“बेहोशी, जिसे अंग्रेजी में ‘fainting’ या ‘syncope’ कहा जाता है, एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो अचानक और असमंजस में डालने वाली हालत होती है। इस स्थिति में व्यक्ति का विवेकित स्थिति से बाहर चला जाता है और वह अपने आसपास का ज्ञान खो देता है। मूर्च्छा के दौरान व्यक्ति का चेहरा पीला पड़ सकता है, उन्हें अत्यधिक ठंड या भीड़-भाड़ से बचने की अपेक्षा की जाती है।
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यह समस्या विभिन्न कारणों से हो सकती है, जैसे कि रक्तप्रवाह में कमी, दिल की समस्याएं, अधिक तापमान, तनाव, निरोगी भोजन, या भीड़-भाड़ में लंबी समय तक खड़े रहना।’बेहोशी दूर करने के 18 घरेलू उपाय’ के ब्लॉग में, हम बेहोशी के प्रमुख कारणों, लक्षणों, इसे रोकने और इसके उपचार के विभिन्न तरीकों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। इसके साथ ही, हम इस बीमारी से बचने के लिए सुरक्षा उपायों पर भी बात करेंगे ताकि पाठक इस जानकारी का सही उपयोग कर सकें।”
बेहोशी का कारण
रोग की उत्पत्ति के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए, बेहोशी (मूर्च्छा) की स्थिति उत्पन्न होने के पीछे विभिन्न कारण हो सकते हैं। यह स्थिति अकस्मात, अनुपेक्षित और असमंजस में डालने वाली होती है, जिससे व्यक्ति का विवेकित स्थिति से बाहर चला जाता है और वह अपने आसपास की जानकारी खो देता है। इसके पीछे निम्नलिखित मुख्य कारण हो सकते हैं:
- दिमाग में अचानक चोट: कई बार दिमाग में चोट लगने से रक्तप्रवाह में असमंजस उत्पन्न होता है, जिसके कारण व्यक्ति को बेहोशी की स्थिति आ सकती है।
- किसी भीतरी बीमारी: दिल की समस्याएं, रक्तचाप की समस्याएं या अन्य भीतरी रोग भी बेहोशी की स्थिति को उत्पन्न कर सकते हैं। इन रोगों में रक्तप्रवाह में कमी होने से विवेकित स्थिति कमजोर हो सकती है।
- गहरी संवेदनशीलता: कई लोग अत्यधिक तनाव, भावनात्मक दुख, या अत्यधिक चिंता में रहते हैं, जो कभी-कभी उन्हें बेहोशी की स्थिति में डाल सकते हैं। इसमें हार्मोनल परिवर्तन और संवेदनशील व्यक्ति की शारीरिक प्रतिक्रिया का भी बड़ा योगदान होता है।
- शोक या चिंता: किसी भी प्रकार का गंभीर शोक या अन्य भावनात्मक चिंता भी व्यक्ति को बेहोशी की स्थिति में डाल सकता है। इसके कारण शरीर की सामान्य क्रियाएँ विचलित हो जाती हैं और व्यक्ति का विवेकित स्थिति समाप्त हो जाता है।
बेहोशी के लक्षण
रोग के लक्षण की विस्तार से चर्चा करते हुए, बेहोशी (मूर्च्छा) के लक्षण अवश्य ही गंभीर होते हैं और इसे पहचानना महत्वपूर्ण होता है। जब व्यक्ति बेहोश होता है, तो वह किसी प्रश्न का उत्तर नहीं दे पाता और उसकी आँखें मूंद जाती हैं। उसका शरीर निष्प्राण और बेजान सा लगता है, जैसे वह सो रहा हो।
बेहोशी के लक्षणों में आमतौर पर निम्नलिखित होते हैं:
- आंखों का मूंदना: बेहोशी के समय व्यक्ति की आंखें स्वचालित रूप से मूंद जाती हैं। इस अवस्था में उन्हें आसपास का कुछ भी ज्ञान नहीं रहता।
- शरीर का निष्प्राण सा लगना: बेहोशी के दौरान व्यक्ति का शरीर निष्प्राण और बेजान सा लगता है, जैसे कि उसमें जीवन की शक्ति ही न रही हो।
- शारीरिक स्थिति: बेहोश होने के समय व्यक्ति का शारीरिक स्थिति सुस्त और असामान्य दिखाई देता है, जैसे कि वह वास्तविकता से दूर हो चुका हो।
