बवासीर Hemorrhoids क्या है ? : समस्या, कारण और 6 उपचार

जब हम स्वास्थ्य की बात करते हैं, तो विषय बवासीर का उल्लेख आता है, तो कई लोग इसे शर्म का विषय मानते हैं। हालांकि, बवासीर एक आम समस्या है, जो खासकर बड़ी उम्र के लोगों में देखी जा सकती है, लेकिन यह किसी को भी प्रभावित कर सकती है। इसलिए, इसे उपेक्षित नहीं किया जाना चाहिए और समय रहते इलाज किया जाना चाहिए।

इस ब्लॉग में हम जानेंगे बवासीर से राहत पाने के 20 घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय, जो न सिर्फ प्रभावी हैं बल्कि आसानी से घर पर भी किए जा सकते हैं। प्राकृतिक उपचारों की मदद से आप बिना किसी साइड इफेक्ट के इस समस्या से जल्दी निजात पा सकते हैं।

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बवासीर Hemorrhoids

बवासीर hemorrhoids क्या है?

बवासीर Hemorrhoids, जिसे अंग्रेजी में piles भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें गुदा(मलद्वार) के आसपास की नसें सूज जाती हैं। यह आमतौर पर गुदा के अंदरी भाग में होता है, लेकिन कभी-कभी बाहर भी निकल सकता है। यह आमतौर पर परिष्कृत और प्रयोगात्मक उपचार के बिना दर्दनाक हो सकता है।

बवासीर की उत्पत्ति

जब मलाशय की शिराएं फूल जाती हैं तो उनमें गांठें-सी बन जाती हैं। यह कब्ज के कारण होता है। जो लोग अधिक समय तक गद्दी या कुर्सी पर बैठे रहते हैं, उनकी गुदा की श्लैष्मिक झिल्ली में उत्तेजना पैदा होती है क्योंकि रक्तवाहिनियां दब जाती हैं। प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ जाने तथा मूत्राशय में पथरी हो जाने के कारण भी बवासीर की शिकायत हो जाती है। गुदा में मस्से गुच्छों के रूप में उभर आते हैं। जो लोग कटु, अम्ल, लवण, तीक्ष्ण तथा गरम पदार्थों का अधिक सेवन करते हैं, उनको भी यह रोग लग जाता है।

बवासीर के लक्षण

गुदाद्वार के भीतर तथा बाहर एक छोटी-सी गांठ बन जाती है जिसमें सूजन होती है। गांठों में टपकन, जलन तथा अकड़न पैदा हो जाती है। ऐसा लगता है, मानो काट डालने की स्थिति उत्पन्न हो गई हो। मल-त्याग के समय दर्द होता है तथा खून गिरता है। गुदा में जलन, पीड़ा तथा बार-बार खुजली मचती है। भूख कम हो जाती है। जोड़ों तथा जांघों में दर्द होता है। लगातार कमजोरी के लक्षण उत्पन्न होते हैं।

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बवासीर के प्रकार

बवासीर कई प्रकार की होती हैं, जिनमें मुख्य रूप से तीन प्रकार होते हैं:

  1. आम बवासीर hemorrhoids: यह सबसे सामान्य प्रकार है, जिसमें गुदा की नसें सूज जाती हैं और रक्तस्राव होता है।
  2. खूनी बवासीर hemorrhoids: इसमें बवासीर के बहारी भाग से रक्तस्राव होता है, जो कीचड़ी या दुर्गंध वाले रक्त के साथ होता है।
  3. बाहरी बवासीर hemorrhoids: यह बवासीर बाहरी रूप से नजर आती है और गुदा के बाहर फूलने जैसा लगता है।

बवासीर के कारण

बवासीर के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें सबसे सामान्य हैं:

  1. लंबे समय तक बैठकर काम करना।
  2. पोषक तत्वों की कमी या अशुद्ध आहार।
  3. कब्ज या उससे उत्पन्न होने वाली रक्तस्राव समस्या।
  4. अत्यधिक वजन लिफ्ट करना।
  5. गर्भावस्था या डिलीवरी के दौरान दबाव।

