभ्यास करें।
  3. क्या होमियोपैथिक चिकित्सा में हिचकी का इलाज हो सकता है?
    हां, होमियोपैथिक दवाओं का उपयोग हिचकी के इलाज में किया जा सकता है। विभिन्न होमियोपैथिक दवाओं के उपयोग के माध्यम से हिचकी को दूर करने में मदद मिल सकती है।
  4. क्या हिचकी का लंबे समय तक बने रहना खतरनाक होता है?
    हिचकी अक्सर स्वतः ही ठीक हो जाती है, लेकिन यदि यह लंबे समय तक बनी रहती है और इससे ज्यादा असहनीय हो, तो इसे चिकित्सक से परामर्श करना उचित होता है।
  5. क्या चुम्बक चिकित्सा से हिचकी को ठीक किया जा सकता है?
    हां, कुछ लोगों को चुम्बक चिकित्सा से हिचकी में लाभ मिलता है। इसमें विशेष प्रकार के चुम्बक का प्रयोग किया जाता है जो गले और गर्दन पर लगाया जाता है।
  6. क्या हिचकी आने से बचाव के लिए कुछ घरेलू उपाय हैं?
    हां, हिचकी से बचाव के लिए कुछ घरेलू उपाय हैं जैसे कि धीरे-धीरे भोजन करना, पानी धीरे-धीरे पीना, तंबाकू और शराब से दूर रहना, और तनाव को कम करने के लिए योग और ध्यान का अभ्यास करना।
  7. क्या खाना-पीना हिचकी के आने को बढ़ा सकता है?
    हां, तेजी से भोजन करने, अत्यधिक मसालेदार और तैलीय भोजन करने, और कार्बोनेटेड ड्रिंक्स का सेवन करने से हिचकी का खतरा बढ़ सकता है।
  8. क्या हिचकी को रोकने के लिए दवाइयाँ उपलब्ध हैं?
    हां, अनेक दवाइयाँ उपलब्ध हैं जो हिचकी को रोकने में मदद कर सकती हैं, जैसे कि होमियोपैथिक दवाएँ जो विभिन्न लक्षणों के अनुसार दी जाती हैं।
  9. क्या हिचकी का बार-बार आना किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है?
    हां, अगर हिचकी बार-बार आती है और इससे बहुत होने के बाद भी ठीक नहीं होती, तो यह किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है और आपको चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
  10. क्या चुम्बक चिकित्सा से हिचकी का इलाज संभव है?
    हां, कुछ लोगों को चुम्बक चिकित्सा से हिचकी में लाभ मिलता है। इसमें विशेष प्रकार के चुम्बक का प्रयोग किया जाता है जो गले और गर्दन पर लगाया जाता है।
  11. हिचकी कितने समय तक चल सकती है?
    हिचकी आमतौर पर अधिकांश मामलों में थोड़ी देर में ठीक हो जाती है, लेकिन कुछ मामलों में यह लंबे समय तक चल सकती है, जो बीमारी के लक्षण हो सकते हैं।
  12. क्या हिचकी का अस्तित्व किसी अन्य समस्या का संकेत हो सकता है?
    हिचकी अक्सर अलग-अलग कारणों से होती है, लेकिन यदि यह बार-बार होती है और इसके साथ अन्य लक्षण भी होते हैं जैसे कि पेट में दर्द, गले में जलन, या अपाक होने की समस्या, तो यह अन्य समस्या का संकेत हो सकता है और चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
  13. क्या शिशुओं और बच्चों को भी हिचकी हो सकती है?
    हां, शिशुओं और बच्चों को भी हिचकी हो सकती है, लेकिन इसकी वजह आमतौर पर अलग होती है और उन्हें इसकी आवाज़ उचालने में मदद की जरूरत होती है।
  14. क्या हिचकी से बचाव के लिए कुछ योगाभ्यास हैं?
    हां, कुछ योगाभ्यास हैं जैसे कि प्राणायाम, जो तनाव को कम करने और पाचन को सुधारने में मदद कर सकते हैं, जिससे हिचकी से बचाव हो सकता है।
  15. क्या हिचकी को रोकने के लिए किसी खास पोशाक का उपयोग किया जा सकता है?
    हां, कई लोगों को यह माना जाता है कि बिना कमरबंद या बिना पांचों के बार-बार हिचकी हो सकती है।

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