- मनोवैज्ञानिक अनुभव: बेहोशी के दौरान व्यक्ति का मानसिक अनुभव भी असामान्य हो सकता है, जैसे कि उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा हो।
- चिकित्सा आवश्यकता: बेहोशी की स्थिति अगर लंबे समय तक बनी रहती है या बार-बार होती है, तो इसे चिकित्सा विशेषज्ञ की सलाह और जांच के लिए समझा जाना चाहिए।
बेहोशी दूर करने के 18 घरेलू उपाय
- पुदीने का लेप: रोगी के मस्तक पर पुदीने का लेप लगाना और पुदीना पानी के साथ देना बेहोशी को दूर करने में मदद कर सकता है।
- हाथ-पैर को सेंकें: गर्मी के कारण बेहोशी आ गई हो तो हाथ-पैर को धीरे-धीरे सेंकना फायदेमंद हो सकता है।
- पीपल का चूर्ण: शहद के साथ पीपल का चूर्ण चबाने से बेहोशी को दूर करने में सहायक हो सकता है।
- ठंडे पानी की छीट: चेहरे पर ठंडे पानी की छीट देना और मुंह में ठंडा पानी डालना भी मूच्छां को दूर करने में मदद कर सकता है।
- तुलसी का रस: तुलसी के पत्तों को पीसकर उनका रस नाक में डालने से भी बेहोशी को दूर किया जा सकता है।
- प्याज का रस: प्याज का रस सुंघाने से भी बेहोशी को दूर किया जा सकता है।
- नौसादर और चूना: इनको मिलाकर सुंघाने से मूच्छित व्यक्ति को आंखें खोलने में मदद मिल सकती है।
- खीरे का कड़वा पानी: रोगी को होश आने में मदद कर सकता है।
- अरहर की दाल का पानी: चम्मच से बेहोश व्यक्ति के मुंह में डालने से बेहोशी को दूर किया जा सकता है।
- पुदीने का लेप मस्तक पर: बेहोशी में पुदीने का लेप मस्तक पर लगाने से आराम मिल सकता है।
- लाल चन्दन: माथे पर लाल चन्दन घिसने से बेहोशी दूर हो सकती है।
- कालीमिर्च का चूर्ण: पानी में घोलकर रोगी की नाक में डालने से मदद मिल सकती है।
- लोबान की धूनी: नाक के पास देने से मूच्छित व्यक्ति उठ बैठ सकता है।
- बेल का गूदा, कालीमिर्च, खस और नागकेसर: इन्हें ठंडे पानी में पीसकर दवा रूप में पिलाने से बेहोशी को दूर किया जा सकता है।
- स्त्री के दूध की बूंदें: नाक में डालने से मूच्र्छा दूर हो सकती है।
- आंवले का रस और घी: पकाकर रोगी को खिलाने से बेहोशी को दूर किया जा सकता है।
- शहद, सेंधा नमक, मैनसिल और कालीमिर्च: इन्हें बराबर की मात्रा में पीसकर काजल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है।
- छोटी कटेरी: गिलोय, सोंठ और पीपरामूल को एक-एक ग्राम लेकर काढ़ा बनाकर रोगी को पिलाने से बेहोशी को दूर किया जा सकता है।
बेहोशी मूर्च्छा को दूर करने के homeopathy दवाईया
होम्योपैथी में अवसंज्ञान (मूर्छा) के विभिन्न कारणों के लिए विभिन्न उपचार उपलब्ध हैं। इस विषय पर निम्नलिखित उपायों की जानकारी है:
- इपिकाक 3: शरीर में दर्द या गंभीर चोट के कारण अवसंज्ञान होने पर।
- चाइना 6: गिर जाने से चोट लगती है, जिससे खून बहने और अवसंज्ञान होने का खतरा होता है।
- अर्निका 3: गिर जाने से अवसंज्ञान होने पर।
- लैकेसिस 6: मानसिक अशांति के कारण अवसंज्ञान होने पर।
- काक्यूलस 6: नींद न आने के कारण मूर्छा की स्थिति में।
- कैप्सिकम एनम: मिरगी, हिस्टीरिया या अन्य कारणों से होने वाली अवसंज्ञान के लिए।
- स्प्रिट ऑफ कैम्फर: अचानक अवसंज्ञान होने पर, होश में आने के बाद कार्बोवेज 30 दें।