बवासीर के उपचार –

1. घरेलू उपाय

  1. मीठे अनार के छिलकों को छाया में सुखा-पीसकर चूर्ण बना लें। 2 ग्राम चूर्ण दिन में तीन बार ताजे पानी के साथ सेवन करें।
  2. अनार के पेड़ की छाल के काढ़े में एक चम्मच सोंठ का चूर्ण मिलाकर उपयोग करें।
  3. एक चम्मच आंवले का चूर्ण मट्ठे या दही के साथ खाएं।
  4. आम की गुठली की गिरी का चूर्ण 100 ग्राम तैयार करके शीशी में रख लें। प्रतिदिन तीन बार एक-एक चम्मच चूर्ण मट्टे के साथ लें।
  5. ग्वार की फली के दस पत्ते तथा कालीमिर्च दस दाने-दोनों को पीस आधा कप पानी में घोलकर पिएं।
  6. अनार के छिलकों के चूर्ण में बवासीर hemorrhoids रोग ठीक हो जाता है
  7. सुबह खाली पेट दो चम्मच मूली के रस में नमक डालकर पी जाएं।
  8. 1 चुटकी त्रिफला चूर्ण शहद के साथ सेवन करें।
  9. एक चम्मच पिसी हल्दी और आधा चम्मच काला नमक- दोनों को बकरी के दूध के साथ सेवन करें।
  10. यदि खूनी बवासीर hemorrhoids हो तो 250 ग्राम बकरी के दूध में एक चम्मच मेथी के बीज पीसकर औटाएं। फिर दूध को ठंडा करके पिएं।
  11. थोड़ी-सी फिटकरी और थोड़ी-सी हरड़ पिसी हुई-दोनों को मक्खन में मिलाकर गुदा पर लगाएं।
  12. आम की आठ-दस कलियां पीस लें। उसमें थोड़ी-सी शक्कर मिलाकर लगभग दो चम्मच की मात्रा में यह चटनी खाएं। खूनी बवासीर में बहुत लाभ होगा।
  13. प्रतिदिन सुबह खाली पेट 250 ग्राम अमरूद खाने से कब्ज टूटता है और बवासीर दूर होती है।
  14. गुदा पर दिखाई देने वाले बवासीर के मस्सों पर पपीते की जड़ पानी में घिसकर लगाएं।
  15. 10 ग्राम निबोली की गुठली की गिरी पीस डालें। फिर उसमें 10 ग्राम मूली का रस मिलाएं। दो खुराक बनाकर सुबह-शाम सेवन करें।
  16. गाजर का रस एक कप तथा पालक का रस एक कप-दोनों को 8-10 दिनों तक नियमित रूप से पीने पर बवासीर खत्म हो जाती है।
  17. दो चम्मच भांगरे का रस आटे में गूंधकर साग से रोटी खाएं।
  18. बादी बवासीर hemorrhoids में नीम का तेल मस्सों पर लगाएं।
  19. रीठे के छिलके तवे पर भूनकर पीस लें। फिर उसमें समभाग पपरिया कत्था मिलाकर मस्सों पर लगाएं। पीली राल को महीन पीसकर प्रतिदिन 6 ग्राम चूर्ण दही के साथ सेवन करें। यह खूनी बवासीर के लिए अक्सीर दवा है। 
  20. 10 ग्राम कालीमिर्च तथा 10 ग्राम जीरा-दोनों को पीसकर चूर्ण बनाएं। उसमें 2 चुटकी सेंधा नमक मिलाकर दिन में तीन बार बराबर की मात्रा में लें। 15 दिनों में बवासीर की बीमारी चली जाएगी।

