अस्थमा, जिसे आम भाषा में दमा भी कहा जाता है, एक ऐसी श्वसन समस्या है जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है। यह बीमारी श्वसन मार्गों की सूजन और संकुचन के कारण होती है, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है। अस्थमा का प्रकोप किसी भी उम्र में हो सकता है और इसके लक्षणों में खांसी, घरघराहट, सीने में जकड़न और सांस की तकलीफ शामिल हैं। यह रोग सामान्यतः धूल, धुआं, पालतू जानवरों के बाल, परागकण, ठंडी हवा, व्यायाम और तनाव जैसे कारकों से ट्रिगर हो सकता है।
अस्थमा के कारण और लक्षणों को समझना, सही निदान और उपचार प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही, जीवनशैली में कुछ बदलाव और नियमित चिकित्सा देखभाल से अस्थमा को नियंत्रण में रखा जा सकता है। इस ब्लॉग में, हम अस्थमा के विभिन्न पहलुओं पर गहराई से चर्चा करेंगे, जिसमें इसके कारण, लक्षण, निदान, और उपचार के विकल्प शामिल हैं, ताकि आप या आपके प्रियजन इस स्थिति से प्रभावी ढंग से निपट सकें।
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दमा, जिसे श्वास रोग या अस्थमा के नाम से भी जाना जाता है, तब होता है जब फेफड़ों की नलियों में अकड़न और संकुचन पैदा हो जाता है, जिससे श्वास लेने में कठिनाई होती है। यह रोग ज्यादातर प्रौढ़ स्त्री-पुरुषों को प्रभावित करता है, लेकिन बच्चों में भी देखा जा सकता है।
दमा (अस्थमा) रोग का कारण (causes of asthma)
जब फेफड़ों की नलियों में किसी कारणवश अकड़न तथा संकुचन पैदा हो जाता है तो श्वास लेने में तकलीफ होती है। यही अवस्था श्वास रोग, दमा या अस्थमा कहलाती है। यह ज्यादातर प्रौढ़ स्त्री-पुरुषों को होता है। कुछ रोगियों को यह रोग अपने माता-पिता तथा दादा-दादी से मिलता है। कभी-कभी किन्हीं कारणवश नाक के भीतर फोड़ा बनने, उपदंश, ब्रोन्काइटिस या जरायु डिम्बकोश के रोग से भी दमा हो जाता है।
इसके अलावा धूल के कण, धुआं तथा स्नायु विकारों के कारण भी दमा हो सकता है। बच्चों को यह रोग तब होता है, जब फेफड़े या श्वास प्रणाली में कफ जमकर सूख जाता है। ऐसी स्थिति में कफ अवरोध पैदा करता है, अतः सांस लेने में कठिनाई होती है। दम फूलने लगता है। बच्चा बुरी तरह हांफता है।
दमा रोग के लक्षण (symptoms of asthma)
दमा की खांसी में तनाव के कारण श्वास लेने तथा निकालने में कष्ट होता है। यह तनाव कभी घट जाता है तो कभी बढ़ जाता है। जिस रोगी को कफ नहीं निकलता, उसे सूखा दमा हो जाता है। अधिक कफ निकलने वाले रोगी को तर दमा होता है। जब रोगी को दौरा पड़ता है तो वह बेहाल हो जाता है। उसके गले से सांय सांय की आवाज निकलती है। खांसने पर जब कुछ बलगम निकल जाता है तो उसे राहत मिलती है। श्वास कष्ट बढ़ने से रोगी का चेहरा पोला पड़ जाता है। वह पसीने से भीग जाता है। यह बीमारी शरद ऋतु तथा वर्षा ऋतु में अधिक होती है। युवावस्था का दमा प्रायः जल्दी ठीक नहीं होता।
दमा रोग के घरेलू उपाय (home remedies for asthma)
- बांसे और अदरक का रस: एक चम्मच बांसे और अदरक के रस को शहद में मिलाकर, सुबह-शाम लें।
- बहेड़े की छाल, नौसादर फूलाया हुआ, और सोना गेरू का मिश्रण: बहेड़े की छाल 250 ग्राम, नौसादर फुलाया हुआ 15 ग्राम, और सोना गेरू 10 ग्राम का मिश्रण बनाएं। इसे कूट-पीसकर छान लें और प्रतिदिन सुबह-शाम 3-3 ग्राम का सेवन शहद के साथ करें।
- मोर के पंख का भस्म: प्रतिदिन आधी चुटकी के भस्म को शहद के साथ लें।
- शुद्ध आंवलासार गंधक और कालीमिर्च का मिश्रण: शुद्ध आंवलासार गंधक 5 ग्राम और कालीमिर्च 50 ग्राम को पीसकर कपड़छन करें। प्रतिदिन 4 से 6 ग्राम चूर्ण को घी के साथ खाएं।
