टीबी रोग tuberculosis एक ऐसी बीमारी है जो व्यक्ति के शरीर को दीर्घकालिक रूप से कमजोर करती है और उसके संगीत अंगों को प्रभावित करती है। यह ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और व्यक्ति को आमतौर पर लगातार बुखार, विशेष रूप से रात के समय, व्याधि, त्वचा की सूजन, ओर्डमेंटिया (पुराने घावों का दोषजनित भागन) आदि के लक्षण होते हैं। आयुर्वेद में यक्ष्मा को “क्षय” के रूप में जाना जाता है, जो शरीर के अंगों के उत्तान या नष्ट होने की स्थिति को सूचित करता है। इसे गर्भाशय, आत्मा, प्राण और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी विषाणु-संबंधी समस्याओं के रूप में समझा जाता है।
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टीबी रोग tuberculosis रोग का कारण (causes of Tuberculosis)
यक्ष्मा, जिसे टीबी भी कहा जाता है, एक जानलेवा बैक्टीरियल रोग है जो बैसिलस ट्यूबर कुलोसिस नामक एक कीटाणु द्वारा होता है। इस रोग के कारक रोगी का थूक है, जिसमें यह कीटाणु सम्मिलित होते हैं। जब रोगी धूकता है, तो उसका थूक सूखने के बाद ये कीटाणु हवा में उड़कर अन्य व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करते हैं और उसे यक्ष्मा का शिकार बना देते हैं।
यक्ष्मा के उपचार में आयुर्वेदिक और परंपरागत चिकित्सा विधियों का महत्वपूर्ण स्थान है। इस रोग को नियंत्रित करने के लिए आयुर्वेद में कई प्राकृतिक उपाय और औषधियाँ हैं जो रोगी को स्वस्थ्य और सकारात्मक दिशा में मदद करती हैं।
इस ब्लॉग में हम यक्ष्मा (टीबी) के बारे में विस्तार से जानेंगे, उसकी उत्पत्ति, इसके कारण और इसके आयुर्वेदिक उपचार के बारे में। आपको इस रोग की पहचान, बचाव और उपचार की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त होगी। इसके अलावा, हम अन्य संबंधित प्रश्नों का भी समाधान करेंगे जो आपके मन में हो सकते हैं।
यक्ष्मा (टीबी) का आयुर्वेदिक उपचार करने के लिए आगे पढ़ें और इस समस्या को दूर करने के लिए संपूर्ण जानकारी प्राप्त करें।
टीबी रोग के लक्षण (symptoms of tuberculosis)
यक्ष्मा (टीबी) एक ऐसा रोग है जो कीटाणु बैसिलस ट्यूबरकुलोसिस (Mycobacterium tuberculosis) के कारण होता है। यह रोग सामान्यत: फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन अन्य शरीर के हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है। यह रोग आमतौर पर लंबे समय तक नजरअंदाज किया जाता है, क्योंकि इसके लक्षण सामान्यतः हल्के होते हैं और धीरे-धीरे बढ़ते हैं। यहाँ हम इस रोग के मुख्य लक्षणों पर ध्यान देंगे:
- बुखार: यह एक सामान्य लक्षण है जो रोग की शुरुआत में दिखाई देता है। रोगी को अक्सर बुखार आता है, जो आमतौर पर विशेष वजह के बिना उठता है।
- थकावट: रोगी को लगातार थकान महसूस होती है, जो उसकी ऊर्जा को कम करती है और उसे कमजोर बना देती है।
- खांसी: यह रोग का एक अहम लक्षण है, जो धीरे-धीरे बढ़ता है। खांसी के साथ-साथ बलगम के साथ खून भी आ सकता है।
- वजन कमी: रोगी का शारीरिक भार दिन-प्रतिदिन कम होता है, जो कि वजन कमी का संकेत हो सकता है।
