हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है हमारी नींद। अच्छी नींद हमें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखती है, जबकि नींद की कमी हमारे जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। आजकल की व्यस्त जीवनशैली और बढ़ती मानसिक समस्याओं के कारण अनिद्रा (नींद न आना) एक आम समस्या बन गई है।
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नींद न आना न केवल हमारी दिनचर्या को प्रभावित करती है, बल्कि हमारे स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डालती है। यह समस्या इतनी गंभीर हो सकती है कि इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अनिद्रा के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें मानसिक अशान्ति, गलत आदतें, काम का बोझ, और पर्यावरणीय कारक शामिल हैं।
इस ब्लॉग में हम नींद न आना के विभिन्न कारणों पर गहराई से चर्चा करेंगे और यह समझने की कोशिश करेंगे कि कैसे ये कारक हमारी नींद को प्रभावित करते हैं। साथ ही, हम उन उपायों पर भी विचार करेंगे जिनसे इस समस्या का समाधान हो सकता है।
आइए, इस महत्वपूर्ण विषय पर विस्तार से समझें और जानें कि कैसे हम अपनी नींद को बेहतर बना सकते हैं और एक स्वस्थ जीवन की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।
नींद न आने के कारण (causes of Insomnia)
अनिद्रा एक गंभीर रोग है जो मानसिक अशान्ति के कारण उत्पन्न होता है। यह रोग अनेक कारणों से हो सकता है, जिनमें से मुख्य कारण हैं:
- मानसिक थकान और तनाव: मानसिक रूप से अत्यधिक थकान और चिंता का होना नींद में बाधा डालता है। जब मन निरंतर सोचता रहता है, तो यह विश्राम नहीं कर पाता और परिणामस्वरूप नींद नहीं आती।
- खाने-पीने की गलत आदतें: गलत समय पर और असंतुलित भोजन करने से भी नींद प्रभावित होती है। विशेष रूप से, भारी और मसालेदार भोजन नींद में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
- सोने के समय चिंता: सोते समय अगर मन में चिंताओं का भार हो, तो यह नींद को भगा देता है। असंतोषजनक स्थिति, अनिश्चितता, और भविष्य की चिंताएं मन को अशांत रखती हैं।
- काम का बोझ: अत्यधिक काम का बोझ और जिम्मेदारियों का दबाव भी नींद उड़ाने में सक्षम है। इससे मानसिक और शारीरिक थकान बढ़ती है, जो नींद को प्रभावित करती है।
- दिन में सोना: दिन के समय में सोने से रात की नींद पर असर पड़ता है। दिन में सोने से शरीर की प्राकृतिक घड़ी गड़बड़ा जाती है, जिससे रात में नींद नहीं आती।
- शारीरिक मेहनत की कमी: शारीरिक मेहनत की कमी के कारण भी नींद नहीं आती। जब शरीर दिन भर मेहनत नहीं करता, तो उसे थकान महसूस नहीं होती और परिणामस्वरूप नींद नहीं आती।
- अत्यधिक दुख या खुशी: अत्यधिक दुख या खुशी भी नींद को भंग कर सकते हैं। ये भावनाएं मन को अत्यधिक उत्तेजित कर देती हैं, जिससे नींद में रुकावट होती है।
- चिन्ताजनक हालत: चिंताजनक हालात, जैसे आर्थिक समस्याएं, रिश्तों में तनाव, या किसी प्रियजन की बीमारी, भी नींद को प्रभावित करते हैं।
- पेट भरा होना: रात में अधिक खाना खाने से पेट भरा रहता है, जिससे नींद में परेशानी होती है। पेट में वायु बनना और अपच जैसी समस्याएं भी नींद को बाधित करती हैं।
- उपवास: उपवास करने से भी नींद प्रभावित हो सकती है, क्योंकि शरीर को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिलते।
- मदिरा और तम्बाकू का सेवन: मदिरा और तम्बाकू का सेवन नींद के प्राकृतिक पैटर्न को बिगाड़ देता है। इनसे नींद की गुणवत्ता में कमी आती है।