- आक, पीपल, और सेंधा नमक की गोली: आक की कली 20 ग्राम, पीपल 10 ग्राम, और सेंधा नमक 10 ग्राम को पीसकर झरबेरी के समान गोली बना लें। सुबह-शाम गरम पानी के साथ एक-एक गोली लें।
- हल्दी, राई, लोटन सज्जी, और पुराना गुड़ की चूर्ण: हल्दी 10 ग्राम, राई 10 ग्राम, लोटन सज्जी 10 ग्राम, और पुराना गुड़ 80 ग्राम को कूट-पीसकर 4 ग्राम चूर्ण बना लें। इसे नित्य नियमित रूप से 40 दिनों तक सेवन करें।
- हल्दी का चूर्ण: हल्दी को रेत में भून-पीसकर चूर्ण बना लें और प्रतिदिन एक चम्मच गरम पानी के साथ खाएं।
- फिटकरी और गुलाबजल: एक चम्मच फिटकरी (पिसी हुई) में थोड़ा-सा गुलाबजल मिलाकर सुबह-शाम रोगी को दें।
- गेहूं के हरे पौधों का रस: गेहूं के हरे पौधों का रस दो चम्मच की मात्रा में नित्य पिएं।
- हारसिंगार की छाल: हारसिंगार की छाल का चूर्ण पान में रखकर खाने से दमा शीघ्र ही नष्ट हो जाता है।
- तुलसी और अदरक का रस: दोनों चार ग्राम की मात्रा में तुलसी और अदरक का रस लें और उन्हें तीन-तीन ग्राम शहद के साथ सेवन करें।
- लौंग, कालीमिर्च, और तुलसी की चटनी: चार लौंग, चार कालीमिर्च, और चार तुलसी के पत्ते लेकर उन्हें चटनी बनाकर नित्य खाएं।
- मुलहठी, घी, मिश्री, और सेंधा नमक: दस ग्राम मुलहठी, एक चम्मच घी, पांच ग्राम मिश्री, और आधा चम्मच सेंधा नमक को एक कप पानी में मिलाकर सेवन करें।
- सफेद प्याज का रस: दो चम्मच सफेद प्याज का रस और दो चम्मच शहद को मिलाकर पिएं।
- बड़ी पीपल और काकड़ासींगी की खीर: बड़ी पीपल 4 ग्राम और काकड़ासींगी 6 ग्राम को बारीक पीसकर पूर्णमासी के दिन गाय के दूध की खीर में मिलाकर उपयोग करें।
- शहद, अडूसा और अदरक का रस: शहद, अडूसा और अदरक का रस, तीनों 5-5 ग्राम मिलाकर तीन-तीन घंटे बाद कुछ दिनों तक पिएं।
- पीपल के चूर्ण: पीपल के थोड़े-से फलों को सुखाकर चूर्ण बनाएं। एक-एक चम्मच चूर्ण सुबह-शाम सेवन करें।
- अनार के फूल, कत्था और कपूर की गोलियां: अनार के फूल 10 ग्राम, कत्था 10 ग्राम, और कपूर 1 ग्राम को घोटकर चने के बराबर गोलियां बनाएं। एक-एक गोली दिन में चार बार चूसें।
- शलजम, गाजर और पत्तागोभी का रस: शलजम का रस एक कप, गाजर का रस एक कप, और पत्तागोभी का रस एक कप सभी को मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करें।
- इसबगोल की भूसी: 10 ग्राम इसबगोल की भूसी को पानी में फुलाकर पी जाएं।
दमा रोग की आयुर्वेदिक दवाईया (ayurvedic medicine for asthma)
- काढ़ा: दशमूल, कचूर, रासना, पीपल, सोंठ, पुष्करमूल, भारंगी, काकड़ासींगी, गिलोय और चित्रक – सभी चीजें 25 ग्राम लेकर काढ़ा बनाएं और एक बोतल में रखें। दिन में दो बार गरम पानी के साथ सेवन करें।
- शहद विषेषज्ञ चूर्ण: हल्दी, कालीमिर्च, किशमिश, पीपल, रासना, और कचूर – सभी 5 ग्राम लेकर पीस लें। इसमें से 4 माशा चूर्ण गुड़ के साथ सेवन करें।
- दवाई गुलाबजल में: काकड़ासींगी, सोंठ, पीपल, नागरमोथा, पुष्करमूल, और कालीमिर्च – सभी 5 ग्राम लेकर चूर्ण बनाएं। फिर थोड़ी मिश्री के साथ 3 माशा चूर्ण दवा गुलाबजल में मिलाकर पिएं।
- शोधित औषधि: शोधित पात, सोंठ, कालीमिर्च, नागकेसर, गंधक, लौहसार, कमीला, सम्हालू और पीपरामूल – सभी को पीसकर गरम करें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण शहद के साथ सेवन करें।
- बेलपत्र, अडूसे के पत्ते और सरसों का तेल: बेलपत्रों का स्वरस, अडूसे के पत्तों का स्वरस, और सरसों का तेल – सभी चीजें 6-6 माशा लेकर 7 दिनों तक सेवन करें।
