ब्रोन्काइटिस रोग: उसकी उत्पत्ति को समझना
ब्रोन्काइटिस का मतलब है कि ब्रोंकियल ट्यूब्स और हवा के नलियों की मुख्या परतों में सूजन हो जाती है। यह स्थिति ब्रोन्काइटिस के रूप में जानी जाती है। यह अक्सर बच्चों और बुजुर्गों को प्रभावित करता है। सर्दी में पड़ना, गीले कपड़े पहनना, बारिश में भिगना, नमी में सोना या बीमारियों जैसे कि टाइफाइड, कालाजार, मलेरिया, खसरा, या लंबे समय तक काली खांसी के कारण शरीर कमजोर हो जाता है, जिससे वायु नलियों में सूजन हो जाती है।”
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ब्रोन्काइटिस रोग के लक्षण
ब्रोन्काइटिस के लक्षणों की शुरुआत सिर में दर्द से होती है। इसके बाद, हल्का बुखार होता है और छाती में गर्माहट महसूस होती है। स्वर में बदलाव आता है और श्वास लेने में कठिनाई होती है। प्रारंभ में सूखी खांसी होती है, फिर उसके बाद खास कफ वाली खांसी होती है। अंत में, कफ गाढ़ा और पीला हो जाता है।
जीभ पर लिपटा मैल महसूस होता है और पेशाब की मात्रा कम हो जाती है। रोग बढ़ते समय, श्वास लेने में और भी कठिनाई होती है और गले से घर-घरं की आवाज निकलती है। तापमान 104 डिग्री तक बढ़ सकता है और शरीर में ठंडा लेसदार पसीना आ सकता है। आंखों में सूखापन होता है और हाथ-पैर ठंडे महसूस होते हैं। इसके अतिरिक्त, शरीर पर पीलापन भी दिखाई देता है।”
ब्रोन्काइटिस रोगों के लिए घरेलू उपचार
ब्रोन्काइटिस एक गंभीर श्वसन विकार है जो श्वासन नलिकाओं को प्रभावित कर सकता है। यह विकार श्वासन नलिकाओं में सूजन और श्लेष्मा उत्पन्न कर सकता है, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है। अगर आपको भी ब्रोन्काइटिस की समस्या है और आप घरेलू नुस्खों की तलाश में हैं, तो यहां कुछ प्रभावी और सुरक्षित उपचार हैं:
- सेब का रस: सेब को भूनकर उसका रस निकालें और इसमें गुनगुना पानी मिलाकर पिएं। सेब में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स और विटामिन सी ब्रोन्काइटिस के इलाज में मदद कर सकते हैं।
- आम की गुठली: आम की गुठली को पीसकर शहद के साथ सेवन करने से ब्रोन्काइटिस के लक्षणों में आराम मिल सकता है।
- बहेड़ा: बहेड़ा को भूनकर उसका चूर्ण बनाएं और इसे दिन में तीन बार सेवन करें। यह श्वसन नलिकाओं को शांति प्रदान कर सकता है।
- तुलसी, अदरक और कालीमिर्च: तुलसी का रस, अदरक का रस, और कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर शहद में पीने से श्वसन नलिकाओं की सूजन में कमी हो सकती है।
- गाजर का रस: गाजर के रस में थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से श्वसन नलिकाओं को लाभ मिल सकता है।
- लौंग, बनफशा, कालीमिर्च, और तुलसी की चटनी: पांच लौंग, थोड़ा-सा गुल बनफशा, चार दाने कालीमिर्च और पांच पत्ते तुलसी को मिलाकर शहद में बनाएं और इसे एक सप्ताह तक रोज़ाना खाएं।
- सोडा और पान: खाने के साथ जरा-सा सोडा डालकर धीरे-धीरे चबाएं और पीक निगलते रहें।