- सांस की तकलीफ: खांसी के साथ-साथ सांस लेने में भी कठिनाई महसूस हो सकती है, जो विशेषतः रात को और शारीरिक गतिविधियों के दौरान होती है।
टीबी रोग के घरेलू उपाय (Home remedies for tuberculosis)
- पीपल और बांस के फूल से निवारण: चार नग पीपल को बांस के फूलों के साथ पीसकर शहद के साथ सेवन करने से यक्ष्मा रोग में लाभ होता है। इसके अलावा, अदरक, कालीमिर्च, लौंग और तुलसी की चटनी भी इस बीमारी को ठीक करने में मदद कर सकती है।
- केले के पत्तों की राख का सेवन: केले के पत्तों की राख का सेवन करने से यक्ष्मा रोग का इलाज किया जा सकता है। इसके लिए, केले के पत्तों को धूप में सुखाकर राख बनाएं और इसे शहद के साथ सेवन करें।
- आंवला-गंधक चूर्ण: शुद्ध आंवला और गंधक का संयोजन यक्ष्मा रोग को ठीक करने में मदद कर सकता है। इसके लिए, आंवला-गंधक चूर्ण को गाय के घी के साथ मिलाकर सेवन करें।
- बांसे का दूध: बांसे के पत्तों को उबालकर उसका दूध पीने से यक्ष्मा रोग में लाभ हो सकता है। इसे रोजाना सेवन करने से रोगी को आराम मिल सकता है।
- बकरी का दूध और नारियल का पानी: बकरी के दूध में कसा हुआ कच्चा नारियल और पिसा हुआ लहसुन मिलाकर पीने से रोगी को लाभ हो सकता है। इसे नियमित रूप से सेवन करने से यक्ष्मा रोग का इलाज हो सकता है।
- केले की सब्जी: कच्चे केले की सब्जी बनाना और नियमित रूप से खाना, इस रोग के खिलाफ एक प्रभावी उपाय हो सकता है। इसके साथ ही, केले के तने का रस भी रोजाना दो चम्मच के रूप में लेना चाहिए।
- मुनक्का, पीपल और शक्कर का चूर्ण: मुनक्का, पीपल और देशी शक्कर को पीसकर चूर्ण बनाएं और इसे गाय के घी के साथ खाएं। यह भी यक्ष्मा रोग के खिलाफ लड़ने में मदद कर सकता है।
- सेब और आंवले का मुरब्बा: सेब और आंवले का मुरब्बा खाने से रोगी को लाभ हो सकता है। इसे नियमित रूप से सेवन करने से यक्ष्मा रोग में सुधार हो सकता है।
- पीपल का चूर्ण: पीपल के फलों को सुखाकर चूर्ण बनाएं और इसे गाय या भैंस के दूध के साथ सेवन करें। यह रोगी को आराम प्रदान कर सकता है।
- बेल की पत्तियों का काढ़ा: बेल की पत्तियों को पानी में पकाकर बनाएं और इसमें मिश्री, केसर और जावित्री डालकर इसका सेवन करें। यह भी रोग के खिलाफ लड़ने में मदद कर सकता है।
- अखरोट और लहसुन की चटनी: अखरोट और लहसुन की चटनी बनाकर गाय के घी में भूनकर खाने से भी यक्ष्मा रोग में लाभ हो सकता है।
टीबी रोग के लिए आयुर्वेदिक दवाईया (Ayurvedic medicine for tuberculosis)
टीबी रोग एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो फेफड़ों में संक्रमण के कारण होता है और इसका इलाज लंबे समय तक का होता है। अनेक विज्ञानात्मक और आयुर्वेदिक तथ्यों के माध्यम से, हम जानते हैं कि कुछ प्राकृतिक पदार्थों का उपयोग करके हम इस रोग के इलाज में सहायक हो सकते हैं। यहां कुछ ऐसे आयुर्वेदिक उपाय हैं जो टीबी रोग के लिए प्रभावी साबित हो सकते हैं:
- बकरी का मांस: रोगी को बकरी के मांस का शोरबा पीने के साथ ऊपर से बकरी का दूध पिना चाहिए। इसके साथ ही, बकरी के घी से बनी रोटी भी नियमित रूप से खानी चाहिए।
