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“पीलिया, एक ऐसा रोग है जो शरीर को प्रभावित करता है और रंग को पीला बना देता है, जिसे जौंडिस के नाम से भी जाना जाता है। यह रोग जन्म के समय से लेकर बड़े वय के लोगों तक किसी को भी प्रभावित कर सकता है। पीलिया के कारण, लक्षण, इलाज और बचाव को समझना महत्वपूर्ण है ताकि इस समस्या को समय रहते पहचाना और उपचार किया जा सके। इस लेख में हम पीलिया रोग के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे, जिससे आप इस समस्या को समझ सकें और इसका सही उपचार कर सकें।”
पीलिया रोग jaundice क्या है ?
लिवर की नली में जब पथरी अटक जाती है या किसी खास रोग के कारण पित्तनली का मार्ग तंग (छोटा) हो जाता है तो ‘पित्त’ आंतों में न पहुंचकर सीधा खून में मिलने लगता है। इस कारण शरीर पर पीलापन आ जाता है। इसे ही ‘पीलिया’ कहते हैं। यह रोग संतुलित तथा पौष्टिक भोजन न मिलने, पाचन क्रिया की खराबी, अधिक वीर्य नष्ट करने, अधिक समय तक खून गिरने या बहने, लम्बा मलेरिया बुखार, पर्यावरण के दूषित होने, रोशनी की कमी आदि के कारण हो जाता है।
पीलिया रोग का कारण
पीलिया रोग के कारण कई हो सकते हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:
- लिवर संबंधी समस्याएं: लिवर एक महत्वपूर्ण अंग है जो बिलीरुबिन नामक एक विषाणु को हमारे शरीर से हटाता है। लिवर के किसी भी रोग, जैसे कि हेपेटाइटिस, या फिर लिवर सिरोसिस, बिलीरुबिन को उत्पन्न करने और हटाने की क्षमता में कमी ला सकता है, जिससे पीलिया हो सकता है।
- गैल ब्लैडर संबंधी समस्याएं: गैल ब्लैडर, जिसे पित्ताशय भी कहा जाता है, बिलीरुबिन को संग्रहित करता है और उसे उत्सर्जित करता है। अगर गैल ब्लैडर में किसी प्रकार की रुकावट हो, तो बिलीरुबिन की मात्रा बढ़ सकती है, जिससे पीलिया हो सकता है।
- बाह्य रक्त सांचों की नष्ट होना: किसी अन्य मेडिकल समस्या या किसी चिकित्सा प्रक्रिया के दौरान रक्त की अत्यधिक हानि होने पर, जैसे कि बड़ा होमोरेज, बिलीरुबिन की मात्रा शरीर में बढ़ सकती है, जिससे पीलिया हो सकता है।
- बिलीरुबिन के अत्यधिक उत्पादन: कुछ गंभीर रोग, जैसे कि मलेरिया, थालसेमिया, या लीवर कैंसर, बिलीरुबिन की अत्यधिक उत्पादन का कारण बन सकते हैं, जिससे पीलिया हो सकता है।
इन सभी कारकों के अलावा, नई जन्मलीन शिशुओं में पीलिया हो सकता है, जिसे फिजिओलॉजिकल जौंडिस कहा जाता है, जो किसी भी उत्पादन के कारण हो सकता है या फिर बच्चे के लिवर के परिप्रेक्ष्य से संबंधित हो सकता है।
पीलिया रोग jaundice के लक्षण
पीलिया रोग के लक्षण व्यक्ति से व्यक्ति भिन्न हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:
- त्वचा और आंखों का पीलापन
- पेट में दर्द या उबकाई
- नीली रंग की पेशाब
- खाँसी और जी मिचलाना
रोगी की आंखें, सारा शरीर, नाखून और मूत्र पीला हो जाता है। रोगी के मुंह का स्वाद कड़वा होना, जीभ पर मैल का लेप चढ़ना तथा भूख कम लगना आदि पीलिया के मुख्य लक्षण हैं। इस रोग में नाड़ी क्षीण हो जाती है। शरीर में खुजली, अनिद्रा, आलस्य, दुर्बलता आदि तकलीफें उत्पन्न हो जाती हैं।