- बेलपत्र, अडूसे के पत्ते और सरसों का तेल: बेलपत्रों का स्वरस, अडूसे के पत्तों का स्वरस, और सरसों का तेल – सभी चीजें 6-6 माशा लेकर 7 दिनों तक सेवन करें।
- पीपल और पोहकरमूल को पीसकर शहद के साथ चाटें: मदार की जड़ 10 ग्राम, अजवायन 5 ग्राम तथा गुड़ 10 ग्राम को पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बनाएं। प्रतिदिन दो गोलियां सुबह और दो गोलियां शाम को गरम पानी के साथ खाएं।
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दमा रोग कि होमियोपैथिक दवाईया (homeopathy medicine for asthma)
- यदि अनियमित श्वास-प्रश्वास, सर्दी तथा गंध के कारण दमा हो तो: एलान्थस ग्लैण्डुलोसा 30 दें; किसी तरह की धूल सांस के साथ खींच लेने के कारण दमा होने तथा खांसी का दौर बढ़ जाने पर पोथस फोरिडस 30 का सेवन करें।
- यदि दमा के रोगियों के साथ रहने के फलस्वरूप दमा हो जाए तो: वैसिलिनम दें।
- सूखा दमा, परेशान करने वाली खांसी तथा अनिद्रा की हालत में: टेला एरानियेरस दें।
- खांसते-खांसते सांस फूल जाए, चेहरा नीला पड़ जाए, मिचली, कै, श्वास लेने में अपार कष्ट, शरीर में चुभन आदि लक्षणों में: लोबेलिया इन्फलैंटा 6 दें।
- दमा के साधारण रोगियों को: एकोनाइट नैपेलस मूलार्क या 3 तथा इपिकाक मूलार्क या 3 क्रम से 10-10 मिनट बाद देने पर काफी लाभ होता है।
- खांसते-खांसते सांस अटक जाए, चेहरा नीला पड़ जाए, मिचली तथा कै आदि लक्षणों में: एकोनाइट नैपेलस मूलार्क या 3 दें।
- यदि सीने में बलगम घड़-घड़ करे और दम घुटे तो: एन्टिम टार्ट 30 तथा ग्रिडीलिया मूलार्क दें।
- खांसी, बेचैनी तथा सांस लेने में अवरोध होने पर: आर्सेनिक एल्ब 6 और ब्रायोनिया 30 दें।
- अगर दमा हो और उल्टी करने के बाद सांस सरलता से न आए तो: बलाटा ओ मूलार्क या कैशिया सोफारा मूलार्क का सेवन करें; यदि दौरा तेज पड़ता हो तथा लेटने में कष्ट हो तो एरालिया रेसिमोसा मूलार्क दें।
दमा रोग का चुम्बक उपाय (magnet therapy for asthma)
- चुम्बक का उत्तरी ध्रुव सीने के नीचे वाले भाग पर दिन में तीन-चार बार लगाएं। चुम्बक 30 से 50 मिनट तक रोग के अनुसार लगाएं।
- हाथ की कलाई में उत्तरी ध्रुव का चुम्बक लगाएं।
- चुम्बक द्वारा प्रभावित जल पिलाएं।
दमा रोग का एक्यूप्रेशर उपाय (accupressure therapy for asthma)
- सीधे पैर के अंगूठे के नीचे (तलवे वाले भाग), तलवे के बीच तथा एड़ी से कुछ ऊपर दबाव दें।
- दाएं हाथ के अंगूठे तथा अंगूठे के नीचे गदेली में और हथेली के बीच में धीरे-धीरे दवाव डालें।
- पांव में अंगूठे से नीचे नाखून की तरफ तथा सीधे हाथ में घाई की तरफ प्रभाव डालें।
- दोनों हाथों की कलाई तथा टुण्डी के अगल-बगल अंगूठे से 10-15 सेकंड तक दबाव दें।
दमा के रोगियों के लिए महत्वपूर्ण टिप्स(important tips for asthma patient)
- ठंडे पदार्थ से बचें: दमा के रोगियों को ठंडे पदार्थ नहीं खिलाएं। दौरा पड़ने पर सबसे पहले दौरे को रोकने का प्रयास करें।
- हल्का और जल्दी पचने वाला भोजन: दमा रोगियों को हल्का तथा जल्दी पचने वाला भोजन दें। छाती, गला तथा पसलियों को हवा लगने से बचाएं।
- चिकने पदार्थ और मिर्च-मसाले से परहेज: चिकने पदार्थ, चने की दाल से बनी चीजें और मिर्च-मसाले के पदार्थ न खाएं।
- कब्ज से बचाव: पेट में कब्ज न होने दें। कब्ज होते ही उसे तोड़ने की कोशिश करें।
दमा के रोगियों के लिए ये निर्देश बहुत महत्वपूर्ण हैं और इनका पालन करने से दमा के लक्षणों में काफी राहत मिल सकती है।
दमा रोग में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न 1: अस्थमा (दमा रोग) क्या है?
