इस ब्लॉग में हम जानेंगे संग्रहणी रोग (IBS) के लक्षण, उपचार, और 20 घरेलू निदान। संग्रहणी रोग, जिसे इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) भी कहा जाता है, एक सामान्य आंतों की समस्या है। यहाँ हम इस रोग के विभिन्न लक्षणों के साथ-साथ प्रभावी घरेलू उपचारों और आयुर्वेदिक निदानों पर चर्चा करेंगे, जो इस समस्या से राहत पाने में मदद कर सकते हैं।
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संग्रहणी रोग की उत्पत्ति
संग्रहणी रोग क्यों होता है, इस बारे में अभी तक चिकित्सक किसी ठोस निर्णय तथा प्रमाण पर नहीं पहुंच पाए हैं। मतलब यह है कि इसके वास्तविक कारण के बारे में किसी को कुछ पता नहीं है। यह रोग अधिकतर पतले दस्तों के कारण हो जाता है। जो लोग वसा तथा प्रोटीन का अधिक मात्रा में सेवन करते हैं, उनको भी संग्रहणी रोग हो जाता है। ऐसे में भोजन ठीक प्रकार से नहीं पचता।
संग्रहणी रोग के लक्षण
संग्रहणी रोग में कभी गाढ़ा तो कभी पतला पाखाना होता है। मल में असहनीय दुर्गंध होती है। कुछ रोगियों को दिनभर में 15-20 बार मल त्याग करने के लिए जाना पड़ता है। किसी-किसी रोगी के पेट में दर्द, ऐंठन तथा मरोड़ भी होती है। कुछ रोगियों को मल के साथ रक्त भी आता है। शुरू में सुबह के समय दस्त आता है, लेकिन पेट में दर्द नहीं होता। रोग बढ़ने के बाद सार्यकाल के समय भोजन के तुरन्त बाद दस्त होता है।
इसमें पेट अफरना, पेट में गुड़गुड़ाहट, दुर्गंधित अपान वायु, बदहजमी, मंदाग्नि, नाड़ी दुर्बलता, मुख से लार टपकना, उदासी, हल्का ज्वर, वमन, खट्टी डकारें, श्वास लेने में बेचैनी आदि लक्षण दिखाई देते हैं। बच्चों को दर्द के साथ गांठदार मल बाहर आता है। पसीना अधिक निकलता है। शरीर में हरारत की शिकायत हो जाती है।
संग्रहणी रोग के 20 घरेलू उपाय
- सफेद राल 10 ग्राम और देशी खांड़ 20 ग्राम दोनों को महीन करके घोट लें। इसमें से 5-5 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम ठंडे पानी से खिलाएं।
- 100 ग्राम पठानी लोध कूट-पीस लें। इसे दिनभर में तीन बार (सुबह दोपहर शाम) 6-6 ग्राम की माश में ताजे मट्टे के साथ दें।
- 4 ग्राम कच्ची फिटकरी में 1 ग्राम संगे जराहत का भस्म मिलाकर रोगी को दिन में दो बार दूध के साथ हैं।
- आंवले की चटनी सुबह-शाम खिलाएं।
- प्याज के रस में नमक मिलाकर 15 दिनों तक लेने से संग्रहणी का रोग जाता रहता है। अजवायन, छोटी हरड़, सेंधा नमक और हींग सब समान मात्रा में
- पीसकर चूर्ण बना लें। एक चम्मच चूर्ण सुबह ताजे पानी के साथ लें। एक कप पानी में दो चम्मच जीरा उबाल लें। फिर पानी को छानकर सुबह-शाम सेवन करें।
- एक चम्मच नीबू का रस, एक कली लहसुन, एक टुकड़ा हरा आंबाने की चटनी खाने में संग्रहणी रोग धनिया, दस कालीमिर्च, जरा-सा काला नमक तथा आधा चम्मच जीरा- सबको पीसकर चटनी बना लें। इसे भोजन के साथ नित्य कुछ दिनों तक खाएं में लाभ होता है
