पथरी, एक ऐसी बीमारी है जो गुर्दे और पित्ताशय दोनों में होती है। यह रोग रेत के छोटे-छोटे कणों के इकट्ठे हो जाने से उत्पन्न होता है। ये कण सफेद और लाल रंग के होते हैं और उनका आकार गोल, अण्डाकार, चपटी और चिकनी होता है। इस रोग का मुख्य कारण शारीरिक परिश्रम की कमी और अधिक मात्रा में चर्बी वाले और नाइट्रोजन युक्त पदार्थों का सेवन होता है।
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यह बीमारी अधिकतर 30 से 50 वर्ष की आयु के बीच होती है। आधुनिक वैज्ञानिकों और चिकित्सकों के अनुसार, टायफाइड के कीटाणु ‘बी’ कोलाई पित्ताशय में सूजन उत्पन्न कर देते हैं, जिससे पथरी बनती है। इस लेख में हम पथरी के कारण, लक्षण, निदान, और इसके उपचार के बारे में विस्तार से जानें
पित्ताशय की पथरी gallstone का कारण(causes of gallstone)
पथरी की बीमारी गुर्दे तथा पित्ताशय दोनों में हो जाती है। रेत के छोटे-छोटे कण इकट्ठे होकर पथरी बन जाते हैं। ये सफेद तथा लाल रंग की, गोल, अण्डाकार, चपटी एवं चिकनी होती है। यह रोग उन लोगों को अधिक होता है जो शारीरिक परिश्रम न करके मानसिक परिश्रम करते हैं। जो लोग हर समय बैठे रहने का काम करते हैं, उनको भी पथरी रोग हो जाता है। चर्बी वाले तथा नाइट्रोजन युक्त पदार्थ अधिक मात्रा में खाने से भी शरीर में पथरी तेजी से बनती है।
यह बीमारी अधिकतर 30 से 50 वर्ष की आयु के बीच होती है। आधुनिक वैज्ञानिकों तथा चिकित्सकों के अनुसार टायफाइड के कीटाणु ‘बी’ कोलाई पित्ताशय में सूजन उत्पन्न कर देते हैं जिसके कारण पथरी बन जाती है। यह कीटाणु रेत के कणों में रहता है और शरीर में प्रवेश करके पित्ताशय को हानि पहुंचाता है जिससे रोगी को असहनीय दर्द होता है।
पित्ताशय की पथरी gallstone के लक्षण(symptoms of gallstone)
पथरी का दर्द दाई कोख से शुरू होकर चारों तरफ फैल जाता है। दर्द के कारण कै, ठंड-पसीना, कमजोर नाड़ी, कामला, सांस का कष्ट, मूर्च्छा आदि लक्षण मालूम पड़ते हैं। यह दर्द शुरू होने के बाद कुछ घंटों से लेकर 10- 12 दिनों तक चल सकता है। जब पथरी भीतर की तरफ चली जाती है तो रोगी को चैन पड़ता है। चूंकि कमजोरी अधिक होती है, इसलिए रोगी सो जाता है। पथरी के हिलने-डुलने से तकलीफ काफी बढ़ जाती है। एक्स-रे द्वारा जांच कराने से पथरी के बारे में पता चल जाता है। अतः जांच के बाद ही दवा शुरू करनी चाहिए।
पित्ताशय की पथरी gallstone – उपचार
1. पथरी gallstone का घरेलू उपाय (home remedies for gallstone)
- 6 ग्राम पपीते की जड़ को 60 ग्राम पानी में पीस लें। फिर इसे छानकर 20-25 दिनों तक सुबह-शाम पिलाएं। पित्ताशय की पथरी गलकर निकल जाएगी।
- टिन्हें का रस 50 ग्राम और जवाखार 2 ग्राम दोनों को मिलाकर सुबह बिना कुछ खिलाए रोगी को दें। तीन चम्मच केले के स्तम्भ-रस में 1 ग्राम कलमी शोरा मिलाकर नित्य प्रयोग में लाएं।
- पिसे हुए तिल 2 ग्राम, कलमी शोरा 4 ग्राम और नीबू का रस 6 ग्राम- सभी को मिलाकर दिन में दो बार नियमित रूप से पिलाएं। 20-21 दिनों बाद पथरी गलकर पेशाब के साथ निकल जाएगी।
- 20 ग्राम प्याज के रस में 20 ग्राम मिश्री मिलाकर सेवन करें। 6 ग्राम अशोक के बीज को पानी द्वारा सिल पर पीस लें। फिर इसे रोगों
- टिंडे के रस में जवाखार डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी नष्ट होती है को सुबह-शाम दें।
- कलमी शोरा 3 ग्राम, तेलिया सुहागा 3 ग्राम तथा पिसे हुए तिल 3 ग्राम – तीनों चीजों को दूध में मिला लें।
- फिर उसमें थोड़ा-सा पानी डालकर सेवन करें। फिटकरी का फूला 1% ग्राम, कलमी शोरा 2 ग्राम तथा शक्कर 25 ग्राम-तीनों को छाछ में घोलकर दो खुराक के रूप में उपयोग करें।
- दो चम्मच मूली के रस में 3 ग्राम अजमोद मिलाकर नित्य सुबह के समय बिना कुछ खाए सेवन करें।
- इलायची, शिलाजीत तथा पीपल- तीनों 5-5 ग्राम लेकर चूर्ण बना लें। फिर उसमें 10 ग्राम मिश्री मिलाकर
- एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ लें। यह पथरी की खास दवा है। सूखे आंवले का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में लगभग 15 दिनों तक जल के साथ खाएं।
- मौलसिरी के फूलों का शरबत सुबह के समय पीने से पथरी की बीमारी जाती रहती है।
