“अरुचि”, जिसे हिंदी में “भूख न लगना” के रूप में जाना जाता है, एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या है जिसमें व्यक्ति को भोजन करने की इच्छा नहीं होती। यह समस्या अनेक कारणों से हो सकती है और अनेक स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं के लक्षण हो सकते हैं। इस लेख में, हम अरुचि के कारणों, लक्षणों और संभवित उपचार की चर्चा करेंगे।
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अरुचि का कारण (loss of appetite causes)
अरुचि का मतलब है- भोजन करने की इच्छा न होना। यह रोग चिन्ता, भ्रम, घबराहट, क्रोध, ईर्ष्या-द्वेष तथा कब्ज, खसरा, न्यूमोनिया, चेचक, मलेरिया, अनिद्रा, आमाशय में दर्द, कैन्सर, आंतों में किसी प्रकार का दर्द एवं जिगर की खराबी आदि के कारण हो जाता है।
अरुचि के लक्षण (symptoms for loss of appetite)
अरुचि होने पर कुछ भी खाने की इच्छा नहीं होती। बेचैनी तथा उदासी छाई रहती है। मुंह का स्वाद बिगड़ जाता है । वस्तु को देखकर मन में वितृष्णा उत्पन्न हो जाती है। चूंकि पाचन संस्थान में गड़बड़ी होती है, अतः भोजन से मन हट जाता है। न खाने के कारण भूख कम हो जाती है तथा शरीर में कमजोरी आ जाती है।
उपचार (loss of appetite treatment)-
20 घरेलू उपचार
- छोटी हरड़ को देशी घी में भून-पीस लें। फिर उसमें जरा-सा काला नमक मिलाकर 1 चुटकी चूर्ण भोजन के बाद ग्रहण करें।
- एक चम्मच अदरक का रस और दो कालीमिर्च का चूर्ण- दोनों को शहद में मिलाकर सेवन करें। पीपल (पिप्पली) का चूर्ण नित्य शहद के साथ चाटें।
- काला जीरा, गुड़, राई, अदरक तथा नीबू का रस-इन सबकी घटनी बनाकर सुबह-शाम खाएं।
- तुलसी के पत्तों का रस एक चम्मच, अदरक का रस एक चम्मच तथा दो कालीमिर्च का चूर्ण- तीनों चीजें शहद में मिलाकर सेवन करें।
- सेंधा नमक, साँठ तथा हरीतिकी सब बराबर की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। 3 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन दोपहर के भोजन के बाद खाएं।
- दालचीनी, सोंठ तथा लाल इलायची तीनों 10-10 ग्राम कूट- पोसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 2 ग्राम चूर्ण जल के साथ लें। धनिये का चूर्ण 100 ग्राम तथा सोंठ का चूर्ण 100 ग्राम दोनों को मिलाकर एक शीशी में रख लें। प्रतिदिन 3 ग्राम चूर्ण एक कप पानी में औटाकर उसका काढ़ा पिएं।
- अदरक के रस के साथ कालीमिर्च के सेवन से अरुचि दूर होती है
- सोंठ, पीपल, कालीमिर्च और आंवला चारों 10-10 ग्राम लेकर चूर्ण बना लें। प्रतिदिन सुबह-शाम भोजन से पहले ठंडे पानी के साथ इसका सेवन करें।
- शंख भस्म 1 ग्राम और सोंठ का चूर्ण आधा ग्राम-दोनों को शहद में मिलाकर दिन में चार बार चाटें। पीपरामूल, जवाखार, सज्जीखार और पांचों नमक-सबको पीसकर 3 ग्राम की मात्रा में नीबू के रस में मिलाकर सुबह-शाम चाटें।
- प्रतिदिन भोजन से पहले अदरक की एक छोटी गांठ चबाकर खाएं।
- तीन कालीमिर्च, तीन लौंग, दस पत्तियां नीम और 1 चुटकी काला नमक- सबको मिलाकर चूर्ण बना लें।
- प्रतिदिन 2 चुटकी चूर्ण खाना खाने से पहले ठंडे पानी के साथ सेवन करें। एक चम्मच कच्चे पपीते का दूध चीनी के साथ चाटें।
- अदरक के रस में आधा नीबू निचोड़ें और दो लौंग तथा जरा-सा नमक पीसकर मिला लें। यह नुस्खा नित्य सुबह-शाम भोजन के बाद सेवन करें।
- एक चम्मच मूली के रस में पिसी मिश्री मिलाकर नित्य सुबह-शाम चाटें।
- सेंकी हुई हींग का चूर्ण आधी चुटकी, जीरे का चूर्ण आधा चम्मच, सोंठ आधा चम्मच तथा सेंधा नमक 1 चुटकी-इन्हें दोपहर के भोजन के बाद खाएं।
- एक कप पानी में दो चम्मच जीरा उबालें। फिर इसे छानकर पी जाएं।
- दही या छाछ में भुना हुआ जीरा, नमक तथा कालीमिर्च का चूर्ण डालकर सेवन करें।
- प्याज काटकर उस पर नीबू का रस निचोड़ दें, फिर उसे चबाकर खाएं।
- गन्ने के सिरके में थोड़ी-सी अदरक, एक पूती लहसुन और जरा-सा काला नमक पीसकर मिला लें। इसका सेवन सुबह-शाम करें। अरुचि दूर हो जाएगी।
- एक चमच अदरक का रस और शहद मिलाकर इसे खाने से भूख बढ़ती है और पाचन क्रिया को सुधारता है।
आयुर्वेदिक उपचार