- एक चम्मच अजवायन और 1 चुटकी काला या सेंधा नमक- दोनों को पीसकर सुबह खाली पेट गुनगुने पानी से सेवन करें।
- मूली के रस में जरा-सी खांड़ मिलाकर लेने से खट्टी डकारें भी दूर हो जाती हैं।
- 50 ग्राम सूखा धनिया, 25 ग्राम सेंधा नमक, 25 ग्राम कालीमिर्च और आधा चम्मच तलाव की हींग- सबको पीसकर चूर्ण बना लें। खाना खाने के बाद रोज नियमित रूप से इसका सेवन करें।
- पच्चीस नीम की पत्तियां, तीन लौंग, तीन कालीमिर्च तथा । चुटकी नमक- सबका चूर्ण बनाकर दिनभर में दो बार गरम पानी के साथ लें।
- जीरा, पीपल, सोंठ तथा कालीमिर्च 10-10 ग्राम और काला नमक 5 ग्राम-सबका चूर्ण बना लें। सुबह एक चम्मच चूर्ण गरम पानी के साथ खाएं।
- छाछ में जीरा (भुना हुआ), सोंठ तथा सेंधा नमक-तीनों मिलाकर सेवन करें।
- दिनभर में चार पके केले सेंधा नमक के साथ खाएं।
- 5 ग्राम धनिया तथा 5 ग्राम मिश्री-दोनों का काढ़ा बनाकर सेवन करें। जामुन की छाल सुखाकर पीस लें। आधा चम्मच यह चूर्ण शहद के साथ चाटें।
- अदरक, कालीमिर्च, अनारदाना, काला नमक, हींग तथा दालचीनी- सब 10-10 ग्राम लेकर चूर्ण बना लें।
- एक चम्मच चूर्ण नित्य दिन के भोजन से पहले सेवन करें।
- पीपल तथा सोंठ के समभाग चूर्ण में थोड़ा-सा गुड़ मिला लें। इसे 3 ग्राम की मात्रा में खाएं।
- एक चम्मच राई तथा सात-आठ मेथी के दाने-दोनों को पीसकर गरम पानी के साथ सेवन करें।
- अनन्नास की फांक पर काला नमक तथा कालीमिर्च का चूर्ण बुरककर खिलाएं।
संग्रहणी रोग कि आयुर्वेदिक चिकित्सा
- देवदारु, ढाक, आक की जड़, गजपीपल, सहिजन तथा असगंध-सबको बराबर की मात्रा में पीस लें। इसमें से एक चम्मच चूर्ण का लेप बनाकर प्रतिदिन पेट पर लगाएं।
- इन्द्रायण, शंखाहुली, दन्ती तथा नीली-सबको बराबर की मात्रा में लेकर गोमूत्र में पीस डालें। प्रतिदिन एक चम्मच चटनी का सेवन करें।
- कच्चे बेल का गूदा तथा सोंठ दोनों की चटनी बनाकर रख लें। उसमें से आधा चम्मच चटनी प्रतिदिन भोजन के साथ ग्रहण करें।
- जवाखार, सज्जीखार, काला नमक, सेंधा नमक, सोंठ, पीपल तथा अजमोद-सबको 2-2 चुटकी लेकर काढ़ा बनाकर सेवन करें।
- अजवायन, झाऊ की जड़, सफेद जीरा, सोंठ, कालीमिर्च तथा छोटी इलायची-सबको बराबर-बराबर मात्रा में पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 6 माशे चूर्ण नित्य गरम पानी से खाएं।
- सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, पांचों नमक तथा सज्जीखार-सब बराबर की मात्रा में लेकर पीस डालें। इसके बाद बिजौरे के रस में मिलाकर जंगली बेर के समान गोलियां बना लें। दो गोली रोज दोपहर के भोजन के बाद खाएं।
- दन्ती, पीपल और सोंठ-सब बराबर की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। प्रतिदिन सुबह आधा चम्मच चूर्ण गरम पानी से खाएं।
- त्रिफले के रस में गोमूत्र मिलाकर सेवन करें।
- अजवायन, धनिया, त्रिफला, बड़ी पीपल, काला जीरा, अजमोद, पीपरामूल तथा बायबिडंग – सब बराबर की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। प्रतिदिन आधा चम्मच चूर्ण गरम पानी से लें।