- शहद की चटनी: लौनी घी में थोड़ा-सा शहद, पीपल और लौंग का चूर्ण मिलाकर बनाई गई चटनी को रोज सुबह-शाम के भोजन के साथ सेवन करना लाभदायक है।
- आर्जुन की छाल, गुलसकरी और कौंच के बीज: इन तीनों को सामान मात्रा में पीसकर दूध में पकाकर सेवन करने से रोगी को लाभ मिलता है।
- सितोपलादि चूर्ण: इसे शहद के साथ सुबह-शाम चाटने से टीबी रोग में राहत मिलती है।
- अनारदाना 30 तोले, पीपल 4 तोला, पीपरामूल 4 तोला, धनिया 4 तोला, अजमोद 4 तोला, कालीमिर्च 1 तोला, बंसलोचन 1 तोला, दालचीनी 8 माशा1, तेजपात 8 माशा तथा मिश्री 32 तोला- सब चीजों को कूट-पीसकर चूर्ण तैयार कर लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण दिन में दो-तीन बार सेवन करें। यह खांसी, छाती के दर्द तथा तपेदिक को नष्ट करने में सर्वोत्तम दवा मानी जाती है।
- जातिफलादि चूर्ण, कपूरादि चूर्ण, अश्वगंधादि चूर्ण तथा चन्दनादि अर्क का सेवन करें।
- 1 माशा = 1.172 ग्राम के बराबर होता है। यह एक प्राचीन भारतीय वजन मापन का इकाई है, जो विभिन्न चिकित्सीय उपयोगों में उपयोग किया जाता है।
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टीबी रोग के लिए होम्योपैथिक दवाईया (Homeopathy medicine for tuberculosis)
टीबी या क्षय रोग को रोकने और इसके लक्षणों को कम करने के लिए होम्योपैथिक चिकित्सा एक प्रमुख विकल्प है। यहां हम कुछ होम्योपैथिक उपचारों के बारे में बता रहे हैं जो टीबी रोग के लक्षणों को आराम प्रदान कर सकते हैं:
- फेलान्ड्रियम एक्वैरिकम: यह दवा छाती में दर्द, कमजोरी, और खांसी के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है। यदि श्लेष्मा में दुर्गंध युक्त श्लेष्मा निकले तो भी यह उपयोगी हो सकती है।
- स्टैनम: इस दवा का उपयोग खांसी, छाती में दर्द, और अन्य लक्षणों को कम करने के लिए किया जाता है।
- एसिड फॉस: यह दवा टीबी रोग के लक्षणों में दुर्बलता, स्वप्नदोष, बुखार, और खून की खांसी को कम करने में मदद कर सकती है।
- आर्सेनिक एल्ब: यह दवा फेफड़ों में दर्द, सांस फूलना, और शारीरिक कमजोरी को कम करने में मदद कर सकती है।
- कॉलि म्यूर: खून से भरी खांसी के लिए यह दवा उपयुक्त है।
- ब्रायोनिया: यह दवा सूखी खांसी को कम करने में मदद कर सकती है और इसे रात के समय बढ़ने से रोक सकती है।
- एक्लाइफा इंडिका: यह दवा खांसी की सारी लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती है।
- टेरेन्टुला क्युबेन्सिस: फेफड़ों के लिए यह दवा उपयुक्त है।
- कूप्रम मैट और ड्रोसेरा: यह दवाएँ रात की खांसी और अन्य गंभीर लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं।
- फिन्स रिलीजियोसा: यह दवा रक्त मिले कफ और अन्य गंभीर लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती है।
एक्यूप्रेशर चिकित्सा: टीबी रोग के लिए एक विशेष उपाय (Accupressure therapy for tuberculosis)
- दाएं पैर के अंगूठे में तली की ओर दबाव दें।
- दाएं हाथ में हथेली की तरफ अंगूठे से एक अंगुल नीचे दबाव डालें।