- हल्दी और अदरक: हल्दी और अदरक के छोटे टुकड़े मुंह में डालकर धीरे-धीरे चूसें।
- धनिया, कालीमिर्च, और मिश्री का पानी: तीनों 4-4 ग्राम धनिया, कालीमिर्च और मिश्री को पीसकर पानी के साथ लें।
- शहद और नीबू का पानी: दो चम्मच शहद, आधा चम्मच ग्लिसरीन, दो लौंग, और पांच पत्ते तुलसी को एक कप पानी में उबालें। फिर इसमें आधा नीबू का रस मिलाकर पिएं।
- चार चम्मच गाजर के रस के साथ उपयोग करें: गाजर का रस लेकर उसमें थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाएं और सेवन करें।
- नीम, मुलहठी, लौंग, और कालीमिर्च की गोलियां:
- नीम की कोंपलें 25 ग्राम, मुलहठी 20 ग्राम, लौंग पांच दाने, कालीमिर्च चार दाने, और बूरा 20 ग्राम- इन सभी को पीसकर गोलियों की तरह बना लें। प्रतिदिन सुबह और शाम को चार-चार गोलियां खाएं।
- हल्दी, सज्जीखार, और गुड़ की गोलियां: हल्दी (पिसी हुई) 10 ग्राम, सज्जीखार 3 ग्राम, और पुराना गुड़ 25 ग्राम- इन सभी को पीसकर छोटी गोलियों की तरह बना लें। प्रतिदिन सुबह एक गोली मुंह में रखकर चबाएं।
- मुलहठी का चूर्ण: मुलहठी का आधा चम्मच चूर्ण पान में रखकर खाने से श्वास नली की सूजन कम हो जाती है।
- सिरस के बीज और गुड़ का पानी: 50 ग्राम सिरस के बीज को दो कप पानी में उबालें, फिर उसमें 50 ग्राम गुड़ मिलाएं और उबालें। जब पानी गाढ़ा हो जाए, तो गरम-गरम चाय के रूप में सेवन करें।
- लहसुन की सेंकना: लहसुन को कुचलकर एक कपड़े में रखें और उससे गला और छाती की सेंकाई करें।
- गिलोय और पीपल के वृक्ष की छाल: गिलोय को कूटकर उसका आधा चम्मच चूर्ण शहद के साथ चाटें, और पीपल के वृक्ष की छाल को सूखा लेकर चूर्ण बनाएं, फिर इसमें हल्दी मिलाकर रोज़ सेवन करें।
- बेलगिरी का चूर्ण: बेलगिरी, बंसलोचन, और कालीमिर्च को समान मात्रा में कूट-पीसकर बनाएं, फिर उसमें थोड़ी मिश्री मिलाकर एक चम्मच चूर्ण सेवन करें।
- सूखे अंजीर: सूखे अंजीर का सेवन करने से भी ब्रोंकाइटिस में लाभ होता है।
- बबूल का गोंद: बबूल का गोंद भूनकर गाय के घी के साथ सेवन करें।
- पुदीने के पत्ते: 3 ग्राम पुदीने के पत्ते सुखाकर अंजीर के साथ खाएं।
- हल्दी का दूध: एक गिलास दूध में दो चम्मच पिसी हल्दी घोलकर पी जाएं।
- चूर्ण बेलगिरी, बंसलोचन, और कालीमिर्च:
- चूर्ण बेलगिरी, बंसलोचन, और कालीमिर्च को समान मात्रा में कूट-पीसकर बनाएं। फिर उसमें जरा-सी मिश्री मिलाकर एक चम्मच चूर्ण सेवन करें।
- सूखा अंजीर: सूखा अंजीर ब्रोन्काइटिस रोग में भी लाभकारी है।
- पीपल, पीपरामूल, सौंठ, और बहेड़ा: पीपल, पीपरामूल, सौंठ, और बहेड़ा को सभी 10-10 ग्राम लेकर अच्छी तरह पीस डालें। इसके बाद 4-4 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम पानी या शहद के साथ उपयोग में लाएं।
- अडूसा, मुनक्का, और मिश्री: अडूसा, मुनक्का, और मिश्री को मिलाकर खाने से ब्रोन्काइटिस खत्म हो जाता है। इसे 8 दिनों तक लगातार सेवन करें।
- तवे पर फिटकरी का फूला: तवे पर फिटकरी का फूला तैयार करें। फिर 4 ग्राम फूला शहद के साथ लें।