- ग्लोनाइन 6 और सिना 6: मानसिक तनाव, वित्तीय हानि, या चिंता के कारण होने वाली अवसंज्ञान के लिए।
- कैमोमिला 6: चक्कर आने के बाद।
- एकोनाइट 3: क्रोध या नशे के बाद हल्की अवसंज्ञान होने पर।
- नक्स वोमिका 1 या 3: शराब पीने या तेज दवाओं के कारण अवसंज्ञान होने पर।
- रूविनीका स्प्रिट ऑफ कैम्फर या मस्कस 2: मांसपेशियों की कमजोरी से होने वाली अवसंज्ञान के लिए।
- डिजिटेलिस 2, वेरेट्रम विरिड 3, या मस्कस: अवसंज्ञान को दूर करने में मददगार।
ये उपाय विशिष्ट लक्षणों और कारणों के आधार पर चुने जाते हैं और होम्योपैथी में मूर्छा के प्रबंधन में सहायक साबित हो सकते हैं। सही मार्गदर्शन और खुराक के लिए हमेशा एक प्रमाणित होम्योपैथ डॉक्टर से परामर्श लें।
बेहोशी (मूर्छा) के लिए सावधानियाँ
बेहोशी (मूर्छा) के मामलों में ये सावधानियाँ अपनानी चाहिए:
- दवाओं की सही खुराक: होम्योपैथिक दवाओं की सही खुराक का पालन करें। दवाओं का अतिरिक्त सेवन न करें और सिर्फ डॉक्टर द्वारा सुझाई गई खुराक का उपयोग करें।
- डॉक्टर की सलाह लें: यदि अचानक बेहोशी हो जाए तो डॉक्टर से सम्पर्क करें। अचानक बेहोशी की स्थिति में डॉक्टर के सम्पर्क के बिना कोई दवा न दें।
- संयंत्रणात्मक प्रतिक्रियाओं को ध्यान में रखें: किसी भी दवा को लेने से पहले अपनी शारीरिक और मानसिक प्रतिक्रियाओं को ध्यान में रखें। अगर कोई अप्रत्याशित प्रतिक्रिया होती है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- अनुशासन का पालन करें: अपने दिनचर्या में नियमितता बनाए रखें और सही आहार पर ध्यान दें। अच्छी नींद लें और स्ट्रेस को कम करने के उपाय अपनाएं।
- घरेलू सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करें: घर में बेहोशी के मामलों के लिए सुरक्षा उपकरण जैसे कैम्फर स्प्रेय या दूसरे सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करें।
इन सावधानियों को अपनाकर बेहोशी (मूर्छा) के मामलों में सुरक्षित रहा जा सकता है।
बेहोशी (मूर्छा) अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
- मूर्छा क्या होता है?
मूर्छा एक अवस्था है जिसमें व्यक्ति का ज्ञान, विचार, और आत्मसंयम कम हो जाता है और वह अपने आपको निषेचनीय रूप से बिलकुल या आंशिक रूप से नष्ट कर लेता है। - होम्योपैथिक दवाओं में मूर्छा के लिए कौन-कौन सी दवाएं प्रयोगी होती हैं?
होम्योपैथिक दवाओं में मूर्छा के लिए विभिन्न दवाएं हैं जैसे इपिकाक, चाइना, अर्निका, लैकेसिस, ग्लोनाइन, और कैमोमिला। - होम्योपैथी में मूर्छा का उपचार कैसे काम करता है?
होम्योपैथी में दवाइयाँ व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक संतुलन को सुधारने में मदद करती हैं, जिससे उसकी अवसंज्ञान स्थिति में सुधार हो सकती है। - होम्योपैथी में मूर्छा के उपचार के साइड इफेक्ट्स होते हैं क्या?
होम्योपैथी दवाओं के साइड इफेक्ट्स बहुत ही कम होते हैं और ये अक्सर अस्थायी और अल्पकालिक होते हैं। - मूर्छा के लिए होम्योपैथी उपचार कितने समय तक लेना चाहिए?
मूर्छा के उपचार में समय आधारित होता है और यह व्यक्ति की स्थिति और उसके लक्षणों के आधार पर निर्धारित किया जाता है। डॉक्टर द्वारा सलाह दी गई दवाइयों को नियमित रूप से लें।
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