संग्रहणी रोग कि प्राकृतिक चिकित्सा
- प्रातःकाल एनिमा लेने से पेट की सफाई हो जाती है। इसके बाद उबली हुई सब्जियों के साथ केवल गेहूं
- के चोकर की रोटियां लगभग 15 दिनों तक सेवन करें।
- पेट पर गीली मिट्टी की पट्टी 20 दिनों तक बांधें।
- यदि संग्रहणी अधिक पुरानी न हो तो नित्य चार बार पानी में आधा नीबू निचोड़कर पिएं तथा उपवास करें।
- कमर तक पानी में बैठकर पेट को थोड़ी देर तक पानी में सहलाएं।
- पीठ तथा पेड़ पर 2 मिनट तक पानी की धार छोड़ें।
- सीधे लेटकर गहरी सांस लेते हुए पेट पर 2 मिनट तक पानी की धार छोड़ें।
संग्रहणी रोग कि होमियोपैथिक चिकित्सा
- भोजन के तुरन्त बाद हाजत मालूम पड़े या मुंह से बार-बार लार टपके तो नक्स वोमिका 2 या 6 दें। इसमें आयोड 3 भी उपयोगी है।
- गड भोजन बिना पचे ही शौच में निकल जाए, पाखाना जाते समय पेट में गुड़गुड़ाहट हो, पेट फूले, अपच, अम्लता, उल्टी का भय आदि लक्षणों में पापुलस ट्रिमुलायड्स मूलार्क दें।
- • यदि भोजन हजम न हो, पाचन शक्ति बहुत क्षीण हो, मुंह में खट्टापन, पेट में पीड़ा अथवा कब्ज के कारण शौच में कठिनाई हो तो हिपर सल्फ 3 या 30 दें।
- खाना थोड़ा-सा पचने के बाद शौच में निकल जाए, प्यास की अधिकता, आंतों में दर्द आदि लक्षणों में सोरियम ऑक्जैलिकम का प्रयोग करें।
- सीपिया 30 का सेवन भी संग्रहणी रोग में लाभकारी है।
- पेट फूले, दर्द, बदबूदार खट्टी डकारें, कब्ज, पतले दस्त, अपच आदि में हाइड्रैस्टिस 30 दें।
संग्रहणी रोग कि चुम्बक चिकित्सा
- चुम्बक का उत्तरी ध्रुव नाभि पर 20-30 मिनट तक लगाएं।
- चुम्बक सुबह-शाम दो बार लगाएं।
- चुम्बक से प्रभावित जल दिन में चार बार पिएं।
संग्रहणी रोग कि एक्यूप्रेशर चिकित्सा
- सोधे पैर की एड़ी के पास तथा पेट पर नाभि के नीचे अंगूठे से प्रेशर डालें।
- दोनों पंजों के दूसरी तरफ तथा अंगूठों की घाई के पास उंगली से दबाव दें।
जरूरी बाते –
हालाकि हमने ऊपर सभी तरह कि दवाइयों के बारे मे बताया है लेकिन अगर आप नीचे दिए गए निर्देशों को पालन करते है तो आपको कब्ज कि समस्या नहीं होगी और आप स्वास्थ्य रहेंगे –
- साग, सब्जी, फल तथा रेशे वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
- आटे में बराबर की मात्रा में चोकर मिलाकर रोटी बनवाएं। रोटी को अच्छी तरह चबा-चबाकर खाएं।
- कौर मुंह में दबाकर लार से अच्छी तरह भिगोकर निगलें।
- मिर्च, मसाले, मांस, मछली, अंडे, शराब, चाय, कॉफी, पान मसाला आदि का सेवन न करें।
- सुबह अनार का रस एक कप की मात्रा में लें।
- यदि पुरानी बीमारी हो तो पतली खिचड़ी में जीरे का चूर्ण बुरककर खाएं। दिनभर में 10-12 गिलास पानी पिएं, परन्तु भोजन के साथ पानी न लें।
- जाड़ों में गुनगुना पानी तथा गर्मी में ताजा पानी (फ्रिज का नहीं) पिएं।
संग्रहणी रोग के महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर –
- प्रश्न : संग्रहणी रोग क्या है?