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2. आयुर्वेदिक उपाय

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बवासीर Hemorrhoids
  1. हरड़, बहेड़ा और आंवला को कूट-पीसकर उसमें नीम की पत्तियों का चूर्ण (1/5 भाग) मिला लें। इसमें से एक चम्मच चूर्ण सुबह बगैर कुछ खाए-पिए सेवन करें। एक अनिभुख लौह, मल्ताक लौह तथा शंकर लौह- तीनों 125-125 ग्राम की मात्रा में लेकर उसमें 50 ग्राम त्रिफला का चूर्ण मिला लें। इसमें से एक-एक चम्मच चूर्ण का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पिएं।
  2. अभ्रक भस्म 250 मि.ग्रा. दिन में दो बार शहद में मिलाकर सेवन करें। सेंहुड़ के दूध में हल्दी का चूर्ण मिलाकर मलहम-सा बना लें। उसे मस्सों पर लगाएं।
  3. बवासीर hemorrhoids के मस्सों को नष्ट करने के लिए कासीसादि तेल का प्रयोग करें।
  4. नीम और कनेर के पत्तों को पीसकर लेप बना लें। यह लेप बवासीर के मस्सों पर लगाएं।
  5. कालीमिर्च 3 ग्राम, पीपल 2 ग्राम, सोंठ 3 ग्राम, चित्रक 4 ग्राम तथा जमीकंद 6 ग्राम-इन सबको कूट- पीसकर चूर्ण बना लें। फिर उसमें 25 ग्राम गुड़ मिलाकर जंगली बेर के बराबर गोलियां बनाएं। एक-एक गोली सुबह-शाम दूध या जल के साथ सेवन करें।
  6. एरंड की जड़, मुलहठी, रासना, अजवायन तथा महुआ-सबको बराबर की मात्रा में लेकर कांजी के पानी में पीस लें। फिर उसे मस्सों पर लेप करें।
  7. हरा कसीस, सेंधा नमक, पीपल, सोंठ, कूट, करिहारी की जड़, कनेर की जड़, बायबिडंग, चित्रक, हरताल तथा सत्यानाशी की जड़-सबको बराबर की मात्रा में कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। फिर इसे सरसों के तेल में मिलाकर कुछ देर आंच पर पकाएं। यह तेल मस्सों पर तथा गुदा के भीतर लगाएं।
  8. पीपल की लाख, हल्दी, मुलहठी, मजीठ तथा कमलगट्टा की मींगी- इन सबको बराबर-बराबर लेकर पीस लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण जल के साथ खाएं। यह खूनी तथा बादी- दोनों बवासीर में बहुत उपयोगी है। रसौत, चीनिया कपूर और निबोली की मींगी-इन तीनों को बारीक पीसकर मक्खन में मिला लें। फिर इसे मस्सों पर लगाएं।

3. प्राकृतिक उपाय

  1. एक सप्ताह तक प्रतिदिन हल्का एनिमा लगाएं।
  2. ठंडे पानी से छप्पे मारकर गुदा को लगभग आधा घंटे तक धोते रहें।
  3. दिन में कम से कम 5 लीटर पानी पिएं।
  4. 2-3 सप्ताह तक केवल फल का सेवन करें।
  5. प्रतिदिन शौच जाने के तुरन्त बाद काली मिट्टी गीली करके गुदा पर लगाएं और खाट पर लेटे रहें।
  6. मिट्टी साफ करने के बाद सुबह-शाम दोनों समय कटि स्नान करें।
  7. गर्मियों में प्रतिदिन नदी या नहर में स्नान करें।

