पेट में पानी भरना जो बड़े पेट के सूजन को दर्शाता है। यह स्थिति उस समय होती है जब शरीर की रक्तवाहिनियों में रक्तदाब (blood pressure) में बढ़ोतरी होती है, जिससे शरीर के अंदरी तरल में से एक तरल पदार्थ, जिसे अस्सीटिक तरल (ascitic fluid) कहा जाता है, का संचय होता है।
यह स्थिति आमतौर पर किसी अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्या के परिणाम के रूप में दिखाई देती है, जैसे कि लिवर की बीमारी, किडनी की समस्या, कैंसर, या दिल की समस्या। यह भी किसी अन्य कारणों से हो सकती है, जैसे कि खान-पान की गलतियाँ, पेट की सूजन, या अन्य तरल संचयन संबंधित समस्याएं।
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Ascites रोग क्या है ?(What is Ascites)
Ascites एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो शरीर के पेट के आस-पास तरल में बढ़ोतरी को दर्शाता है। यह समस्या आमतौर पर लिवर, किडनी या दिल की समस्याओं के कारण होती है, जिससे पेट में सूजन होती है और तरल संचय होता है। इस स्थिति का सही समय पर निदान और उपचार महत्वपूर्ण है।
Ascites रोग का कारण (Causes of Ascites)
जलोदर रोग जिगर की सूजन के अन्त में पेट में पानी भरने के कारण हो जाता है। इसमें पेट के भीतर सूजन भी हो जाती है। यह रोग गुर्दे या आंतों के रोग, प्लीहा, फुफ्फुस, हृदय रोग, स्वरयंत्र रोग, स्वल्प विराम ज्वर तथा रक्त वाहिनियों की अनेक बीमारियों के लक्षण के रूप में दिखाई देता है। असल में यह अलग से कोई रोग न होकर दूसरे रोगों का लक्षण है।
Ascites रोग के लक्षण (Symptoms of Ascites)
इसमें पेट में पानी एकत्र होने के बाद पहले पेट का सामने वाला अंश दिखाई देता है। जैसे-जैसे पानी इकट्ठा होता जाता है तथा नीचे फैलता जाता है, वैसे-वैसे पेट चपटा मालूम पड़ने लगता है। इससे श्वास लेने तथा निकालने में बड़ी कठिनाई होती है। हृदय की धड़कन बढ़ जाती है। कभी प्यास अधिक लगती है और कभी बहुत कम। पेशाब खुलकर नहीं आता। पेट भारी हो जाता है। कब्ज की शिकायत रहती है।
रोगी जिस करवट लेटता है, उसी करवट पेट फूला हुआ दिखाई देता है। पानी, दूध, शरबत, जूस आदि पीने के बाद पेट में सब-कुछ हिलता दिखाई देता है। यदि पेट पर हाथ रखकर निरीक्षण किया जाए तो सारे पेट में पानी चलता हुआ मालूम देता है। रोगी को चलने-फिरने में कष्ट होता है, क्योंकि पेट आगे की ओर बढ़ जाता है। परन्तु यदि जलोदर रोग की धैर्य के साथ चिकित्सा की जाए तो यह ठीक हो जाता है।
उपचार –
1. Ascites कि घरेलू दवाईया (Home remedies for ascites)
- ताजे करेले का रस 50 ग्राम की मात्रा में रोगी को सुबह पिलाएं।
- एक गोल बैंगन लेकर उसमें एक बड़ा छेद करें। इस छेद में ठंडा नौसादर भरकर उसे रात में औस में रख दें। सुबह बैंगन को निचोड़कर रस एक शीशी में भर लें। इस रस की 4-5 बूंदें बताशे में डालकर नित्य कुछ दिनों तक रोगी को पिलाएं।
- प्रतिदिन सुबह इन्द्रायण की जड़ 6 ग्राम की मात्रा में पानी में घोटकर पिलाएं।
- बेल के नए पत्तों का रस 50 ग्राम और छोटी पीपल का चूर्ण 1-1% ग्राम नित्य बेल के रस में दें। करौंदे का रस पहले दिन 10 ग्राम, फिर आगे के प्रत्येक दिन 5-5 ग्राम बढ़ाकर 100 ग्राम तक दें। यह जलोदर के लिए बड़ी बेजोड़ दवा है।