ब्रोन्काइटिस रोग कि आयुर्वेदिक दवाईया :
ब्रोन्काइटिस को ठीक करने के लिए आयुर्वेद में कई प्राकृतिक उपचार हैं। यहां कुछ प्रमुख उपाय हैं:
- भीमसेनी कपूर, कस्तूरी, और लौंग: भीमसेनी कपूर, कस्तूरी, और लौंग को एकसाथ पीसकर गोलियां बनाएं। रोज़ाना एक गोली सुबह-शाम लें।
- कालीमिर्च, पीपल, और बहेड़े की छाल: कालीमिर्च, पीपल, और बहेड़े की छाल को एकसाथ पीसकर गोलियां बनाएं और इसे रोज़ाना सुबह-शाम खाएं।
- कुलिंजन और अनार का छिलका: कुलिंजन और अनार के छिलके को पीसकर गोलियां बनाएं और रोज़ाना एक गोली सुबह-शाम लें।
- सोंठ, कालीमिर्च, पौपल, तज, नागकेसर, और लाल इलायची: सोंठ, कालीमिर्च, पौपल, तज, नागकेसर, और लाल इलायची को समान मात्रा में पीसकर गुड़ की चाशनी में मिलाएं। फिर इसमें आधा किलो शहद मिलाकर रोज़ एक चम्मच दवा खाएं। यह भृगु हरीतिका योग है। इसके सेवन से ब्रोन्काइटिस रोग 10 दिनों में चला जाता है।
- चव्य, चित्रक, नागरमोथा, काकड़ासींगी, सोंठ, पीपल, धमासा, भारंगी, और कचूर: चव्य, चित्रक, नागरमोथा, काकड़ासींगी, सोंठ, पीपल, धमासा, भारंगी, और कचूर को समान मात्रा में पीसकर गुड़ की चाशनी में मिला दें। ठंडा होने पर आधा किलो शहद डालें। इसमें से एक चम्मच दवा सुबह और एक चम्मच शाम को सेवन करें।
- छोटी कटेरी का भुरता: छोटी कटेरी का भुरता तैयार करके उसके रस में पीपल का चूर्ण मिलाकर प्रतिदिन एक चम्मच लें।
- कटेरी, गिलोय, सौंठ, और पुष्करमूल: कटेरी, गिलोय, सौंठ, और पुष्करमूल को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर उसमें थोड़ा-सा पुराना गुरु मिलाएं। फिर इसका काढ़ा बनाकर सेवन करें।
- धतूरे के बीज: धतूरे के बीज को शुरू में सात दिन तक एक-एक तथा सात दिन बाद दो-दो बीज एक माह तक सेवन करें। सांस नली की सूजन चली जाएगी।
- हल्दी, कालीमिर्च, किशमिश, पीपल, रासना, और कचूर: हल्दी, कालीमिर्च, किशमिश, पीपल, रासना, और कचूर को बराबर की मात्रा में पीसकर आधा चम्मच चूर्ण गुड़ या शहद के साथ प्रयोग करें।
- आयुर्वेदिक मिश्रण: पारा, शोधित गंधक, लौहसार, रासना, बायविडंग, त्रिफला, देवदारु, सौंठ, कालीमिर्च, पीपल, गिलोय, कमलगट्टा, और शोधित सिंगीमोहरा सबको समभाग में लेकर बारीक पीस डालें। फिर इसमें गुड़ डालकर चने के बराबर गोलियां बना लें। प्रतिदिन एक गोली दूध या हल्की चाय के साथ सेवन करें।
ब्रोन्काइटिस रोग कि होमियोपैथिक दवाईया :
- एलियम सोपा 30: एलियम सोपा 30 की आठ-आठ गोलियां हर 3 घंटे बाद लेने से सांस नली की सूजन ठीक हो जाती है।
- नाक बंद रहे, सांस लेने में कष्ट: सांस में तकलीफ होने पर एकोनाइट नैपेलस 6 का सेवन करें।
- लक्षणों के अनुसार:
- लाइकोपोडियम 30 और एमोन कार्ब: रातभर बेचैनी, सांस तेजी से चले, बार-बार सांस बंद हो जाए, गले में खराबी आदि लक्षणों में लाइकोपोडियम 30 तथा एमोन कार्ब मिलाकर दें।
- जब सूजन बढ़े: यदि ठंडी हवा लगने से सांस नली की सूजन बढ़ जाए तो एकोनाइट नैपेलस 200 दें।
