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रोग की उत्पत्ति: खांसी रोग के पीछे के कारण
खांसी अपने आप में कोई रोग नहीं है, बल्कि यह अन्य रोगों का लक्षण है। चिकित्सकों ने कई खोजों के आधार पर यह सिद्ध किया है कि खांसी विभिन्न रोगों का परिणाम हो सकती है।
खांसी निम्नलिखित रोगों के कारण हो सकती है:
- सर्दी: सामान्य सर्दी के दौरान खांसी एक आम लक्षण है।
- न्यूमोनिया: फेफड़ों के संक्रमण से होने वाली इस स्थिति में खांसी हो सकती है।
- काली खांसी: इस बीमारी में खांसी के तेज दौरे पड़ते हैं।
- तपेदिक (टीबी): फेफड़ों में बैक्टीरियल संक्रमण के कारण तपेदिक में खांसी होती है।
- अस्थमा: श्वसन तंत्र की इस बीमारी में खांसी और घरघराहट होती है।
- ब्रोन्काइटिस: श्वासनली की सूजन के कारण यह बीमारी होती है और खांसी होती है।
- प्लूरिसी: फेफड़ों और छाती की परत में सूजन के कारण होने वाली इस स्थिति में खांसी हो सकती है।
- यकृत की व्याधि: कुछ यकृत की बीमारियों में खांसी एक लक्षण हो सकती है।
खांसी तीन प्रकार की होती है:
- सूखी खांसी: इस प्रकार की खांसी में बलगम नहीं निकलता है।
- काली खांसी: इसमें तेज दौरे पड़ते हैं।
- तर या कफ वाली खांसी: इस प्रकार की खांसी में कफ निकलता है।
रोग के लक्षण: खांसी रोग के संकेत और प्रभाव
खांसी के उठने पर कई लक्षण स्पष्ट होते हैं जो इस समस्या को पहचानने में मदद करते हैं। यहां खांसी के प्रमुख लक्षणों का विवरण दिया गया है:
- खों-खों की आवाज: खांसी उठने पर मुंह से खों-खों की आवाज निकलती है।
- छाती का धड़कना: खांसी के दौरान छाती धड़कने लगती है, जिससे बेचैनी हो सकती है।
- सूखी खांसी रोग : इस प्रकार की खांसी में बलगम नहीं निकलता है। रोगी खांसते-खांसते बेदम-सा हो जाता है और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है।
- बलगमी खांसी रोग: इस खांसी में कफ बाहर निकलता है, जिससे छाती में जकड़न और असहजता होती है।
- काली खांसी रोग: दौरे के रूप में उठने वाली इस खांसी में छाती में अधिक तकलीफ होती है। खांसी के दौरे अचानक और तीव्र हो सकते हैं।
- छाती में जकड़न: खांसी के कारण छाती में जकड़न महसूस होती है, जिससे सांस लेने में परेशानी हो सकती है।
- नींद और उबासी में रुकावट: खांसी के कारण रोगी की नींद और उबासी में रुकावट आती है, जिससे थकान और कमजोरी हो सकती है।
घरेलू निदान: खांसी से राहत पाने के उपाय
खांसी रोग से राहत पाने के लिए कई प्रभावी घरेलू उपचार हैं जो आसानी से उपलब्ध सामग्रियों का उपयोग करते हैं। यहां कुछ ऐसे नुस्खे दिए गए हैं जो खांसी को कम करने में मदद कर सकते हैं:
- हल्दी और नमक: थोड़ी-सी हल्दी और चुटकी भर नमक को पानी में मिलाकर पिएं।
- गुड़ और घी: थोड़ा-सा गुड़ और एक चम्मच घी मिलाकर खाने से सूखी खांसी में राहत मिलती है।
- काला नमक: काला नमक का टुकड़ा धीरे-धीरे चूसने से खांसी रुक जाती है।
- अमलतास और मिश्री: अमलतास का गूदा 10 ग्राम और मिश्री 10 ग्राम दोनों को खरल करके चटनी बना लें। कुछ दिनों तक इसका सेवन करने से हर प्रकार की खांसी ठीक हो जाती है।
- इमली के बीज: इमली के बीज भूनकर उनके ऊपर से लाल छिलका निकाल लें। फिर बीजों को पीसकर चूर्ण बनाएं। यह चूर्ण आधा चम्मच शहद के साथ सेवन करें।