उपचार –
1. पीलिया रोग कि घरेलू दवाई
- अनार के पत्ते छाया में सुखाकर पीस डालें। इसे 6 ग्राम की मात्रा में गाय के मक्खन के साथ सेवन करें। एक चम्मच आंवला चूर्ण में आधी चुटकी लौह भस्म मिलाकर शहद के साथ उपयोग करें।
- ग्वारपाठे का रस दो चम्मच प्रतिदिन सेवन करें। यह रस पित्तनली के दोष दूर करता है।
- अनन्नास के पके फल का रस 10 ग्राम, हल्दी का चूर्ण 2 ग्राम तथा मिश्री 3 ग्राम-तीनों मिलाकर लें। केले की फली में बुझा हुआ चूना लपेटकर खाएं।
- सफेद चन्दन 5 ग्राम और पिसी हुई आवां हल्दी 7 ग्राम-दोनों को शहद में मिलाकर सुबह-शाम लें।
- 26 ग्राम पिसी हल्दी को मट्टे में मिलाकर सेवन करें। 8 दिनों में पीलिया शान्त हो जाएगा।
- फिटकरी का फूला 2 चुटकी प्रतिदिन गाय के दूध के दही में मिलाकर एक सप्ताह तक खिलाएं।
- मूली का रस 40 ग्राम और शक्कर 10 ग्राम दोनों को मिलाकर दिन में तीन बार लें।
- दो चम्मच बेल के पत्तों के रस में पांच कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर रोगी को नित्य 15 दिनों तक निहार मुंह खिलाएं।
- अनन्नास का रस पीलिया में भी मुफीद है
- रात को इमली का गूदा पानी में भिगो दें। सुबह उसे पानी में मथ छानकर पी जाएं।
- छोटी पीपल एवं कालीमिर्च का चूर्ण 2-2 तोले तथा सहिजन की छाल (कुटी हुई) 5 तोले- इन तीनों का काढ़ा बना-छानकर पी जाएं।
- 6 माशे कुटकी के चूर्ण को 10 ग्राम करेले के रस में मिलाकर 15 दिनों तक सेवन करें।
- सफेद प्याज का रस दो चम्मच, हल्दी एक चम्मच तथा गुड़ 3 ग्राम सबको मिलाकर सुबह-शाम लें।
- 2 ग्राम बबूल के फूल में थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें।
- 100 ग्राम बथुए के बीज कूट-पीस डालें। उसमें से 5 ग्राम चूर्ण सुबह और 5 ग्राम चूर्ण शाम को 20-25 दिनों तक ताजे पानी के साथ सेवन करें।
- 10 ग्राम पिसी सोंठ का चूर्ण गुड़ या शहद में मिलाकर सुबह-शाम उपयोग करें। लौकी को आग में दबाकर भुरता बनाएं। फिर इसका रस निचोड़ लें। आधा कप रस में जरा-सी मिश्री मिलाकर सेवन करें।
- लहसुन की चार कलियां पीस डालें। फिर उन्हें दूध में मिलाकर कुछ दिनों तक पिएं।
- चार पत्ते पीपल और चार पत्ते लसोड़ा-दोनों को पीस लें। फिर उसमें थोड़ा-सा नमक मिलाकर चाटें।
- बताशों में कच्चे पपीते का 10 ग्राम रस डालकर सेवन करें।
2. पीलिया रोग jaundice कि आयुर्वेदिक दवाई
- बड़ी इलायची के दाने 3 ग्राम, छिले हुए बादाम आठ तथा छुहारा दो-तीनों को रात में एक मिट्टी के बरतन
- में भिगो दें। सुबह बादाम के छिलके उतारकर सबको पीस डालें। इसमें थोड़ा-सा मक्खन और थोड़ी-सी मिश्री
- मिलाकर सुबह के समय लें। यह नुस्खा प्रतिदिन ताजा बनाएं। एक सप्ताह में पीलिया का रोग नष्ट हो जाएगा। खरबूजे की गिरी, खीरे के बीजों की गिरी तथा कासनी की जड़-सभी 4-4 ग्राम लेकर पीस डालें। फिर इसमें 20 ग्राम चीनी मिलाएं। सुबह के समय इस चूर्ण को पानी के साथ सेवन करें।