उत्तर: अस्थमा एक क्रोनिक (दीर्घकालिक) श्वसन रोग है जिसमें श्वसन मार्ग में सूजन और संकुचन होता है, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है। यह सामान्यतः खांसी, घरघराहट, सीने में जकड़न और सांस की तकलीफ के रूप में प्रकट होता है।
प्रश्न 2: दमा रोग के सामान्य लक्षण क्या हैं?
उत्तर: दमा के सामान्य लक्षणों में खांसी, विशेषकर रात के समय, घरघराहट, सीने में जकड़न, सांस की तकलीफ और सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज शामिल हैं।
प्रश्न 3: दमा रोग के मुख्य कारण क्या हैं?
उत्तर: दमा के कारणों में वंशानुगत (अनुवांशिक) कारक, धूल, धुआं, परागकण, पालतू जानवरों के बाल, ठंडी हवा, व्यायाम, तनाव, और संक्रमण जैसे ट्रिगर्स शामिल हो सकते हैं।
प्रश्न 4: क्या दमा रोग का इलाज संभव है?
उत्तर: अस्थमा का पूर्ण इलाज संभव नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है। सही दवाइयों और जीवनशैली में बदलाव के माध्यम से दमा के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है और रोगी सामान्य जीवन जी सकता है।
प्रश्न 5: दमा रोग के लिए कौन-कौन सी दवाइयां उपयोगी हैं?
उत्तर: अस्थमा के लिए मुख्यतः दो प्रकार की दवाइयां उपयोगी होती हैं: नियंत्रक दवाइयां (लंबी अवधि के लिए) और राहत देने वाली दवाइयां (तत्काल राहत के लिए)। इनहेलर, ब्रोंकोडाइलेटर्स, और कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स आमतौर पर उपयोग किए जाते हैं।
प्रश्न 6: क्या दमा रोग के मरीज को व्यायाम करना चाहिए?
उत्तर: हां, अस्थमा के मरीजों को हल्का और नियमित व्यायाम करना चाहिए, जिससे उनकी श्वसन प्रणाली मजबूत हो सके। हालांकि, व्यायाम से पहले डॉक्टर की सलाह लेना महत्वपूर्ण है और व्यायाम के दौरान इनहेलर का उपयोग करने की जरूरत हो सकती है।
प्रश्न 7: दमा रोग का अटैक आने पर क्या करना चाहिए?
उत्तर: अस्थमा का अटैक आने पर शांत रहें, बैठ जाएं, और अपनी राहत देने वाली दवा (इनहेलर) का उपयोग करें। यदि राहत नहीं मिलती है तो तुरंत चिकित्सकीय सहायता प्राप्त करें।
प्रश्न 8: दमा रोग से बचने के उपाय क्या हैं?
उत्तर: दमा रोग से बचने के लिए धूल, धुआं, परागकण, पालतू जानवरों के बाल, ठंडी हवा, और तनाव जैसे ट्रिगर्स से बचाव करना चाहिए। इसके साथ ही, नियमित दवाइयों का सेवन और डॉक्टर के निर्देशों का पालन करना चाहिए।
प्रश्न 9: क्या दमा का असर बच्चों पर भी होता है?
