Aak plant benefits in hindi: नेत्र रोग, मिर्गी, दांत दर्द और आधाशीशी के लिए चमत्कारी घरेलू उपाय

आयुर्वेद में कई ऐसे पौधे हैं जिन्हें आम लोग जहरीला समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन असल में वो औषधीय खजाना होते हैं। ऐसा ही एक चमत्कारी पौधा है – आक (Aak plant), जिसे कुछ स्थानों पर मदार, अर्क या विशाल भी कहा जाता है।
यह पौधा जितना रहस्यमयी दिखता है, उतना ही चमत्कारी भी है। आज हम जानेंगे (Aak plant benefits in hindi )आक का पौधा कैसे नेत्र रोग, मिर्गी, दांत दर्द, वमन और आधाशीशी जैसे रोगों में प्रभावी ढंग से काम करता है।

आक के पौधे के फायदे (Aak Plant Benefits in Hindi)

Aak Plant Benefits in Hindi
Aak Plant Benefits in Hindi

आक और नेत्र रोग (Eye Disorders)

आक की छाल और दूध का उपयोग आँखों की जलन, लाली, खुजली, और मोतियाबिंद जैसे रोगों में बहुत उपयोगी माना गया है। नीचे कुछ प्राचीन और प्रभावी प्रयोग दिए जा रहे हैं:

  1. आँखों की लाली और खुजली
    प्रयोग: अर्कमूल की सूखी छाल (1 ग्राम) को 20 ग्राम गुलाब जल में 5 मिनट भिगोकर छान लें। 3 से 5 बूंदें आंखों में डालने से जलन, लाली, दर्द और कीच की अधिकता दूर होती है।
  2. पलकों की सूजन
    प्रयोग: अर्कमूल की छाल को जलाकर कोयला बना लें, फिर पानी में घिसकर पलकों व आसपास हल्के से लेप करें।
  3. चमत्कारी दर्द निवारण प्रयोग
    अगर बायीं आंख में तेज़ दर्द हो तो दाहिने पैर के नाखूनों को, और दायीं आंख हो तो बाएं पैर के नाखूनों को आक के दूध से तर करें।
    ध्यान दें: आंख में आक का दूध नहीं लगना चाहिए, यह हानिकारक हो सकता है।
  4. जाले और फूला रोग
    आक के दूध में पुरानी रूई को तीन बार भिगोकर सुखाएं। फिर इसे गाय के घी में डुबोकर बत्ती बनाएं और जलाएं। रात में इस बत्ती का धुआं आंखों में लगाने से 2-3 दिन में राहत मिलती है।
  5. मोतियाबिंद में प्रयोग
    आक के दूध में पुरानी ईंट का महीन चूर्ण (10 ग्राम) और 6 लौंग मिलाकर बारीक पीस लें। रोज़ाना सुबह इस चूर्ण को नस्य (नाक द्वारा) लेने से मोतियाबिंद और सर्दी-जुकाम में लाभ होता है।

मिर्गी (Epilepsy) में आक के प्रयोग

  1. आक फूल + गुड़
    1 भाग सफेद आक के फूल और 3 भाग पुराना गुड़ मिलाकर चने जितनी गोलियां बनाएं। सुबह-शाम 1 गोली सेवन करें।
  2. आक के फूल + काली मिर्च
    इनसे 300 मिग्रा की गोलियां बनाकर दिन में 3-4 बार सेवन करें।
  3. आक दूध + मिश्री
    125 मिग्रा मात्रा को 10 ग्राम गर्म दूध के साथ सुबह लें।
  4. आक पर पाया जाने वाला टिड्डा
    इस टिड्डे को सुखाकर काली मिर्च के साथ पीस लें। मिर्गी रोगी को नस्य देने पर बेहोशी दूर होती है और रोग में सुधार आता है।

दंत रोग और दर्द में आक के उपयोग

  1. दाढ़ दर्द में
    आक के दूध में रूई भिगोकर घी में मलकर दाढ़ में रखें।
  2. नमक + आक दूध
    इस मिश्रण को दांतों पर लगाएं, दर्द में राहत मिलेगी।
  3. भुनी हुई आक की जड़
    इससे दातुन करने से दंत रोग और पीड़ा दूर होती है।
  4. हिलते दांत निकालना
    हिलते दांत पर आक का दूध लगाएं, दांत आसानी से निकल जाएगा।
  5. मंजन प्रयोग
    8-10 आक के पत्ते, 10 ग्राम काली मिर्च, हल्दी और सेंधा नमक मिलाकर मंजन करें।