- दाएं हाथ के अंगूठे में हथेली की तरफ तथा हथेली के मध्य 4-4 सेकंड तक दिन में तीन बार दबाव दें।
टीबी रोगियों के लिए महत्वपूर्ण सलाह (Important tips for Tuberculosis patients)
टीबी रोग का इलाज करने वाले रोगियों को कुछ महत्वपूर्ण सलाहों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। यह सलाहें उनकी सेहत को सुधारने और रोग के खिलाफ लड़ने में मदद कर सकती हैं।
- आराम और स्वस्थ जीवनशैली: राजयक्ष्मा के रोगियों को ज्यादा शारीरिक और मानसिक परिश्रम से बचना चाहिए। वे ठीक से आराम करें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।
- उचित आहार: हल्का और सुपाच्य भोजन करना टीबी रोगियों के लिए महत्वपूर्ण है। उन्हें पुष्टिकारक आहार लेना चाहिए जैसे कि घी, मक्खन, फल, सब्जियां, दालें, दूध, अण्डे, और मांस का शोरबा।
- पूर्ण विश्राम: जब रोगी में ज्वर हो, तो वे पूर्ण विश्राम करें और भोजन को भरपेट न खाएं।
- उपयुक्त आहार सामग्री: गाय या बकरी का दूध नियमित रूप से सेवन करें। आम, आंवला, खजूर, नारियल, फालसा, दाख, चन्दन, और कपूर भोजन के साथ उचित मात्रा में लें।
इन सलाहों का पालन करते हुए, टीबी रोगियों के स्वास्थ्य को सुधारने में मदद मिल सकती है और उन्हें जल्दी ही स्वस्थ होने में सहायता मिल सकती है।
टीबी रोग tuberculosis मे अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs on Tuberculosis)
प्रश्न 1: टीबी (क्षय रोग) क्या है?
उत्तर: टीबी, जिसे क्षय रोग भी कहा जाता है, एक संक्रामक बीमारी है जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्युलोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है। यह फेफड़ों को प्रभावित करती है लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकती है।
प्रश्न 2: टीबी रोग tuberculosis कैसे फैलती है?
उत्तर: टीबी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में हवा के माध्यम से फैलती है। जब टीबी रोग से पीड़ित व्यक्ति खांसता, छींकता, या बोलता है, तो हवा में छोड़े गए छोटे ड्रॉपलेट्स में बैक्टीरिया हो सकते हैं। दूसरे व्यक्ति द्वारा इन्हें सांस में लेने से संक्रमण हो सकता है।
प्रश्न 3: टीबी के लक्षण क्या हैं?
उत्तर: टीबी के सामान्य लक्षणों में लगातार खांसी (अक्सर तीन सप्ताह या उससे अधिक), खांसी में खून आना, छाती में दर्द, बुखार, रात को पसीना आना, भूख कम लगना और वजन घटना शामिल हैं।
प्रश्न 4: टीबी रोग tuberculosis का निदान कैसे किया जाता है?
उत्तर: टीबी का निदान बलगम की जांच, छाती का एक्स-रे, और ट्यूबरक्युलिन स्किन टेस्ट (Mantoux test) के माध्यम से किया जाता है। आधुनिक जांच जैसे GeneXpert भी टीबी के निदान में उपयोगी होते हैं।
प्रश्न 5: क्या टीबी का इलाज संभव है?
उत्तर: हां, टीबी का इलाज संभव है। इसका इलाज आमतौर पर एक निर्धारित अवधि के लिए कई एंटीबायोटिक्स के संयोजन के साथ किया जाता है। उपचार का कोर्स पूरा करना महत्वपूर्ण है ताकि बैक्टीरिया पूरी तरह से नष्ट हो जाएं और बीमारी दोबारा न हो।
प्रश्न 6: टीबी रोग tuberculosis के इलाज में कितना समय लगता है?