- वायु और ध्वनि प्रदूषण: वायु और ध्वनि प्रदूषण भी नींद को बाधित करते हैं। प्रदूषित वातावरण में सांस लेने में परेशानी होती है और शोरगुल से मन शांत नहीं हो पाता।
नींद न आना(अनिद्रा) के लक्षण (symptoms of Insomnia)
अनिद्रा के लक्षण बेहद स्पष्ट और परेशान करने वाले हो सकते हैं, जो व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। इस रोग के प्रमुख लक्षणों को विस्तार से समझना आवश्यक है ताकि इसके उपचार के लिए सही कदम उठाए जा सकें।
- पूरी रात या आधी रात जागते रहना: अनिद्रा का सबसे प्रमुख लक्षण है कि व्यक्ति पूरी रात या आधी रात जागते हुए बिता देता है। नींद न आने की स्थिति में व्यक्ति रात भर बिस्तर पर करवटें बदलता रहता है, लेकिन नींद नहीं आती।
- बेचैनी और अस्थिरता: अनिद्रा से पीड़ित व्यक्ति रात के समय बेचैनी महसूस करता है। किसी भी करवट चैन नहीं पड़ता और मन अशांत रहता है। यह बेचैनी न केवल मानसिक होती है, बल्कि शारीरिक अस्थिरता भी इसमें शामिल होती है।
- हल्की नींद का टूटना: यदि किसी तरह से थोड़ी बहुत नींद आ भी जाती है, तो वह भी बहुत हल्की होती है और जल्दी टूट जाती है। हल्की-सी आवाज या हलचल से ही व्यक्ति की नींद टूट जाती है और फिर दुबारा नींद आना मुश्किल हो जाता है।
- रात को नींद न आने पर दिन में थकावट: रात को ठीक से नींद न आने के कारण व्यक्ति दिन भर थका हुआ महसूस करता है। शरीर में भारीपन, कमजोरी, और ऊर्जा की कमी जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।
- आलस्य और सुस्ती: नींद की कमी के कारण व्यक्ति में आलस्य और सुस्ती के लक्षण दिखाई देते हैं। काम करने की इच्छा नहीं होती और ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है।
- मनोवैज्ञानिक प्रभाव: अनिद्रा के कारण व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। तनाव, चिड़चिड़ापन, और अवसाद जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- शारीरिक समस्याएं: लगातार नींद की कमी के कारण सिरदर्द, चक्कर आना, और आंखों में जलन जैसी शारीरिक समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। इससे व्यक्ति की दैनिक गतिविधियों में बाधा आती है।
- सामाजिक और पारिवारिक जीवन पर प्रभाव: अनिद्रा के कारण व्यक्ति का सामाजिक और पारिवारिक जीवन भी प्रभावित होता है। वह अपने रिश्तों में उतना सक्रिय और खुश नहीं रह पाता जितना कि सामान्य परिस्थितियों में होता है।
इन सभी लक्षणों के कारण व्यक्ति का जीवन कठिन और चुनौतीपूर्ण हो जाता है। अनिद्रा के लक्षणों को पहचान कर और सही समय पर उपचार लेकर इस समस्या से निजात पाई जा सकती है। इसका सही निदान और उपचार आवश्यक है ताकि व्यक्ति पुनः एक स्वस्थ और सुखद जीवन जी सके।
नींद न आना(अनिद्रा) के 14 घरेलू उपाय (14 home remedies for Insomnia)
अनिद्रा के इलाज के लिए कई प्राकृतिक और घरेलू उपाय हैं जो न केवल सुरक्षित हैं, बल्कि प्रभावी भी साबित हो सकते हैं। यहां कुछ ऐसे ही घरेलू उपाय दिए जा रहे हैं:
- प्याज और नमक का सेवन: रात में भोजन के बाद दो चम्मच प्याज के रस में थोड़ा सा नमक मिलाकर पीने से नींद अच्छी आती है।
- प्याज और शहद का मिश्रण: एक चम्मच प्याज के रस में दो चम्मच शहद मिलाकर चाटें। यह मिश्रण अनिद्रा के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है।
- तेल की मालिश: सोने से पहले दोनों पैरों और तलवों पर सरसों या तिल के तेल की मालिश करें। यह मालिश नींद को बेहतर बनाने में सहायक होती है।
- पत्तागोभी का सेवन: सोने से पहले पत्तागोभी के पत्तों को अच्छी तरह चबाकर खाएं। यह उपाय भी नींद को बढ़ावा देने में कारगर होता है।