वमन (उल्टी) में प्रयोग

अर्कमूल की सूखी छाल को अदरक के रस में मिलाकर गोलियां बना लें।1-2 गोलियां मधु (शहद) या जल के साथ लेने से वमन, मरोड़, प्रवाहिका में राहत मिलती है।

Aak Plant – आयुर्वेद में आक के फायदे और उपयोग
Aak Plant Benefits in Hindi – जानिए कैसे आक का पौधा बन सकता है कई रोगों का आयुर्वेदिक समाधान

आधाशीशी (Migraine) और सिर दर्द में आक

  1. राख + आक दूध
    जंगली कंडों की राख को आक के दूध में तर कर छाया में सुखाएं।125 मिग्रा मात्रा को सूंघने से छींकें आती हैं और आधा शीशी, जुकाम व सिर दर्द में लाभ होता है।
    सावधानी: गर्भवती स्त्रियाँ और बच्चे इसका प्रयोग न करें।
  2. आक के पत्ते का रस
    1-2 पत्तों के रस का नस्य करने से आधा शीशी में आराम मिलता है। प्रयोग तीव्र है, ध्यानपूर्वक करें।
  3. विशेष नस्य चूर्ण
    आक की छाल (10 ग्राम), 7 इलायची, कपूर और पिपरमेंट मिलाकर खरल करें। इसकी सुगंध लेने से सिर दर्द और कफ में लाभ होता है।
  4. आक + अनार छाल
    40 ग्राम अनार की छाल को आक के दूध में गूंथकर रोटी बना लें। सूखने पर जटामांसी, छरीला, कायफल आदि मिलाकर नसवार बनाएं और नस्य करें।
  5. ईंट चूर्ण + लौंग
    ईंट को पीसकर आक दूध में सुखाएं। प्रति 10 ग्राम में 7 लौंग मिलाएं। 125-250 मिग्रा मात्रा में सूंघने से सिर दर्द, मोतियाबिंद, पीनस और नजला में लाभ होता है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs) – Aak Plant Benefits in Hindi

1. आक का पौधा किन-किन रोगों में उपयोगी होता है?
उत्तर: आक का उपयोग आयुर्वेद में नेत्र रोग, मिर्गी, दांत दर्द, आधाशीशी, वमन, मोतियाबिंद, और त्वचा रोग जैसे कई रोगों के इलाज में किया जाता है।

2. क्या आक का पौधा जहरीला होता है?
उत्तर: हां, आक एक विषैला पौधा है। लेकिन आयुर्वेद में इसे विशेष विधियों और मात्रा में प्रयोग करने पर यह औषधीय गुण प्रदान करता है। बिना वैद्य की सलाह के इसका उपयोग नहीं करना चाहिए।

3. क्या आक का दूध आंखों में डाल सकते हैं?
उत्तर: नहीं, आक का दूध आंखों में डालना खतरनाक हो सकता है। परंतु इसकी छाल का गुलाब जल में प्रयोग या बत्ती जलाने जैसी विधियां आंखों के कुछ रोगों में लाभ देती हैं – लेकिन यह भी केवल विशेषज्ञ की सलाह से करें।

4. मिर्गी के इलाज में आक कैसे फायदेमंद है?
उत्तर: आक के फूलों और दूध से तैयार गोलियां (गुड़ व काली मिर्च के साथ) मिर्गी में लाभकारी मानी गई हैं। साथ ही, आक पर मिलने वाले टिड्डे से भी खास नस्य प्रयोग किया जाता है।

5. दांत दर्द और दंत रोगों में आक का क्या उपयोग है?
उत्तर: आक के दूध में रुई भिगोकर दाढ़ में रखना, आक की जड़ से दातुन करना और आक के पत्तों से मंजन बनाकर उपयोग करना दंत रोगों में तुरंत राहत देता है।

6. आक का उपयोग करते समय क्या सावधानियां रखनी चाहिए?
उत्तर: 1.आक विषैला होता है, इसका दूध आंख, मुंह या घाव में न लगे।
2.बच्चों और गर्भवती महिलाओं को इससे दूर रखें।
3.सभी प्रयोग वैद्य की सलाह से ही करें।