उत्तर: टीबी के इलाज में आमतौर पर 6 से 9 महीने का समय लगता है, लेकिन कुछ मामलों में यह अवधि बढ़ सकती है, खासकर जब ड्रग-रेसिस्टेंट टीबी हो।
प्रश्न 7: क्या टीबी की रोकथाम संभव है?
उत्तर: हां, टीबी की रोकथाम संभव है। बीसीजी (BCG) टीकाकरण से बचाव हो सकता है, खासकर बच्चों में। संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क में आने से बचना और खांसी-संक्रमण नियंत्रण के उपायों का पालन करना भी महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 8: क्या टीबी रोग tuberculosis संक्रामक होती है?
उत्तर: हां, फेफड़ों या गले की टीबी संक्रामक होती है। यह तब फैलती है जब टीबी रोग से पीड़ित व्यक्ति खांसता, छींकता, या बात करता है। हालांकि, शरीर के अन्य हिस्सों में टीबी (जैसे हड्डियों, किडनी) संक्रामक नहीं होती।
प्रश्न 9: ड्रग-रेसिस्टेंट टीबी क्या है?
उत्तर: ड्रग-रेसिस्टेंट टीबी वह टीबी है जो एक या अधिक सामान्य टीबी दवाओं के प्रति प्रतिरोधी होती है। इसका इलाज करना अधिक कठिन होता है और इसके लिए विशेष दवाओं और अधिक लंबे उपचार की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 10: टीबी रोग tuberculosis के उपचार के दौरान क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
उत्तर: उपचार के दौरान दवाओं का पूरा कोर्स नियमित रूप से लेना चाहिए, संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए, और डॉक्टर के सभी निर्देशों का पालन करना चाहिए। संक्रमित व्यक्ति को अपने मुंह और नाक को ढंक कर रखना चाहिए और सार्वजनिक स्थानों पर जाने से बचना चाहिए ताकि संक्रमण दूसरों में न फैले।
प्रश्न 11: क्या टीबी का उपचार बीच में रोकना सुरक्षित है?
उत्तर: नहीं, टीबी का उपचार बीच में रोकना सुरक्षित नहीं है। यदि उपचार पूरा नहीं किया जाता है, तो बैक्टीरिया जीवित रह सकते हैं और अधिक ताकतवर (ड्रग-रेसिस्टेंट) बन सकते हैं, जिससे भविष्य में इलाज और अधिक कठिन हो सकता है।
प्रश्न 12: टीबी रोग tuberculosis के उच्च जोखिम में कौन लोग होते हैं?
उत्तर: टीबी के उच्च जोखिम में वे लोग होते हैं जो HIV संक्रमित हैं, कुपोषण के शिकार हैं, तंबाकू या शराब का अत्यधिक सेवन करते हैं, भीड़भाड़ वाले या गंदे वातावरण में रहते हैं, और जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है।
प्रश्न 13: क्या टीबी से बचाव के लिए टीकाकरण होता है?
उत्तर: हां, बीसीजी (BCG) वैक्सीन टीबी से बचाव के लिए दिया जाता है। यह खासकर बच्चों में गंभीर टीबी के प्रकारों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है।
प्रश्न 14: क्या टीबी रोग tuberculosis का उपचार महंगा है?
उत्तर: टीबी का उपचार सरकार और विभिन्न स्वास्थ्य संगठनों द्वारा मुफ्त में प्रदान किया जाता है। हालांकि, निजी अस्पतालों और क्लीनिकों में इलाज करवाने पर खर्चा हो सकता है।
प्रश्न 15: क्या टीबी का इलाज करते समय आहार में कोई विशेष सावधानी बरतनी चाहिए?
उत्तर: हां, टीबी के इलाज के दौरान पौष्टिक आहार का सेवन करना महत्वपूर्ण है। प्रोटीन, विटामिन, और मिनरल्स से भरपूर भोजन से शरीर को संक्रमण से लड़ने और तेजी से स्वस्थ होने में मदद मिलती है। जंक फूड, तला-भुना और अत्यधिक मसालेदार भोजन से बचना चाहिए।
प्रश्न 16: क्या टीबी का इलाज दर्दनाक है?