- सेब का मुरब्बा: रात को भोजन करने के बाद सेब का मुरब्बा खाने से भी नींद में सुधार होता है।
- पपीता का उपयोग: पपीता खाने, उसका रस पीने, और उसकी सब्जी खाने से अनिद्रा की समस्या दूर हो सकती है।
- चटनी का सेवन: हरा धनिया, जीरा, हींग, काला नमक, और कैरी (कच्चे आम) की चटनी पीसकर खाने से अच्छी नींद आती है।
- जायफल का प्रयोग: जायफल को पानी में घिसकर चाटने से भी नींद आ जाती है। जायफल एक प्राकृतिक नींद लाने वाला पदार्थ है।
- नारियल तेल की मालिश: रात को हाथ-पैर और चेहरे पर नारियल (गोले) के तेल की मालिश करें। यह मालिश शरीर को शांत करती है और नींद को बढ़ावा देती है।
- दही या छाछ का सेवन: दही या छाछ में काला नमक, सौंफ, चीनी, और कालीमिर्च मिलाकर सेवन करें। यह मिश्रण पाचन में मदद करता है और नींद को बढ़ावा देता है।
- मेहंदी का प्रयोग: मेहंदी की पत्तियों को पीसकर पैर के तलवों पर लगाने से अनिद्रा का रोग दूर हो जाता है।
- भांग का चूर्ण: 1 ग्राम भांग का चूर्ण फांककर ऊपर से आधा गिलास पानी पीने से भी नींद आती है। ध्यान दें कि भांग का उपयोग सीमित मात्रा में और सावधानी से करें।
- पीपरामूल का सेवन: 4-5 ग्राम पीपरामूल को गुड़ या मिश्री के साथ खाएं। यह उपाय नींद में सुधार लाने में सहायक होता है।
- सौंफ का काढ़ा: 10 ग्राम सौंफ को एक कप पानी में उबालकर छानकर पिएं। यह काढ़ा नींद को बढ़ावा देता है और शरीर को शांति प्रदान करता है।
इन घरेलू उपायों को अपनाकर आप अनिद्रा की समस्या से निजात पा सकते हैं और एक स्वस्थ, संतुलित और शांतिपूर्ण नींद का आनंद ले सकते हैं।
अनिद्रा की प्राकृतिक चिकित्सा (Natural therapy for Insomnia )
नींद न आना के इलाज में प्राकृतिक उपचार भी बहुत सहायक सिद्ध हो सकते हैं। यहां कुछ ऐसे प्राकृतिक उपाय दिए जा रहे हैं:
- पानी में पैर डालना: सोने से पहले थोड़ी देर तक दोनों पैरों को पानी में डाले रखने से नींद अच्छी आती है।
- शाम को स्नान: गर्मियों में शाम को स्नान करने से भी अच्छी नींद आती है। यह शरीर को शांति देता है और नींद को सुधारता है।
- मिट्टी की पट्टी: पेट पर मिट्टी की पट्टी बांधना और उबली हुई लौकी का पानी मस्तक पर लगाना भी नींद में सुधार ला सकता है।
- पेट और कमर पर मालिश: 5 मिनट तक पेट और कमर पर पानी की हल्की धार से मालिश करने से भी नींद को सुधार मिल सकती है।
- उपवास: एक दिन का उपवास करें और शाम को केवल पपीते का रस पिएं। यह शारीरिक प्रक्रियाओं को संतुलित करने में मदद करता है और नींद को बढ़ावा देता है।
- सूर्य की धूप: जाड़े के दिनों में 10 मिनट तक सूर्य की तरफ पीठ करके धूप में बैठना भी अनिद्रा को दूर करने में सहायक हो सकता है।
नींद न आना(अनिद्रा) की होम्योपैथिक दवाईया (Homeopathy medicine for Insomnia)
अनिद्रा के लिए होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग भी कारगर साबित हो सकता है। यहां कुछ उपचार दिए जा रहे हैं:
- पल्सेटिला: नींद न आना की हालत में Palsetila 2 या 200 का सेवन करें।
- व्यूटिरिक एसिड: सोते समय अचानक आंख खुल जाना और नींद न आने की समस्या के लिए Vyutirik Acid 3 दें।
- स्टेफिसेग्रिया: दिन में तन्द्रा की स्थिति और रात में नींद न आने की समस्या में Staphisagria 30 या 200 दें।
- काक्यूलस: अधिक दिनों तक रात में जागने से होने वाली अनिद्रा, चिंता और उद्वेग के लिए Kali Phos 3 या 30 दें।
- डैफनी इंडिका: नींद बिल्कुल न आने, पेट में दर्द या अनिद्रा की स्थिति में Daphne Indica 1, 6 या 30 दें।
- कैडमियम: घबराहट के कारण नींद खुल जाना, रात में उठकर बैठ जाना, दम घुटने की हालत या नोंद न आने की समस्या में Cadmium 3 या 30 दें।