7. क्या आक का पौधा घर में लगाना शुभ है?
उत्तर: कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आक भगवान शिव को प्रिय होता है, लेकिन इसका विषैला स्वभाव देखते हुए इसे सुरक्षित स्थान पर ही लगाना चाहिए, जहां बच्चे या पालतू जानवर न पहुंच सकें।

8. क्या आक का प्रयोग आधाशीशी (Migraine) में भी किया जाता है?
उत्तर: हां, आक की राख, दूध और कुछ अन्य औषधियों के साथ बनाए गए नस्य प्रयोग आधाशीशी, सिर दर्द और नजले में राहत देते हैं।

9. आक और मदार क्या एक ही पौधा है?
उत्तर: हां, आक और मदार एक ही पौधे के नाम हैं। इसे संस्कृत में “अर्क”, हिंदी में “आक”, और कुछ क्षेत्रों में “विशाल” भी कहा जाता है।

10. क्या आक का पौधा रोज़ाना सेवन किया जा सकता है?
उत्तर: नहीं, आक का सेवन रोज़ाना नहीं करना चाहिए क्योंकि यह विषैला होता है। इसका उपयोग केवल विशेष रोगों के इलाज में, सीमित मात्रा में और वैद्य की देखरेख में ही करना चाहिए।

11. क्या आक से वजन घटाया जा सकता है?
उत्तर: आयुर्वेदिक ग्रंथों में आक के पत्तों का उपयोग पेट की चर्बी या सूजन कम करने के लिए बताया गया है, लेकिन इसे सीधे वजन घटाने वाली औषधि नहीं कहा जा सकता। प्रयोग से पहले वैद्य की सलाह जरूरी है।

12. आक का पौधा किस मौसम में अधिक प्रभावी होता है?
उत्तर: आक एक बहुवर्षीय पौधा है जो वर्षभर पाया जाता है, लेकिन इसके ताजे फूल और दूध ग्रीष्म ऋतु में अधिक मात्रा में मिलते हैं। औषधीय प्रयोगों के लिए यही मौसम श्रेष्ठ माना जाता है।

13. आक का पौधा किस प्रकार के स्थानों पर उगता है?
उत्तर: आक आमतौर पर सूखी, बंजर और धूप वाली जगहों में उगता है। यह बिना किसी विशेष देखभाल के भी उग जाता है और बहुत सहनशील पौधा माना जाता है।

14. क्या आक की जड़ भी औषधीय होती है?
उत्तर: हां, आक की जड़ (अर्कमूल) का उपयोग कई रोगों जैसे उल्टी (वमन), पेट दर्द, बुखार, और फोड़े-फुंसी में किया जाता है। इससे बने चूर्ण या गोलियां प्रभावी मानी जाती हैं।

15. आक के फूलों का आयुर्वेद में क्या महत्व है?
उत्तर: सफेद आक के फूल विशेष रूप से मिर्गी (अपस्मार) रोग में उपयोग किए जाते हैं। इन्हें गुड़ या काली मिर्च के साथ मिलाकर गोलियां बनाई जाती हैं जो रोगी को राहत देती हैं।

16. क्या आक का पौधा पूजा में उपयोग होता है?
उत्तर: हां, आक के फूल और पत्ते भगवान शिव को चढ़ाने में उपयोग किए जाते हैं। शिवरात्रि और सावन के दौरान इसकी पूजा विशेष महत्व रखती है।

17. आक का पत्ता जलाकर प्रयोग करने से क्या होता है?
उत्तर: कुछ प्रयोगों में आक के पत्तों या छाल को जलाकर बनी राख का उपयोग नस्य या लेप के रूप में किया जाता है, जिससे सिर दर्द, जुकाम और त्वचा रोगों में राहत मिलती है।

18. आक का प्रयोग महिलाओं को करना चाहिए या नहीं?
उत्तर: आक का प्रयोग गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और बच्चों को नहीं करना चाहिए। यह अत्यधिक तीव्र और विषैला हो सकता है।

आक का पौधा जितना रहस्यमयी है, उतना ही आयुर्वेदिक दृष्टि से उपयोगी भी है। लेकिन याद रखें, इसके प्रयोग में सावधानी अति आवश्यक है क्योंकि थोड़ी भी लापरवाही नुकसानदायक हो सकती है।

यह लेख केवल आयुर्वेदिक ज्ञान साझा करने के लिए है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ वैद्य की सलाह अवश्य लें।

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