- अतिरिक्त लक्षणों के लिए: कपाल में दर्द, ठंडी हवा लगने से सांस रुंध जाए, कनपटी तथा गले में तीव्र दर्द आदि लक्षणों में एकोनाइट ।
- एलियम सोपा 3: यदि श्वास कष्ट, हिलने-डुलने या चलने-फिरने में कष्ट, गला सांय सांय करे, तन्द्रा का भाव हो तथा श्लेष्मा निकले तो एलियम सोपा 3 का सेवन करें।
- ब्रायोनिया 6: श्वास की साधारण तकलीफ में ब्रायोनिया 6 बहुत लाभदायक है। कंठ नली में श्लेष्मा का घड़घड़ाना, श्वास नली की सूजन के कारण बेहद कष्ट आदि लक्षणों में इसका उपयोग करें।
- काबोंवेज 6 या 30: कंठ नली में श्लेष्मा का घड़घड़ाना, श्वास नली की सूजन के कारण बेहद कष्ट आदि लक्षणों में काबोंवेज 6 या 30 का उपयोग करें।
- पल्सेटिला 3: रात के समय खांसी के साथ-साथ सांस लेने में कष्ट, सांस नली में ठंड का प्रकोप तथा कफ निकले आदि लक्षणों में पल्सेटिला 3 दें।
- टेरिबिन्धिना: अधिक सांस फूलती हो तो टेरिबिन्धिना की 3-4 बूंदें दें।
ब्रोन्काइटिस रोग कि : चुम्बक विधि :
- शक्तिशाली लौह चुम्बक रखें: गले पर एक शक्तिशाली लौह चुम्बक रखने से लाभ होता है।
- दक्षिणी ध्रुव चुम्बक: चुम्बक का दक्षिणी ध्रुव गले पर लगाएं।
- नियमित चुम्बक लगाएं: दिन में चार बार 15 से 30 मिनट तक चुम्बक लगाने से लाभ होता है।
- चुम्बक द्वारा बनाया गया जल: चुम्बक द्वारा बनाया गया जल प्रतिदिन चार बार पीने से लाभ मिलता है।
ब्रोन्काइटिस रोग कि : एक्यूप्रेशर विधि :
- सीधे पैर के अंगूठे के नीचे दबाव डालें: पैर के अंगूठे के नीचे, अंगूठे से कुछ नीचे तलवे पर, और हाथ की हथेली पर अंगूठे के नीचे दबाव डालना चाहिए।
- दाएं हाथ और पैर पर दबाव डालें: दाएं हाथ की हथेली की तरफ से अंगूठे पर, दाएं पैर के तलवों की गदेली पर, और दाएं हाथ की हथेली पर (बीचो-बीच में) धीरे-धीरे दबाव डालें।
- श्वास सम्बंधी रोगों के लिए अंगूठे पर प्रेशर दें: श्वास सम्बंधी प्रत्येक रोग में, स्नायु-संस्थान के छाया बिन्दुओं पर भी अंगूठे से प्रेशर देना चाहिए। इसके लिए, दाएं पैर के अंगूठे के पास वाली नस तथा दाएं हाथ की घाई के बीच में दबाव दें।
ब्रोन्काइटिस रोग मे सावधानियाँ:
- श्वास नली को हानि पहुंचाने वाले पदार्थों का सेवन न करें: ब्रोन्काइटिस के मामले में, विविध प्रकार के धूल, धूप, अधिक गर्मी, और अधिक सर्दी से बचें।
- पोषण से समृद्ध भोजन का सेवन करें: सप्ताह में कम से कम तीन दिन मूंग की दाल की पतली खिचड़ी का अवश्य सेवन करें। उबली हुई सब्जियाँ इस रोग में लाभदायक हो सकती हैं।
- फलों का चयन सावधानी से करें: फलों में सेब, नाशपाती, संतरा, चीकू, केला, अनन्नास, और गन्ना का सेवन न करें। हालांकि, खूबानी, पपीता, लोकाट, मौसमी, आम, और आडू खाया जा सकता है। बेल का शरबत भी लाभकारी हो सकता है, लेकिन बर्फ डालकर न पिएं।
ब्रोन्काइटिस रोग मे अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न(FAQ on bronchitis)
प्रश्न 1 : ब्रोन्काइटिस रोग क्या है?