- नक्स वोमिका: बिस्तर पर निश्चित होकर लेटने के बाद भी अच्छी नींद न आने की समस्या में Nux Vomica 30 दें।
- काक्सिनेला मूलार्क: यदि बच्चे को नींद न आती हो तो Coccinella Mularca 30 दें।
- कॉफिया: रातभर नींद न आने, बिस्तर पर छटपटाते रहने या स्नायु उत्तेजना की समस्या में Coffea 6, 30 या 200 दें।
ये होम्योपैथिक उपचार नींद न आना के इलाज में मददगार साबित हो सकते हैं, लेकिन उनका उपयोग करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना अत्यंत आवश्यक है।
नींद न आना(अनिद्रा) की चुम्बक चिकित्सा (Magnet therapy for Insomnia)
चुम्बक चिकित्सा एक प्राचीन उपचार पद्धति है जिसमें चुम्बकों का उपयोग रोगों के इलाज में किया जाता है। यहां दिए गए हैं कुछ आसान तरीके जिनसे आप अपनी नीति में चुम्बक चिकित्सा का उपयोग कर सकते हैं:
- माथे पर चुम्बक: माथे पर कम शक्ति वाले चुम्बक का दक्षिणी ध्रुव रखें। इसे दिन में तीन बार (सुबह, दोपहर और शाम को) 15 से 25 मिनट तक लगाएं।
- हथेली के पास: हथेली के पास नीचे की ओर कलाई के एक सिरे पर चुम्बक का उत्तरी ध्रुव लगाएं। इससे शरीर के ऊर्जा प्रवाह में सुधार हो सकता है।
- पानी पिलाना: चुम्बक द्वारा प्रभावित पानी को दिन में चार बार पिलाएं। इससे शारीरिक संतुलन में सुधार हो सकता है।
नींद न आना (अनिद्रा) की एक्यूप्रेशर चिकित्सा (Accupressure therapy for Insomnia)
एक्यूप्रेशर चिकित्सा एक अन्य प्रकार का प्राकृतिक चिकित्सा है जिसमें दबाव का उपयोग शरीर के विभिन्न अंगों पर किया जाता है। यहां दिए गए हैं कुछ तरीके:
- पैर की मालिश: दाएं पैर को पांचों उंगलियों को क्रमशः धीरे-धीरे दबाएं। इसके बाद दाएं हाथ के अंगूठे के पास घाई में प्रेशर बिन्दु पर दबाव डालें।
- माथे की मालिश: माथे के बीच में उंगली से दबाव डालें। यह रोग के इलाज में मदद कर सकता है।
- कनपटियों पर हल्का दबाव: दोनों तरफ कनपटियों पर हल्का दबाव दें। इसे 3 से 5 सेकंड तक लगभग 15 दिनों तक करें।
इन चिकित्सा पद्धतियों का प्रयोग करने से पूरे शरीर में ऊर्जा का संतुलन बना रहता है और व्यक्ति को रोग से बचाव में मदद मिल सकती है। यहां भी याद रखें कि इन उपायों का प्रयोग करने से पहले चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
नींद न आना(अनिद्रा) के लिए सावधानियाँ (Precautions for Insomnia)
इस रोग के उपचार में निम्नलिखित निर्देशों का पालन करें:
- गर्म पदार्थों से परहेज: रोगी को चाय, कॉफी और अन्य गरम पदार्थों से बचें। इन पदार्थों का सेवन न करें।
- भोजन का समय: भोजन को शाम को जल्दी करें। यह सुनिश्चित करेगा कि रात्रि को शांति में नींद आ सके।
- व्यायाम और नियमित दिनचर्या: व्यायाम को नियमित रूप से और निश्चिंतीपूर्वक करें। यह शारीरिक तथा मानसिक संतुलन में मदद कर सकता है।
- सोने की आदत: दिन में सोने की आदत न डालें। यदि अत्यधिक थकावट महसूस हो, तो दोपहर को भोजन के बाद 5-5 मिनट दोनों करवट लेने का प्रयास करें।
- मांसपेशियों का आराम: मांसपेशियों को आराम पहुंचाने के लिए, 10 मिनट तक मन को शांत करके पेट के बल लेट जाएं। इससे शारीरिक तंद्रा में सुधार हो सकता है।
- भोजन की सावधानियां: भोजन में अधिक घी, तेल, मिर्च-मसाले आदि की मात्रा को कम करें। इन्हें अधिक संख्या में न खाएं।
ये निर्देश अनिद्रा के इलाज में मदद कर सकते हैं और रोगी को उचित आराम और स्वस्थ जीवनशैली की दिशा में मदद कर सकते हैं।
अनिद्रा मे अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) :
यहाँ अनिद्रा से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) दिए गए हैं:
- अनिद्रा क्या होती है?