- रोगी को नित्य चने की दाल उबालकर खिलाएं।
- जलोदर में बथुए का रस आधा कप प्रतिदिन दें।
- थोड़ी-सी अजवायन को गो-बछड़े के मूत्र में 24 घंटे तक
- भिगो दें। फिर उसे छाया में सुखा लें। रोगी को 3 ग्राम अजवायन प्रतिदिन पानी से खिलाएं। इससे जलोदर रोग ठीक हो जाता है। थोड़े-से पानी में 50 ग्राम काले चने भिगो दें। अब पानी को सहित चने खाएं।
- उबालें। इसके बाद पानी आधा चम्मच लहसुन का रस एक कप पानी में मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करें।
- जलोदर को नष्ट करता है करीदे का रस
- दो चम्मच कच्ची प्याज का रस शहद में मिलाकर चाटें।
- रोज खरबूजा खाने से जलोदर का पानी पेशाब के साथ निकलता रहता है। दो कप गाजर के रस में थोड़ा-सा भुना जीरा डालकर सेवन करें।
- दो चम्मच दूब के रस को गोमूत्र में मिलाकर कुछ दिनों तक पिएं।
- संतरे का रस एक किलो, कासनी की जड़ की छाल 20 ग्राम, ककड़ी तथा खीरे के बोज 10-10 ग्राम, चौनी एक किलो और सिरका 250 ग्राम सबको मिलाकर मंदी आंच पर पकाएं। जब सारा सामान एक किलो रह जाए तो उसे उतारकर 250 ग्राम सिरका दोबारा मिलाएं। इसमें से 25 ग्राम रस पानी में घोलकर इस्तेमाल करें।
- आम का शरबत नित्य कुछ दिनों तक पीने से जलोदर खत्म हो जाता है।
2. Ascites कि आयुर्वेदिक दवाईया (Ayurvedic medicines for ascites)
- जलोदर रस 250 मि.ग्रा. को ऊंटनी या बकरी के दूध में मिलाकर दो-तीन दिन सेवन करें।
- वारिशोमण रस 25 मि.ग्रा. दिन में दो बार लें।
- नाराच रस 152 मि.ग्रा. की मात्रा में दिन में दो बार पानी के साथ प्रयोग करें।
- ताम्र भस्म 60 मि.ग्रा. की मात्रा में शहद या चित्रक मूल क्वाथ (काढ़ा) के साथ दिन में दो बार लें।
- आरोग्य वर्द्धिनी वटी की एक-एक गोली सुबह, दोपहर और शाम को सेवन करें।
- सामुद्रारि चूर्ण 2 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ खाएं।
- लोहासव 20 मि.ली. की मात्रा में नारियल के पानी में मिलाकर पिएं।
- कुमार्यासव 20 मि.ली. दिन में तीन बार लें।
- यदि मूत्र अम्लीय हो तो पुनर्नवा क्षार, गोक्षुर क्षार और मूली क्षार 200 मि.ग्रा. की मात्रा में बकरी के दूध में मिलाकर सेवन करें।
3. Ascites कि होमियोपैथिक दवाई (Homeopathy medicines for ascites)
- यदि पेशाब बंद हो जाए, बैठते समय सांस लेने में कठिनाई हो, किसी करवट लेटने से तकलीफ बढ़ जाए तो ऑक्सीडेन्ड्रोन मूलार्क का प्रयोग करें।
- यदि सारे शरीर में सूजन वाला जलोदर हो तो लिमिट्रिस स्पाकेटा मूलार्क की 10 बूंदें दें।
- जलोदर का पानी पेशाब द्वारा निकालने के लिए एपोसाइनम कैन्नेबिनम मूलार्क का प्रयोग करें। रोगी को तेज प्यास लगती हो, अधिक पानी पीने से पेट में पीड़ा हो, पेट का पानी उछलकर गले तक आता
- हो अथवा दस्त आदि लक्षणों में एसेटिक एसिड 3 या 30 दें।
- पेट का जल-संचय दूर करने के लिए आर्सेनिक एल्ब 30 का सेवन करें।
जरूरी बाते –