- लाल किशमिश, मुनक्का, चुकंदर, खजूर, आडू तथा आलूबुखारा- सभी 10-10 ग्राम लेकर बीज निकालकर चटनी की तरह पीस लें। इस चटनी को प्रतिदिन कुछ दिनों तक सेवन करें। पीलिया रोग में यह रामबाण नुस्खा है। चूणामणि रस 152 मि.ग्रा. की मात्रा में शहद के साथ कुछ दिनों तक लें।
- लौह तथा मंडूर भस्म-दोनों 250-250 मि.ग्रा. की मात्रा में मूली के रस में मिलाकर चटाएं।
- त्रिकुटा, बांसा, चिरायता, नीम की छाल, कुटकी तथा गिलोय – सब समान मात्रा में लेकर एक कप पानी में औटाएं। जब काढ़ा आधा कप रह जाए तो जरा-सी चीनी डालकर पी जाएं। यह दवा 15 दिनों तक लें। रेवन्द चीनी और गिलोय का चूर्ण- दोनों 3-3 माशा लेकर शहद में मिलाकर चटाएं।
- अमलतास का गूदा, पीपरामूल, नागरमोथा, कुटकी तथा जंगी हरड़- सबको 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर सेवन करें।
- त्रिफला, गिलोय, अडूसा, कुटकी और चिरायता- इन पांचों का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पिएं।
3. पीलिया रोग jaundice कि होमियोपैथिक दवाईया
- तेज प्यास, बेचैनी, बदन की त्वचा पीली, कुछ काली आदि लक्षणों में आर्सेनिक 6 दें।
- कब्ज, यकृत फूलकर कड़ा, पीला शरीर, आंखें पीली आदि लक्षणों में नक्स वोमिका 1 या 6 दें।
- हल्के पीलिया रोग में क्रियोनेन्थस चूर्ण के रूप में दें।
- जिगर में पीड़ा, जिगर ठीक से काम न करे, पीला पेशाब रुक-रुककर उतरे, बेचैनी, आलस्य आदि लक्षणों में हाइड्रैस्टिस का उपयोग करें।
- पहले जिगर की बीमारी, उसके बाद पीलिया, यकृत में कठोरता, तनावपूर्ण दर्द, नाड़ी धीमी, पेशाब कम,
- सफेद रंग का पाखाना आदि लक्षणों में डिजिटेलिस दें।
- यदि जिगर की खराबी के बाद पित्त उत्पन्न होकर पीलिया हो जाए, तो माइरिका दें।
- जिगर की खराबी, तनाव जैसा दर्द, पित्त निकलने में कमी, पीलिया आदि लक्षणों में मर्क सोल लें।
- अगर आंख, मुंह तथा सारा शरीर पीला हो तो पाडोफाइलम दें।
- यदि अधिक चिकनाई खाने की वजह से पीलिया रोग हो जाए तो नक्स वोमिका दें।
- आंखें पीली तथा पाखाना हल्का काला-सफेद होने पर डालिक्स लें।
- शरीर की त्वचा, मुंह, आंख, शरीर तथा पेशाब पीला होने पर चेलिडोनियम दें।
4. पीलिया रोग कि चुम्बक चिकित्सा
- लिवर की स्थिति के पास पेडू के दाएं भाग पर शक्तिशाली चुम्बक रखें।
- चुम्बक के दोनों ध्रुवों को बारी-बारी से लगाएं। दिन में चार-पांच बार चुम्बक 20-30 मिनट लगाएं।
- यदि जिगर बड़ा हो गया हो और सूजन बढ़ जाए तो चुम्बक का केवल दक्षिणी ध्रुव प्रयोग करें।
- चुम्बक द्वारा बनाए गए तेल से दिन में दो बार जिगर के पास मालिश करें।
5. पीलिया रोग का एक्यूप्रेशर उपचार
- दाएं पैर के तलवे के बीच में तथा दाएं हाथ की हथेली के किनारे छाया बिन्दुओं को दबाएं।
- यह प्रेशर दिन में दो-तीन बार 3 से 5 सेकंड तक दें।
जरूरी बाते –
हालाकि हमने ऊपर सभी तरह कि उपचार और दवाइयों के बारे मे बताया है लेकिन अगर आप नीचे दिए गए निर्देशों को पालन करते है तो आप जल्दी ही ठीक हो जाएंगे और आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेंगा –
- मछली, दूध, घी, तेल, मिष्ठान तथा तली चीजें न खाएं।