- अड़सा और तुलसी: अड़सा और तुलसी के पत्तों का रस, दोनों एक-एक चम्मच लेकर शहद के साथ चाटें। इससे सूखी खांसी शीघ्र ही दूर हो जाती है।
- मुलहठी, सोंठ और अदरक: मुलहठी (पिसी हुई) एक चम्मच, सोंठ आधा चम्मच, और अदरक का रस एक चम्मच, इन तीनों को शहद में मिलाकर सेवन करें।
- बादाम और शहद: काली खांसी होने पर दो बादाम के छिलके उतारकर पानी में घिस लें। फिर शहद मिलाकर सेवन करें।
- बबूल की छाल: बबूल की छाल का काढ़ा पीने से खांसी में बहुत आराम मिलता है।
- सुहागा और शहद: सुहागे को तवे पर फुला लें। फिर एक चुटकी सुहागे का सेवन शहद के साथ करें।
आयुर्वेदिक चिकित्सा: खांसी के उपचार के पारंपरिक उपाय
आयुर्वेद में खांसी के इलाज के लिए कई प्रभावी और प्राकृतिक नुस्खे हैं। यहां कुछ आयुर्वेदिक उपाय दिए जा रहे हैं जो खांसी को कम करने में सहायक हो सकते हैं:
- आक की गोलियां: आक के पत्ते, मैनसिल, सोंठ, कालीमिर्च और पीपल को बराबर मात्रा में लेकर गुड़ में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। एक गोली सुबह और एक गोली शाम को पानी के साथ खाएं।
- मिश्रित चूर्ण: 1 रत्ती चव्य, 2 रत्ती चित्रक, 3 रत्ती नागरमोथा, 4 रत्ती काकड़ासींगी, आधा चम्मच सोंठ, आठ दाने पीपल, थोड़ी-सी भारंगी और 2 रत्ती कचूर को पीसकर चूर्ण बनाएं। आधा चम्मच चूर्ण शहद के साथ लें।
- आक के फूल और लौंग: आक के फूल के बीज और लौंग, दोनों 1-1 रत्ती लेकर पीसकर शहद के साथ सुबह-शाम चाटें।
- शिंगरफ मिश्रण: शिंगरफ, कालीमिर्च, नागरमोथा और शोधित सिंगीमोहरा को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। फिर इसे अदरक के रस में घोलकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। रोज एक-एक गोली शहद के साथ सेवन करें।
- मिश्रित चूर्ण और मिश्री: 10 माशे लौंग, 10 माशे पीपल, 10 माशे जायफल, 20 माशे कालीमिर्च, 3 ग्राम सोंठ और थोड़ी-सी मिश्री को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। आधा-आधा चम्मच चूर्ण सुबह-शाम शहद के साथ लें।
- गोलियां: हरड़ की छाल, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, चव्य, चित्रक, सफेद जीरा और गिलोय को 10-10 माशे लेकर पीस लें। फिर इसमें थोड़ा-सा गुड़ मिलाकर बेर के बराबर गोलियां बना लें। नित्य सुबह-शाम एक-एक गोली गुनगुने पानी से सेवन करें।
- छोटी कटेरी का भुरता: छोटी कटेरी का भुरता करके उसके रस में पीपल का चूर्ण मिलाकर आधा कप प्रतिदिन पिएं।
- गुड़ और चूर्ण की गोलियां: पीपल, पुष्करमूल, हरड़ की छाल, सोंठ, कचूर और नागरमोथा को 5-5 ग्राम कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। अब इसमें थोड़ा-सा गुड़ मिलाकर 6-6 रत्ती की गोलियां बनाएं। सुबह-शाम एक-एक गोली पानी से खाएं।
होम्योपैथिक चिकित्सा: खांसी रोग के लिए प्रभावी उपचार
- बलगमी खांसी, काली खांसी और बार-बार तड़पाने वाली खांसी:
- जस्टिसिया अधाटोढा: बलगमी खांसी, काली खांसी, और बार-बार तड़पाने वाली खांसी रोग के लिए उपयोगी है।
- सोने के बाद खांसी और कफ निकलने पर आराम:
- लैकेसिस 30: यदि सोने के बाद खांसी आए और कफ निकलने पर आराम मिले तो इसका सेवन करें।