हालाकि हमने ऊपर सभी तरह कि उपचार और दवाइयों के बारे मे बताया है लेकिन अगर आप नीचे दिए गए निर्देशों को पालन करते है तो आप जल्दी ही ठीक हो जाएंगे और आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेंगा –
- भोजन सादा तथा चिकनाई रहित होना चाहिए।
- पेट साफ रखें। यदि शौच साफ न आए तो विरेचन द्वारा साफ करें।
- कच्ची प्याज दिन में आठ-दस बार खाएं। जलोदर के लिए यह रामबाण है।
- ऊंटनी का दूध, गोदुग्ध, बकरी का दूध तथा डाभ का पानी बहुत लाभदायक है।
- जब तक भूख न लगे, भोजन न करें।
- सदैव आधा पेट बिना नमक का भोजन ग्रहण करें।
यदि आपको ascites रोग रोग लंबे समय तक बनी रहती है या गंभीर है, तो डॉक्टर से सलाह लेना उचित होगा। वे सही उपचार और सलाह प्रदान कर सकते हैं।
Ascites रोग मे अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न(FAQs on Ascites)
यहाँ जलोदर रोग के बारे में कुछ आम सवाल Frequent Asked Questions(FAQs) हैं:
प्रश्न 1 :Ascites क्या है?
उत्तर: अस्सीटीज़ एक मेडिकल स्थिति है जिसमें पेट के अंदर तरल का असामान्य संचय होता है, जिससे पेट में सूजन या फूलाव होता है।
प्रश्न 2 :Ascites के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर: यह स्थिति आमतौर पर लिवर, किडनी, या दिल की बीमारियों के साथ जुड़ी होती है, लेकिन इसके कई अन्य कारण भी हो सकते हैं।
प्रश्न 3 :Ascites के लक्षण क्या होते हैं?
उत्तर: इसके लक्षणों में पेट में सूजन, तनाव, और दर्द शामिल हो सकते हैं।
प्रश्न 4 :जलोदर रोग का उपचार क्या है?
उत्तर: उपचार का लक्ष्य उसके कारणों को ठीक करना और तरल संचय को कम करना होता है, जिसमें दवाओं का उपयोग, रसायनों का प्रयोग, और कभी-कभी सर्जरी भी शामिल हो सकती है।
प्रश्न 5 : Ascites का निदान कैसे किया जाता है?
उत्तर: डॉक्टर आमतौर पर रोगी का परीक्षण करके, उसकी मेडिकल हिस्ट्री लेकर, और उपयुक्त टेस्ट कराकर अस्सीटीज़ का निदान करते हैं।
प्रश्न 6 :Ascites के उपचार के बाद क्या सतर्कता बरतनी चाहिए?
उत्तर: अस्सीटीज़ के उपचार के बाद, रोगी को डॉक्टर की सलाह का पालन करना चाहिए, और यदि कोई नए लक्षण उपलब्ध होते हैं तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
प्रश्न 7 :Ascites की सामान्य उम्र क्या होती है?
उत्तर: यह स्थिति किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन यह अधिकतर वृद्ध और उम्रदराज व्यक्तियों में पाई जाती है।
प्रश्न 8 : Ascites की संभावना को कम करने के लिए कौन-कौन से प्राथमिक उपाय हो सकते हैं?
उत्तर: प्राथमिक उपायों में समय पर उचित उपचार, स्वस्थ आहार, और नियमित व्यायाम शामिल हो सकते हैं।
प्रश्न 9: क्या जलोदर रोग से बचाव संभव है?
उत्तर: जलोदर रोग से बचाव के लिए लिवर स्वास्थ्य का ध्यान रखना आवश्यक है। इसमें अल्कोहल का सेवन कम करना, स्वस्थ आहार लेना, और नियमित रूप से स्वास्थ्य परीक्षण शामिल हैं।
प्रश्न 10: जलोदर रोग के लिए कौन से आहार फायदेमंद हैं?
उत्तर: जलोदर रोग के लिए कम सोडियम वाला आहार फायदेमंद होता है। इसमें ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, और कम वसा वाले डेयरी उत्पाद शामिल हैं।
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