उत्तर: नहीं, टीबी का इलाज दर्दनाक नहीं है, लेकिन लंबे समय तक दवाओं का सेवन करना पड़ता है। कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, लेकिन उन्हें प्रबंधित किया जा सकता है।
प्रश्न 17: टीबी के इलाज के बाद क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
उत्तर: इलाज के बाद भी कुछ समय तक नियमित स्वास्थ्य जांच करवानी चाहिए। स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, और स्वच्छता बनाए रखना महत्वपूर्ण है। इलाज के दौरान और बाद में धूम्रपान और शराब से बचना चाहिए।
प्रश्न 18: टीबी रोग tuberculosis के कारण क्या हो सकते हैं?
उत्तर: टीबी का मुख्य कारण माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्युलोसिस बैक्टीरिया है। यह बैक्टीरिया संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने, या बोलने से हवा में फैलता है और दूसरे व्यक्ति के फेफड़ों में पहुंच सकता है।
प्रश्न 19: क्या टीबी के रोगी को काम करना चाहिए?
उत्तर: टीबी के रोगी को आराम की जरूरत होती है, लेकिन अगर उसकी स्थिति स्थिर है और वह दवाएं ले रहा है, तो वह अपने डॉक्टर की सलाह के अनुसार काम कर सकता है। सार्वजनिक स्थानों पर जाने और लोगों के संपर्क में आने से बचना चाहिए।
प्रश्न 20: क्या टीबी के रोगी को अलग कमरे में रखना चाहिए?
उत्तर: हां, टीबी के रोगी को संक्रमण के शुरुआती दौर में अलग कमरे में रखना चाहिए ताकि वह दूसरों को संक्रमित न कर सके। उसके द्वारा इस्तेमाल किए गए बर्तन, कपड़े और अन्य वस्तुओं की अच्छी तरह से सफाई करनी चाहिए।
प्रश्न 21: क्या टीबी रोग tuberculosis के इलाज के दौरान शारीरिक श्रम करना सुरक्षित है?
उत्तर: टीबी के इलाज के दौरान शारीरिक श्रम से बचना चाहिए, खासकर यदि रोगी कमजोर या थका हुआ महसूस करता है। हल्के व्यायाम और योग करने से स्वास्थ्य लाभ हो सकता है, लेकिन कोई भी गतिविधि डॉक्टर की सलाह से ही करें।
प्रश्न 22: क्या टीबी के उपचार में वैकल्पिक चिकित्सा का उपयोग किया जा सकता है?
उत्तर: टीबी के उपचार में मुख्य रूप से एंटीबायोटिक्स का उपयोग होता है, लेकिन कुछ वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों, जैसे आयुर्वेद, होम्योपैथी, और प्राकृतिक चिकित्सा, का सहायक उपचार के रूप में उपयोग किया जा सकता है। किसी भी वैकल्पिक उपचार को अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह लें।
प्रश्न 23: टीबी के रोगी के परिवार वालों को क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
उत्तर: टीबी के रोगी के परिवार वालों को मास्क पहनना चाहिए, रोगी के साथ निकट संपर्क से बचना चाहिए, रोगी के कमरे की नियमित सफाई करनी चाहिए, और रोगी के स्वास्थ्य की निगरानी रखनी चाहिए। परिवार के सभी सदस्यों को टीबी परीक्षण करवाना चाहिए।
प्रश्न 24: क्या टीबी रोग tuberculosis के मरीज को धूप में बैठना चाहिए?
उत्तर: हां, टीबी के मरीज को धूप में बैठना लाभकारी हो सकता है क्योंकि धूप में मिलने वाला विटामिन डी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। हालांकि, बहुत अधिक धूप से बचना चाहिए और इसे संतुलित रूप से लेना चाहिए।
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