- खाने-पीने से खांसी बढ़ना, मानसिक अशान्ति और तनाव:
- इग्नेशिया 200: इन लक्षणों में उपयोगी है।
- पहली नींद के बाद खांसी, बिस्तर पर लेटते समय खांसी, भारी और तेज खांसी:
- एालिया रेसिमोसा 3 या 30: इन लक्षणों में सहायक है।
- नाक से श्लेष्मा और मुंह से बलगम आना:
- कॉलि आयोड 3 या 30: इस स्थिति में प्रभावी है।
- रात को खांसी अधिक आना:
- हायोसायमस 6: रात को अधिक खांसी आने पर उपयोगी है।
- टांसिल के साथ खांसी:
- हिपर सल्फ 6 और कैल्केरिया फॉस: पर्यायक्रम से लें।
- सूखी या भारी कफ वाली खांसी, धड़-धड़ की आवाज, गरम चीजें खाने से आराम, सर्दी की ऋतु में खांसी:
- हिपर सल्फ 200: इन लक्षणों में सहायक है।
- जुकाम के कारण खांसी, कफ बनना, खांसते-खांसते उबकाई आना:
- इपिकाक: इन लक्षणों में दें। यदि इससे लाभ न हो तो काबोंवेज दें।
- निरंतर खांसी, शाम और रात को बढ़ जाना, लेटने पर खांसी, खांसते-खांसते उठ बैठना, काफी देर खांसने के बाद कफ निकलना:
- कोनियम सेक 3 या 30: इस स्थिति में उपयोगी है।
- रात में खांसी बढ़ना:
- ब्रायोनिया 30 और रसटाक्स 30: बारी-बारी से लें।
- सूखी खांसी:
- नक्स वोमिका 30: सूखी खांसी रोग में उपयोगी है।
चुम्बक चिकित्सा: खांसी रोग से राहत पाने के उपाय
चुम्बक चिकित्सा भी खांसी के उपचार में सहायक हो सकती है। यहां कुछ चुम्बक चिकित्सा के उपाय दिए गए हैं:
- कलाई के बाहरी किनारे पर उत्तरी ध्रुव: कलाई के बाहरी किनारे पर अंगूठे की सीध में उत्तरी ध्रुव का चुम्बक प्रतिदिन लगभग 20 मिनट तक लगाएं।
- गर्दन के मोड़ के नीचे दक्षिणी ध्रुव: गर्दन के मोड़ से कुछ नीचे की ओर दक्षिणी ध्रुव का चुम्बक लगाएं।
- चुम्बक का उपयोग: खांसी दूर करने के लिए कम से कम 20 मिनट तक चुम्बक का उपयोग करें।
एक्यूप्रेशर चिकित्सा : खांसी से राहत पाने के उपाय
- खांसी के रोग में पिट्यूटरी ग्रंथि, पीनियल ग्रंथि, थायरॉइड ग्रंथि तथा एड्रिनल ग्रंथियों के छाया बिन्दुओं पर प्रेशर दिया जाता है।
- सबसे पहले दाएं पैर के अंगूठे पर दबाव डालें। इसके बाद दाएं पैर के तलवे में और दाएं हाथ की हथेली में अंगूठे के नीचे धीरे-धीरे दबाव डालना चाहिए।
इन उपायों से खांसी में आराम मिल सकता है। हालांकि, यदि खांसी लंबे समय तक बनी रहती है या अधिक गंभीर हो जाती है, तो चिकित्सक से परामर्श लेना आवश्यक है।
खांसी रोग मे सावधानियाँ:
- भोजन संबंधी निर्देश:
- भोजन सादा और उबली हुई सब्जियों का होना चाहिए।
- अधिक गरम या मिर्च-मसाले वाला भोजन, बर्फ, ठंडे फल, और ठंडी तरकारी का सेवन वर्जित है।
- आहार में शामिल करें:
- प्रतिदिन बादाम और लहसुन की चटनी भोजन के साथ अवश्य खाएं।
- परहेज और सावधानियाँ:
- अधिक घूमना-फिरना, और फेफड़ों में सांस द्वारा धूल या धुएं पहुंचने से बचें क्योंकि इससे खांसी बढ़ सकती है।
- अतः घर पर आराम करें।
- रोगी का मनोबल बढ़ाएं:
- रोगी को यह विश्वास दिलाते रहें कि उसकी खांसी बराबर ठीक हो रही है।
इन निर्देशों का पालन करने से खांसी रोग में राहत मिल सकती है और रोगी जल्दी स्वस्थ हो सकता है। ऐसी ही जानकारी के लिए आप हमारी वेबसाईट पर विज़िट कर सकते है । पोस्ट कैसी लगी कमेन्ट करके जरूर बताये