उत्तर: ब्रोन्काइटिस एक प्रकार की फेफड़ों की समस्या है जो फेफड़ों की ऊपरी वाहिकाओं को लक्ष्य बनाती है। यह फेफड़ों की ऊपरी वाहिकाओं का संचारन संबंधी रोग होता है, जो फेफड़ों को संक्रमित और सूजित करता है, जिससे यहाँ तक कि वाहिकाएँ विकसित होती हैं।
प्रश्न 2 : ब्रोन्काइटिस के कारण क्या होते हैं?
उत्तर: ब्रोन्काइटिस के मुख्य कारण वायुमंडलीय प्रदूषण, सिगरेट धूम्रपान, वायुमंडलीय अशुद्धता, या फिर अन्य अंतर्निहित संक्रमण हो सकते हैं।
प्रश्न 3 : ब्रोन्काइटिस के लक्षण क्या होते हैं?
उत्तर: ब्रोन्काइटिस के लक्षण श्वासनली में गुदगुदाहट, खांसी, फेफड़ों की दर्द, बुखार, थकान, और छाती की बहुतायत में बालगम शामिल हो सकते हैं।
प्रश्न 4 : ब्रोन्काइटिस के उपचार में क्या सहायक हो सकता है?
उत्तर: ब्रोन्काइटिस के उपचार में आराम करना, दवाइयों का सेवन, प्रयोगशाला परीक्षण, और योग जैसे उपाय शामिल हो सकते हैं।
प्रश्न 5 : ब्रोन्काइटिस का इलाज कैसे होता है?
उत्तर: ब्रोन्काइटिस का इलाज आमतौर पर दवाइयों के सेवन, प्रयोगशाला परीक्षण, और आराम के साथ होता है। अधिक संगीन रोगों में, चिकित्सक ने कभी-कभी अस्पताल में भर्ती करने की सिफारिश कर सकते हैं।
प्रश्न 6 : ब्रोन्काइटिस रोग के उपचार में क्या सहायक हो सकता है?
उत्तर: ब्रोन्काइटिस के उपचार में आराम करना, दवाइयों का सेवन, प्रयोगशाला परीक्षण, प्राकृतिक घरेलू उपचार और स्वस्थ जीवनशैली, जैसे कि स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, और धूप से बचाव, सहायक हो सकता है।
प्रश्न 7 : ब्रोन्काइटिस से बचाव के उपाय क्या हैं?
उत्तर: ब्रोन्काइटिस से बचाव के उपाय में सिगरेट धूम्रपान से बचाव, वायुमंडलीय प्रदूषण से दूर रहना, आपके प्रदूषण के संदर्भ में संज्ञान की जांच करें, नियमित व्यायाम करें, स्वस्थ आहार लें, और सहायक इलाज के लिए चिकित्सक की सलाह लें।
प्रश्न 8 : ब्रोन्काइटिस के कितने प्रकार होते हैं और उनका अंतर क्या है?
उत्तर: ब्रोन्काइटिस के दो प्रमुख प्रकार होते हैं: अधिक तर मुख्यत: अबजेक्टिव और क्रोनिक। अबजेक्टिव ब्रोन्काइटिस बार-बार होता है और आमतौर पर जल्दी ठीक हो जाता है, जबकि क्रोनिक ब्रोन्काइटिस लंबे समय तक चल सकता है और अक्सर अस्थायी लक्षणों के साथ होता है।
कृपया ध्यान दें कि यह सलाह एक चिकित्सक द्वारा निर्धारित उपचार के साथ अपनाए जाने चाहिए।
इन निर्देशों का पालन करने से ब्रोन्काइटिस रोग में राहत मिल सकती है और रोगी जल्दी स्वस्थ हो सकता है। ऐसी ही जानकारी के लिए आप हमारी वेबसाईट पर विज़िट कर सकते है । पोस्ट कैसी लगी कमेन्ट करके जरूर बताये