उत्तर: हां, दमा बच्चों में भी हो सकता है। बच्चों में अस्थमा के लक्षणों को समय रहते पहचान कर सही इलाज और नियंत्रण उपायों से इसे प्रबंधित किया जा सकता है।
प्रश्न 10: अस्थमा के मरीज के लिए आहार कैसा होना चाहिए?
उत्तर: अस्थमा के मरीजों को संतुलित आहार लेना चाहिए जिसमें फलों, सब्जियों, और सम्पूर्ण अनाज का समावेश हो। मसालेदार और अधिक तेल वाले खाने से बचना चाहिए। शहद और हल्दी का सेवन फायदेमंद हो सकता है।
प्रश्न 11: क्या दमा रोग एक संक्रामक रोग है?
उत्तर: नहीं, अस्थमा एक संक्रामक रोग नहीं है। यह व्यक्ति से व्यक्ति में नहीं फैलता। यह वंशानुगत (अनुवांशिक) कारकों और पर्यावरणीय ट्रिगर्स के कारण होता है।
प्रश्न 12: क्या दमा रोग के लिए कोई विशेष आहार योजना है?
उत्तर: दमा के मरीजों को संतुलित आहार लेना चाहिए जिसमें ताजे फल, सब्जियां, सम्पूर्ण अनाज और प्रोटीन शामिल हो। मसालेदार और तले हुए खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। शहद, अदरक, और हल्दी जैसी प्राकृतिक चीजें लाभकारी हो सकती हैं।
प्रश्न 13: दमा रोग के अटैक को रोकने के लिए क्या किया जा सकता है?
उत्तर: अस्थमा के अटैक को रोकने के लिए ट्रिगर्स से बचना चाहिए, नियमित रूप से दवाइयों का सेवन करना चाहिए, और डॉक्टर द्वारा बताए गए उपचार का पालन करना चाहिए। इनहेलर को हमेशा साथ रखें और सही तकनीक से उपयोग करें।
प्रश्न 14: क्या दमा रोग का असर मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है?
उत्तर: हां, दमा का असर मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है। दमा के मरीजों को तनाव, चिंता और अवसाद हो सकता है। इसलिए, मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना और आवश्यकता पड़ने पर परामर्श लेना महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 15: क्या धूम्रपान अस्थमा को बढ़ा सकता है?
उत्तर: हां, धूम्रपान अस्थमा को गंभीर बना सकता है। धूम्रपान से श्वसन मार्ग में सूजन और जलन होती है जिससे दमा के लक्षण बढ़ सकते हैं। दमा के मरीजों को धूम्रपान से पूरी तरह बचना चाहिए।
प्रश्न 16: क्या अस्थमा के मरीज को घर पर कुछ विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए?
उत्तर: हां, अस्थमा के मरीजों को घर में साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए, धूल-मिट्टी से बचना चाहिए, और पालतू जानवरों को कमरे से दूर रखना चाहिए। एयर प्यूरीफायर का उपयोग भी लाभकारी हो सकता है।
प्रश्न 17: क्या मौसम परिवर्तन का अस्थमा पर प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: हां, मौसम परिवर्तन का अस्थमा पर प्रभाव पड़ सकता है। सर्दी के मौसम में ठंडी हवा और गर्मी में प्रदूषण दमा के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं। ऐसे मौसम में अधिक सावधानी बरतनी चाहिए।
प्रश्न 18: क्या व्यायाम अस्थमा के मरीजों के लिए सुरक्षित है?
उत्तर: हां, सही मार्गदर्शन और सावधानी के साथ व्यायाम अस्थमा के मरीजों के लिए सुरक्षित है। हल्के और नियमित व्यायाम से श्वसन प्रणाली मजबूत होती है, लेकिन व्यायाम से पहले डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।
प्रश्न 19: बच्चों में दमा रोग का इलाज कैसे किया जाता है?
उत्तर: बच्चों में अस्थमा का इलाज दवाइयों, इनहेलर, और जीवनशैली में बदलाव के माध्यम से किया जाता है। बच्चों के लक्षणों को समझना और समय रहते इलाज शुरू करना महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 20: क्या दमा रोग के मरीज को कोई विशेष प्रकार का बिस्तर उपयोग करना चाहिए?
उत्तर: अस्थमा के मरीज को हाइपोएलर्जेनिक (एलर्जी रहित) बिस्तर उपयोग करना चाहिए। गद्दे और तकिये पर एंटी-डस्ट माइट कवर का उपयोग भी लाभकारी हो सकता है।
इन प्रश्नों और उत्तरों से दमा रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद मिलेगी और मरीजों को बेहतर तरीके से इसे प्रबंधित करने में सहायता मिलेगी।
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