- गरम दूध या गोमूत्र में एरंड का तेल मिलाकर पीने से अरुचि का रोग खत्म हो जाता है। गरम दूध या गोमक की जड़, गजपीपल, सहिजन और असगंध सबको बराबर की मात्रा में लेकर गौमूत्र में पीस डालें। फिर पेट पर इसका लेप करें। अरुचि दूर करने में यह बहुत गुणकारी है।
- इन्द्रायण, शंखाहुली, दन्ती तथा नीली- इन्हें पानी में पोसकर आधे चम्मच की मात्रा में चटाएं।
- नारायण चूर्ण, नाराच रस और इच्छाभेदी रस-इनमें से कोई एक दवा रात को सोते समय सेवन करें।
- प्रातः शौच जाने के बाद कुल्ला करके यवानी खांडव चूर्ण मुख में रखकर धीरे-धीरे चूसें।
प्राकृतिक उपचार
- किसी टब के कमर तक पानी में बैठ जाएं। फिर 10 मिनट तक पेट तथा छाती सहलाएं।
- पेट पर पानी की धार सुबह और दोपहर को 10 मिनट तक छोड़ें।
- पेट पर काली मिट्टी की पट्टी बांधें। पट्टी सूखने पर उसे गीली कर लें।
- बकरी का दूध पेट पर धीरे-धीरे मलें।
- एक सप्ताह तक उबली हुई लौकी खाएं। भोजन बिल्कुल न करें।
- पानी को मुंह में गुलगुलाकर कुल्ला करें। यह क्रिया तीन मिनट तक लगातार करें।
होमियोपैथिक उपचार
- यदि हर प्रकार के भोजन से रुचि हट जाए तथा दाल, मांस, मछली या प्रोटीन की चीजें हजम न हों तो करें।
- एलन्स रूव मूलार्क का सेवन भूख होने पर भोजन की इच्छा न हो, वमन हो, वमन के साथ रक्त आए तथा पेट में असहनीय दर्द होने पर सोरियम ऑक्जैलिकम 1 विचूर्ण लेना चाहिए।
- भोजन में अरुचि, खाना खाने के बाद पेट में दर्द, ऐंठन, अजीर्ण तथा दस्त आदि में इपिकाक 3, 30, 200 या 1 M दें।
- भोजन में अरुचि, खाना हजम न हो, गले में उंगली डालकर वमन करने से चैन मिलता हो, खाना खाने के थोड़ी देर बाद पेट में नीचे की ओर डकारें उठती हों आदि लक्षणों में नक्स वोमिका 2, 30 या 200 दें।
- भोजन में अरुचि, खाना खाने के बाद पेट में दर्द, मिचली, बेचैनी आदि लक्षणों में पल्सेटिला 6 दें।
- भोजन में अरुचि, भोजन के बाद बार-बार डकारें, कै होने की आशंका आदि लक्षणों में रोबीनिया 3 दें।
- यदि कब्ज के कारण भोजन में अरुचि हो तो लाइकोपोडियम 12 दें।
- खट्टी डकारें, पाचन शक्ति की कमजोरी, भोजन में अरुचि, भोजन हजम न हो, पेट में खराबी, मुंह का स्वाद बदल जाए, कभी-कभी पेट में मरोड़, कुछ खा लेने से पेट दर्द आदि होने पर हिपर सल्फ 3, 30 या 200 लें।
- भोजन में अरुचि, खाना खाने के बाद छाती में जलन, पाकस्थली में दर्द, जी मिचलाए, पेट फूले, कब्ज आदि लक्षणों में फेरम सियानेटम 6 या 30 लें।
- भोजन या किसी भी चीज को खाने में अरुचि, पेटभर जाने जैसी स्थिति, भोजन के बाद बहुत कमजोरी, थकान, पेट फूले, छाती में जलन, अफरा, पेट में वायु भर जाए आदि लक्षणों में चायना मूलार्क 6, 30 या 200 लें।
चुम्बक उपचार
- नाभि पर शक्तिशाली चुम्बक रखें।
- चुम्बक का दक्षिणी ध्रुव लगाएं।
- चुम्बक दिन में दो बार 15-20 मिनट तक लगाएं।
- दिनभर में तीन बार चुम्बक द्वारा प्रभावित जल पिएं।
- माथे पर 10 मिनट तक चुम्बक रखें।
नोट : यदि आपको अरुचि लंबे समय तक बनी रहती है या गंभीर है, तो डॉक्टर से सलाह लेना उचित होगा। वे सही उपचार और सलाह प्रदान कर सकते हैं।
महत्वपूर्ण निर्देश –
हालाकि हमने ऊपर सभी तरह कि दवाइयों के बारे मे बताया है लेकिन अगर आप नीचे दिए गए निर्देशों को पालन करते है तो आपको अरुचि कि समस्या नहीं होगी और आप स्वास्थ्य रहेंगे –
- रोग के मूल कारण का पता लगाएं। भय, क्रोध, चिन्ता तथा शोक आदि से रोगी को बचाएं।
- व्यर्थ के अपवादों से अपने आपको बचाएं ताकि मानसिक शान्ति मिले।
- मिर्च-मसालेदार पदार्थ, बासी भोजन, देर से पचने वाली कड़ी चीजें तथा बासी पानी का सेवन न करें।
- वायु बनाने वाली चीजें न खाएं।
- गेहूं की सादी रोटी, तरोई, टिण्डा, परवल, पालक, मेथी, मूली, टमाटर आदि का सेवन करें।
- बेसन तथा मैदा की चीजें न खाएं। घी-तेल में तली चीजों का सेवन न करें। पपीता, केला, सेब, चीकू, नीबू, ककड़ी, खरबूजा आदि खाएं।
- नित्य प्रातःकाल टहलें। दोपहर के भोजन के बाद आराम करें तथा शाम के भोजन के बाद टहलें।
- सूर्योदय से पूर्व नित्य स्नान करें। स्नान से पहले मालिश करनी लाभदायक होती है।
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