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4. होमियोपैथिक उपाय

  1. मस्सों के साथ-साथ गुदा पर फटे हुए घाव, खून का निकलना, फिशर की शिकायत आदि में पियोनिया कम शक्ति की दवा मस्सों पर लगाएं।
  2. मलद्वार में जलन, मलद्वार में कांटे से चुभते हों आदि लक्षणों में इस्क्युलस 200 का प्रयोग करें।
  3. मलद्वार के चारों तरफ जलन, खूनी बवासीर, दर्द भरे फूले हुए मस्से आदि लक्षणों में कॉलि कार्ब लगाएं।
  4. यदि साधारण रूप से मलद्वार में खुजली मालूम पड़े तो मूलेन ऑयल लगाएं। बवासीर में निरंतर खुजली की हालत में रेडियम 12 या 30 का प्रयोग करें।
  5. यदि बवासीर पुरानी न हो तो ब्लूमिया आडोरेटा मूलार्क की 3-4 बूंदों का उपयोग करें।
  6. गांठ के रूप में कड़ा मल, कष्टपूर्ण खुजली, रक्तस्त्रावी बवासीर, स्त्रियों को मासिक धर्म के समय बवासीर, मल-त्याग के बाद मस्सों के निकलने तथा दर्द होने पर एमोन म्यूर 6, 30 या 200 का प्रयोग करें।
  7. खूनी बवासीर, मस्से निकलें, बार-बार पाखाना आने का वेग, मलद्वार में दर्द, तनाव आदि लक्षणों में इग्नेशिया 6 या 200 दें।
  8. यदि जिगर रोग के साथ-साथ बवासीर तथा रक्तस्त्राव हो, मलद्वार में अधिक कष्ट हो तो लाइकोपोडियम 6, 30 या 200 दें। 3,
  9. मलद्वार में दर्द, अधिक मात्रा में रक्त निकले तथा कमर में दर्द होने पर। ड्राम हेमामेलिस मूलार्क 2 या 6 को 8 ड्राम ओलिव ऑयल में मिलाकर मलहम बना लें। यह मलहम मस्सों पर लगाएं। कब्ज, गुदा के भीतर मस्से, कांच निकलने का भय आदि स्थिति में कॉलि फ्लोर 6 या 30 का प्रयोग करें।
  10. मलद्वार में जलन, गर्मी, मल त्याग के समय कष्ट आदि में आर्सेनिक एल्ब 2 से CM तक का सेवन करें।
  11. यदि पतला पाखाना और बवासीर हो तो पालिगोनम मूलार्क की 5-7 बूंदें दिन में दो बार दें।
  12. ज्वर को शीतावस्था और उससे पूर्व पित्ती निकले तथा तेज कष्ट आदि में हिपर सल्फ 3 या 200 लें।
  13. पुराने आमवात में बवासीर की शिकायत होने पर हाइड्रैस्टिस मूलार्क 3 या 6 का प्रयोग करें।
  14. पुरानी बवासीर, मलद्वार में डंक मारने जैसा दर्द, बवासीर में खून आना बंद हो जाने पर सिर दर्द आदि लक्षणों में सल्फर 3, 6 या 200 लें।

5. चुम्बक उपाय

  1. प्रभावित भाग पर शक्तिशाली चुम्बक का प्रयोग करें।
  2. चुम्बक का दक्षिणी ध्रुव 40-50 मिनट तक दिन में तीन-चार बार लगाएं।
  3. लौह चुम्बक वाली गद्दी पर रोगी को 30-40 मिनट तक बैठाएं।
  4. पैर के टखने पर लगभग 3-4 इंच ऊपर चुम्बक का उत्तरी ध्रुव लगाएं।
  5. चुम्बक के दोनों ध्रुवों द्वारा प्रभावित जल दिन में चार-पांच बार पिएं।

6. एक्यूप्रेशर उपाय

  1. पेट पर नाभि के नीचे तथा अन्य पाचन अंगों से सम्बंधित सारे छाया बिन्दुओं पर दबाव डालें। दबाव डालने की क्रिया सुबह-शाम करें।
  2. यदि बवासीर प्रजनन अंगों को खराबी से हो तो दोनों टांगों के निचले भाग तथा एड़ियों पर मालिश के रूप में दबाव डालें।
  3. दोनों हाथों में कलाई वाले भाग पर तथा अंगूठों के नीचे घाई के पास प्रेशर डालें।
बवासीर Hemorrhoids क्या है     समस्या, कारण और 6 उपचार
बवासीर Hemorrhoids : समस्या, कारण और उपचार

जरूरी बाते –

हालाकि हमने ऊपर सभी तरह कि उपचार और दवाइयों के बारे मे बताया है लेकिन अगर आप नीचे दिए गए निर्देशों को पालन करते है तो आप जल्दी ही ठीक हो जाएंगे और आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेंगा –

  1. कब्ज वाले पदार्थ पूरी, कचौड़ी, परांठे, चना, चावल, अरहर की दाल, मटर, आलू तथा गरम वस्तुओं आदि का सेवन न करें।
  2. धूप में चलने, अधिक परिश्रम और व्यायाम करने आदि से बचें।
  3. शराब तथा अन्य उत्तेजक पदार्थों का त्याग करें।
  4. मल-मूत्र, छींक, जम्भाई, नींद आदि का वेग न रोकें।
  5. उपवास तथा स्त्री-प्रसंग भी हानिकारक है। अतः रोग के मध्य इससे बचें।
  6. मल-त्याग करते समय ज्यादा जोर न लगाएं।
  7. रात को गुनगुने पानी से मलद्वार अच्छी तरह धोकर सोएं।
  8. पोषणपूर्ण आहार लें, जिसमें फाइबर सम्पन्न भोजन शामिल हो।
  9. प्रतिदिन व्यायाम करें और अधिक पानी पिएं।
  10. बैठने या खड़े रहने की अवधि को कम करें।
  11. कब्ज को नियंत्रित करें और समय पर शौच करें।