- बुखार होने पर साबूदाना, बार्ली, अरारोट, खिचड़ी, अंगूर, चीकू, अमरूद, पपीता आदि का सेवन करें। गेहूं की चपाती, अच्छी तरह पके चावल, मूंग की दाल, परवल, तरोई एवं लौकी की सब्जी आदि बहुत लाभकारी हैं।
- भोजन बिना हल्दी का खाएं।
- क्रोध, शोक, ईष्यां, दमन, मानसिक अशान्ति आदि से बचें। मानसिक कष्ट पहुंचने वाले कार्य न करें। बालक को पीलिया होने पर उसे शीघ्र पचने वाले फल तथा अन्य पदार्थ खिलाएं। उसकी जिद को प्यार से तथा उसके विकल्प से शान्त करने की चेष्टा करें। लाड़-प्यार में हानिकारक चीजें न खिलाएं।
यदि आपको पीलिया रोग रोग लंबे समय तक बनी रहती है या गंभीर है, तो डॉक्टर से सलाह लेना उचित होगा। वे सही उपचार और सलाह प्रदान कर सकते हैं।
पीलिया रोग jaundice मे अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
यहाँ पीलिया रोग jaundice के बारे में कुछ आम सवाल Frequent Asked Questions(FAQs) हैं:
प्रश्न 1 : पीलिया रोग jaundice क्या है?
उत्तर: पीलिया, जिसे हिंदी में काला पित्ता या यकृत रोग भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर की त्वचा, नखून और आंखों की पुतलियों का पीला हो जाता है। यह हेमोग्लोबिन का एक पैरामाणिक स्तर है जो शरीर में बढ़ जाता है।
प्रश्न 2 : पीलिया रोग jaundice का कारण क्या है?
उत्तर: पीलिया कई कारणों से हो सकता है, जैसे कि लिवर की कमजोरी, हेपेटाइटिस, गल ब्लॉकेज, गलस्टोन्स, या ब्लड डिसोर्डर। इसके अलावा, नवजात शिशुओं में माँ के रक्त में बिलीरुबिन की स्तर का उत्तरदायी हो सकता है जिससे उन्हें भी पीलिया हो सकता है।
प्रश्न 3 : पीलिया रोग jaundice के लक्षण क्या हैं?
उत्तर: पीलिया के मुख्य लक्षणों में त्वचा, नखून और आंखों की पीलापन शामिल है। यह शरीर की पीली होने की वजह से होता है, जो बिलीरुबिन के उत्सर्जन के कारण होता है। अन्य लक्षणों में थकान, पेट में दर्द, उलटी, और बूँदारी या पेशाब का पीलापन शामिल हैं।
प्रश्न 4 : पीलिया रोग jaundice का निदान कैसे किया जाता है?
उत्तर: डॉक्टर पीलिया की जांच करने के लिए रक्त परीक्षण, यूरीन परीक्षण, लिवर फंक्शन टेस्ट, और अन्य चिकित्सा जांचें कर सकते हैं। वे आपके लक्षणों को देखकर भी आपकी दशा का मूल्यांकन कर सकते हैं।
प्रश्न 5 : पीलिया रोग Jaundice का उपचार कैसे किया जाता है?
उत्तर: पीलिया के उपचार में लक्षित इलाज कारण पर निर्भर करता है। अधिकतर मामलों में, यह लिवर के समस्याओं को ठीक करने, शराब या नशीली दवाओं को छोड़ने, या तत्काल चिकित्सा उपायों के लिए आवश्यक रहता है।
प्रश्न 6 : क्या पीलिया रोग Jaundice संक्रामक है?
उत्तर:नहीं, पीलिया संक्रामक नहीं है। यह एक लक्षण है जो कई विभिन्न कारणों से हो सकता है और बिल्कुल भी एक स्वास्थ्य से स्वास्थ्य के बीच संचारित नहीं होता है।
प्रश्न 7 : क्या पीलिया रोग Jaundice को रोका जा सकता है?
उत्तर: कुछ प्रकार के पीलिया को रोका जा सकता है, जैसे कि हेपेटाइटिस टीकाकरण, साफ पानी पीना, स्वच्छता का ध्यान रखना, और अपने शरीर को नशीली चीजों से दूर रखना। लेकिन कुछ प्रकार के पीलिया को नहीं रोका जा सकता है।
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