अनिद्रा एक स्थिति है जिसमें व्यक्ति को पर्याप्त नींद नहीं आती है, या वह नींद में आने के बाद भी ठीक से सो पाने में समस्या आती है। - अनिद्रा के मुख्य कारण क्या होते हैं?
अनिद्रा के कारण विभिन्न हो सकते हैं जैसे मानसिक तनाव, दिनचर्या में बदलाव, रोग, दवाओं का सेवन, अनियमित भोजन, यातायात आदि। - अनिद्रा के लक्षण क्या होते हैं?
अनिद्रा के लक्षण में शामिल हो सकते हैं: रात में नींद न आना, बार-बार उठना, थकावट, चिंता, चेहरे पर ठंडे पड़ जाना, भूख ना लगना, थकान आदि। - अनिद्रा का इलाज क्या है?
अनिद्रा का इलाज व्यक्ति की व्यक्तिगत स्थिति और कारणों पर निर्भर करता है। इसमें ध्यान, व्यायाम, और स्वस्थ जीवनशैली का पालन किया जाता है। कुछ मामलों में दवाइयाँ भी निर्धारित की जाती हैं। - अनिद्रा से बचने के उपाय क्या हैं?
अनिद्रा से बचने के लिए नियमित व्यायाम, समय पर भोजन, ध्यान, समय पर सोना, गर्म पदार्थों से परहेज, और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना महत्वपूर्ण है। - क्या घरेलू उपाय अनिद्रा में मदद कर सकते हैं?
हां, कुछ घरेलू उपाय जैसे प्याज और शहद का सेवन, पत्तागोभी का सेवन, मेंहदी की पत्तियों का उपयोग, चाय के पत्तों का सेवन, और जायफल के चूर्ण का सेवन अनिद्रा में लाभकारी साबित हो सकते हैं। - कब चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए?
अगर अनिद्रा की समस्या लंबे समय तक बनी रहती है या घरेलू उपायों से निजात नहीं मिल रही है, तो चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। चिकित्सक उपयुक्त जांच करेंगे और सही इलाज बताएंगे। - बच्चों में अनिद्रा का इलाज कैसे किया जा सकता है?
बच्चों में अनिद्रा का इलाज करने के लिए उन्हें नियमित नींद की आदत डालने के लिए समय पर सोने और उठने की प्रेरणा देनी चाहिए। साथ ही, उनकी दिनचर्या में व्यायाम और सक्रिय रहना भी मददगार हो सकता है। यदि ये उपाय नहीं कारगर होते हैं, तो चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। - क्या अनिद्रा अन्य रोगों के लक्षण हो सकती है?
हां, अनिद्रा कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के साथ संबंधित हो सकती है जैसे मानसिक तनाव, डिप्रेशन, अत्यधिक थकान, या अन्य रोगों के इलाज के दौरान दवाओं का सेवन। अनिद्रा अक्सर दूसरी समस्याओं के साथ संबंधित होती है और इन्हें सही तरीके से पहचानना महत्वपूर्ण है। - क्या अनिद्रा के लिए योग और मेडिटेशन फायदेमंद हो सकते हैं?
हाँ, योग और मेडिटेशन अनिद्रा के इलाज में मददगार हो सकते हैं। योग और प्राणायाम मानसिक शांति और शारीरिक सुधार कर सकते हैं, जो नींद में सुधार ला सकते हैं। मेडिटेशन भी मानसिक तनाव को कम करने और नींद को बढ़ाने में मदद कर सकता है। - अनिद्रा के इलाज में क्या भोजन महत्वपूर्ण है?
हाँ, सही भोजन अनिद्रा के इलाज में महत्वपूर्ण होता है। अधिक मिठा और तेज चीजें, जैसे की चाय, कॉफी, चॉकलेट, अल्कोहल, और अन्य उत्तेजक पदार्थों का सेवन रात को नींद को बाधित कर सकता है। इसके बजाय, हल्का भोजन और रात के समय फल या दूध का सेवन नींद में मदद कर सकता है। - क्या दवाइयों का सेवन अनिद्रा के इलाज में सहायक हो सकता है?
हां, कई मामलों में चिकित्सक द्वारा निर्धारित दवाइयों का सेवन अनिद्रा को दूर करने में मददगार हो सकता है। ये दवाइयाँ नींद लाने में मदद कर सकती हैं, लेकिन इनका सेवन चिकित्सक द्वारा निर्दिष्ट होना चाहिए।
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