यदि आपको बवासीर hemorrhoids रोग लंबे समय तक बनी रहती है या गंभीर है, तो डॉक्टर से सलाह लेना उचित होगा। वे सही उपचार और सलाह प्रदान कर सकते हैं।

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बवासीर मे अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

यहाँ बवासीर के बारे में कुछ आम सवाल Frequent Asked Questions(FAQs) हैं:

प्रश्न 1 : बवासीर hemorrhoids क्या होता है?
उत्तर: बवासीर एक आम स्वास्थ्य समस्या है जिसमें गुदा की नसें सूज जाती हैं। यह आमतौर पर गुदा के अंदरी भाग में होता है, लेकिन कभी-कभी बाहर भी निकल सकता है।

प्रश्न 2 : बवासीर hemorrhoids के कारण क्या होते हैं?
उत्तर: बवासीर के कई कारण हो सकते हैं, जैसे की कब्ज, बैठकर काम करना, अधिक वजन, और गर्भावस्था।

प्रश्न 3 : बवासीर hemorrhoids का इलाज क्या होता है?
उत्तर: बवासीर का इलाज कई तरीकों से किया जा सकता है, जैसे की दवाइयाँ, आहार, व्यायाम, और चिकित्सा उपचार।

प्रश्न 4 : बवासीर hemorrhoids की रोकथाम के लिए क्या करें?
उत्तर: बवासीर को रोकने के लिए पोषणपूर्ण आहार लें, नियमित व्यायाम करें, पानी की अधिक मात्रा में पिएं, और कब्ज को नियंत्रित करें।

प्रश्न 5 : क्या बवासीर hemorrhoids से संबंधित कोई समस्याएं हो सकती हैं?
उत्तर: हां, बवासीर से जुड़ी कुछ समस्याएं हो सकती हैं जैसे की दर्द, खूनी बाद, और आंखों का सूजन। इसलिए समय रहते उपचार करवाना महत्वपूर्ण है।

प्रश्न 6 : बवासीर hemorrhoids के लक्षण क्या होते हैं?
उत्तर: बवासीर के लक्षण में गुदा के चारों ओर दर्द, खुजली, सूजन, और रक्तस्राव शामिल हो सकते हैं।

प्रश्न 7 : बवासीर hemorrhoids के लक्षण क्या होते हैं?
उत्तर: बवासीर के लक्षण में गुदा के चारों ओर दर्द, खुजली, सूजन, और रक्तस्राव शामिल हो सकते हैं।

प्रश्न 8 : बवासीर hemorrhoids की डायग्नोसिस कैसे की जाती है?
उत्तर: बवासीर की डायग्नोसिस के लिए चिकित्सक आपकी चिकित्सा इतिहास लेंगे, शारीरिक परीक्षण करेंगे, और कभी-कभी आपको अन्य जांचें भी करवा सकते हैं जैसे की कोलोनोस्कोपी या आनोस्कोपी।

प्रश्न 9 : बवासीर hemorrhoids का स्थाई इलाज क्या है?
उत्तर: बवासीर का स्थाई इलाज उसके कारण और गंभीरता के आधार पर निर्धारित किया जाता है। यह दवाइयों, ऑपरेशन, या अन्य चिकित्सा प्रक्रियाओं को शामिल कर सकता है।

प्रश्न 10 : बवासीर hemorrhoids को बढ़ाने वाले कुछ आदतें क्या हैं?
उत्तर: बवासीर को बढ़ाने वाली कुछ आदतें में अधिक काम करना बैठकर, अधिक मस्तिष्कशोषी खाना, और पर्याप्त पानी नहीं पीना शामिल हो सकता है।

प्रश्न 11 : बवासीर hemorrhoids को रोकने के लिए घरेलू उपचार क्या हो सकते हैं?
उत्तर: बवासीर को रोकने के लिए घरेलू उपचार में फाइबर सम्पन्न आहार, नियमित व्यायाम, और गुदा को स्वच्छ और सूखे रखने के लिए योगासन शामिल हो सकते हैं।

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