- दो अंजीर के टुकड़े करके दूध में पका लें। रात में सोने से पहले अंजीर को चबाकर दूध पी जाएं। इससे पथरी में काफी लाभ होता है।
- 10 ग्राम गोखरू के चूर्ण में 25 ग्राम शहद मिलाकर भेड़ के दूध के साथ सेवन करें।
- कुलथी के आटे की रोटियां हरी सब्जी से खाने पर पथरी गल जाती है।
- एक कप पालक का रस तथा आधा कप नारियल का रस-दोनों को मिलाकर पीने से पित्ताशय की पथरी का रोग नष्ट हो जाता है।
- ककड़ी के बीज 3 ग्राम और मिश्री 10 ग्राम दोनों को खरल करके रोगी को पानी के साथ खिलाएं। 6 ग्राम मेहंदी के पत्तों को आधा लीटर पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो उसे छानकर पिलाएं।
- दो करेलों को कुचलकर उनका रस कुछ दिनों तक नित्य सेवन करें।
- चौलाई के पत्तों को उबालकर उसमें जरा-सा नमक डालें। फिर उसका रस आधा कप निकालकर नित्यउपयोग में लाएं।
- सलाद के पत्तों का रस 150 ग्राम और गाजर का रस 120 ग्राम दोनों को मिलाकर 20 दिनों तक लें। भोजन के साथ बैंगन का भुरता (बीज निकालकर) 20 दिनों तक नित्य खाएं।
- चटर-पटर के आठ-दस पत्ते नित्य चबा जाएं। कुछ दिनों में पथरी अपने आप निकल जाएगी।
2. पथरी gallstone कि आयुर्वेदिक दवाईया (ayurvedic medicine for gallstone)
- गोखरू, किरमाला की गिरी, डाभ की जड़, कास की जड़, आंवला तथा हरड़ की छाल- प्रत्येक 25-25 ग्राम लेकर थोड़े-से पानी में काढ़ा बनाकर सेवन करें।
- त्रिविकम रस 250 ग्राम दिन में दो बार शहद के साथ मिलाकर दें।
- पके हुए जामुन, गाजर, चुकन्दर, खीरे और ककड़ी का रस 10-10 ग्राम तथा हरड़ को छाल 3 ग्राम- सबको मिलाकर सुबह के समय उपयोग करें।
- धात्री लौह तथा वरुणाद्य लौह-दोनों 4-4 रत्ती दिन में दो बार शहद के साथ दें।
- गोक्षुरादि गुग्गुल की दो गोली दिन में दो बार दूध से लें।
- श्वेत पर्पटी 500 मि.ग्रा. का सेवन नारिकेल जल के साथ दिन में तीन बार करें।
- चन्दनासव तथा पुनर्नवासव-दोनों 15 मि.ग्रा. की मात्रा में मिलाकर दें।
3. पथरी कि होमियोपैथिक दवाईया (homeopathy medicine for gallstone)
- यदि पित्ताशय की पथरी में तेज दर्द हो तो प्रतिदिन चायना 6 दें।
- पित्ताशय की पथरी gallstone की प्रसिद्ध दवा हाईड्रेज्जिया Q है। इसे पथरी निकल जाने के बाद तक खिलानी चाहिए।
- पथरी में बेलाडोना तथा कैमोमिला बड़ी उपयोगी दवाएं हैं।
- यदि दर्द हो और मूत्र के साथ रेत के कण दिखाई दें तो सार्सापेरिला दें।
- यदि एक्स-रे द्वारा पता चल जाए कि पथरी पित्ताशय में है तो यूवाउर्सी की 4 बूंदें पानी में मिलाकर दें।
- अगर दर्द शुरू होकर दोनों वृक्कों में, फिर मूत्रनली से होकर मूत्रस्थली में चला जाए और जलन बढ़ जाए तो बर्बेरिस वल्गेरिस मूलार्क दें।
- पित्ताशय की पथरी gallstone की एक उत्तम दवा कैंथेरिस है। यदि रोगी का कष्ट बढ़ जाए तो 5-5 बूंद दवा पानी में मिलाकर दिन में 20-20 मिनट के अन्तर पर दें। पथरी की वजह से पेशाब मुश्किल से उत्तरे, जलन, रक्तस्त्राव आदि लक्षणों में श्लेस्पिवर्सा पेस्टोरिस लें।
gallstone से जुड़ी जरूरी बाते (Important tips for gallstone patients)-
हालाकि हमने ऊपर सभी तरह कि उपचार और दवाइयों के बारे मे बताया है लेकिन अगर आप नीचे दिए गए निर्देशों को पालन करते है तो आप जल्दी ही ठीक हो जाएंगे और आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेंगा –
- मांस, मछली तथा नशीली चीजों का सेवन बिल्कुल न करें।
- खाली पेट न रहें। फलों का रस तथा दूध बराबर लेते रहें।
- गेहूं की रोटी, जौ का पानी, दलिया, मसूर तथा मूंग की दाल, तरोई, टिण्डा, बैंगन, लौकी आदि सब्जियां बहुत लाभकारी हैं।
- खोआ तथा उससे बना सामान, तली हुई चीजें, पूरी-कचौड़ी, दालमोठ आदि का सेवन न करें।
- रात को सोने से पूर्व हाथ-पैर गुनगुने पानी से धोएं।
यदि आपको पित्ताशय की पथरी gallstone रोग लंबे समय तक बनी रहती है या गंभीर है, तो डॉक्टर से सलाह लेना उचित होगा। वे सही उपचार और सलाह प्रदान कर सकते हैं।
पित्ताशय की पथरी gallstone मे अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न(FAQs on gallstone disease)
यहाँ पित्ताशय की पथरी gallstone के बारे में कुछ आम सवाल Frequent Asked Questions(FAQs) हैं:
प्रश्न 1 : पित्ताशय की पथरी gallstone क्या होती है?