उत्तर: संग्रहणी रोग (IBS) एक आम पाचन तंत्र की बीमारी है जिसमें पेट में दर्द, गैस, दस्त, कब्ज या दोनों होते हैं। यह एक दीर्घकालिक स्थिति है, लेकिन यह पेट की सामान्य संरचना को नुकसान नहीं पहुंचाती। - प्रश्न : संग्रहणी रोग के लक्षण क्या हैं?
उत्तर: संग्रहणी रोग के मुख्य लक्षणों में शामिल हैं:
1. पेट में दर्द या ऐंठन
2. गैस बनना
3. दस्त और कब्ज का बार-बार होना
4. मल में परिवर्तन
5. सूजन और भारीपन का अनुभव - प्रश्न : संग्रहणी रोग के कारण क्या हैं?
उत्तर: संग्रहणी रोग के कारण पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:
1. आंत की मांसपेशियों की असामान्य गतिशीलता
2. आंत में सूजन
3. आंत की नसों की अति संवेदनशीलता
4. मानसिक तनाव और चिंता - प्रश्न : संग्रहणी रोग का निदान कैसे किया जाता है?
उत्तर: संग्रहणी रोग का निदान करने के लिए डॉक्टर सामान्यतः निम्नलिखित परीक्षण करते हैं:
1. चिकित्सा इतिहास और शारीरिक परीक्षा
2. रक्त परीक्षण
3. मल परीक्षण
4. कोलोनोस्कोपी या सिग्मॉइडोस्कोपी - प्रश्न : संग्रहणी रोग का इलाज कैसे किया जा सकता है?
उत्तर: संग्रहणी रोग का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है:
1. आहार में परिवर्तन
2. तनाव प्रबंधन
3. दवाएं
4. प्रोबायोटिक्स
5. योग और ध्यान - प्रश्न : संग्रहणी रोग में कौन से आहार लेने चाहिए?
उत्तर: संग्रहणी रोग में निम्नलिखित आहार लेने चाहिए:
1. उच्च फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ (जैसे फल, सब्जियाँ और साबुत अनाज)
2. लस मुक्त आहार
3. कम फोडमेप्स आहार (Low FODMAP diet)
4. प्रीबायोटिक्स और प्रोबायोटिक्स - प्रश्न : संग्रहणी रोग में कौन से आहार से बचना चाहिए?
उत्तर: संग्रहणी रोग में निम्नलिखित आहार से बचना चाहिए:
1. तला और मसालेदार भोजन
2. कैफीन और अल्कोहल
3. डेयरी उत्पाद (अगर लैक्टोज असहिष्णुता है)
4. प्रोसेस्ड फूड और रेड मीट - प्रश्न : क्या संग्रहणी रोग के लिए कोई घरेलू उपाय हैं?
उत्तर: हाँ, संग्रहणी रोग के लिए कुछ घरेलू उपाय निम्नलिखित हैं:
1. पुदीना का तेल
2. अदरक
3. तिल के बीज
4. सौंफ
5. कच्ची हल्दी
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