उत्तर : पित्ताशय की पथरी गैलब्लैडर में बनने वाले कठोर पदार्थों की गाठ होती है।
प्रश्न 2 : पित्ताशय की पथरी gallstone कैसे बनती है?
उत्तर : गैलब्लैडर में बायल की अधिकता, कोलेस्ट्रोल या बिलीरुबिन की कमी के कारण पथरी बन सकती है।
प्रश्न 3 : पित्ताशय की पथरी gallstone के लक्षण क्या होते हैं?
उत्तर: पित्ताशय की पथरी के लक्षण में पेट के उच्च भाग में दर्द, पेट की गैस, पेट सूजन, त्वचा की पीलापन, उल्टी या पेट दर्द शामिल हो सकते हैं।
प्रश्न 4 : पित्ताशय की पथरी gallstone का निदान कैसे किया जाता है?
उत्तर: डॉक्टर उपयुक्त परीक्षण और जाँच करके पथरी का निदान करते हैं, जैसे कि एल्ट्रासाउंड या कॉम्प्यूटर टॉमोग्राफी (CT) स्कैन।
प्रश्न 5 : पित्ताशय की पथरी gallstone का उपचार क्या होता है?
उत्तर: उपचार में आहार बदलाव, दवाओं का सेवन, और यदि जरूरत पड़ी तो सर्जरी शामिल हो सकती है।
प्रश्न 6 : पथरी से बचाव के लिए क्या किया जा सकता है?
उत्तर: हेल्दी आहार और जीवनशैली, अधिक पानी पीना, पूर्ण अभ्यास करना, और अतिरिक्त वजन कम करने में सहायक हो सकता है।
प्रश्न 7 : पथरी का असर बाद में क्या हो सकता है?
उत्तर: अगर पथरी के इलाज में लापरवाही हो, तो संभावना है कि पथरी से संबंधित समस्याएँ बढ़ सकती हैं, जैसे कि पिताशय संक्रमण या पित्ताशय का कैंसर ।
प्रश्न 8: पित्ताशय की पथरी से कैसे बचा जा सकता है?
उत्तर: पित्ताशय की पथरी से बचने के लिए स्वस्थ आहार लेना, नियमित व्यायाम करना, अधिक वजन को नियंत्रित रखना, और पर्याप्त मात्रा में पानी पीना आवश्यक है। संतुलित आहार जिसमें फाइबर की मात्रा अधिक हो और वसा की मात्रा कम हो, से भी मदद मिलती है।
प्रश्न 9: क्या पित्ताशय की पथरी को निकलवाने के बाद पाचन में समस्या हो सकती है?
उत्तर: पित्ताशय को निकलवाने के बाद कुछ लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि दस्त, क्योंकि पित्त का प्रवाह सीधे छोटी आंत में होता है। यह समस्या आमतौर पर समय के साथ ठीक हो जाती है।
प्रश्न 10: पित्ताशय की पथरी का सर्जरी के बिना इलाज संभव है?
उत्तर: हाँ, कुछ मामलों में पथरियों को दवाओं और अन्य उपचारों से घोलकर निकाला जा सकता है, लेकिन यह हर किसी के लिए प्रभावी नहीं होता। सर्जरी अक्सर सबसे अधिक प्रभावी और स्थायी समाधान होती है।
प्रश्न 11: क्या पित्ताशय की पथरी gallstone एक बार हटने के बाद फिर से हो सकती है?
उत्तर: पित्ताशय को निकलवाने के बाद पथरी दोबारा नहीं बनती, क्योंकि पथरी बनने की जगह ही नहीं रहती। हालांकि, यदि पथरी घुलने वाली दवाओं से हटाई गई है, तो उनके पुनः बनने का जोखिम बना रहता है।
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