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मानव शरीर में लीवर एक महत्वपूर्ण अंग है, जो चयापचय, विषहरण और आवश्यक प्रोटीन के संश्लेषण जैसे कई महत्वपूर्ण कार्यों के लिए जिम्मेदार है। हालाँकि, विभिन्न कारक लीवर के भीतर संक्रमण का कारण बन सकते हैं, जिससे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जोखिम पैदा हो सकते हैं। आम बोलचाल की भाषा में इसे “लिवर में संक्रमण” या यकृत संक्रमण के रूप में जाना जाता है, यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब हानिकारक सूक्ष्मजीव यकृत ऊतक पर आक्रमण करते हैं, इसके सामान्य कार्यों को बाधित करते हैं।
अक्सर, अधिक मात्रा में मसालेदार भोजन खाने, अत्यधिक शराब का सेवन करने, अत्यधिक गर्मी के संपर्क में रहने या लगातार गतिहीन जीवन शैली अपनाने के परिणामस्वरूप लिवर संक्रमण प्रकट होता है। समग्र स्वास्थ्य और खुशहाली को बनाए रखने के लिए लीवर संक्रमण के कारणों, लक्षणों और निवारक उपायों को समझना सर्वोपरि है। इस गाइड में, हम लीवर संक्रमण की बारीकियों, उनके प्रभाव, लक्षणों और रोकथाम और उपचार के लिए प्रभावी रणनीतियों की खोज करते हैं।
लिवर का बढ़ना का कारण
लिवर में प्रदाह होने पर उसमें बार-बार रक्त संचार होता है, अतः पुराना प्रदाह लिवर का बढ़ना के रूप में सामने आता है। यह रोग मसालेदार पदार्थों को अधिक मात्रा में खाने, अधिक शराब पीने, अधिक गर्मी तथा हर समय की आरामतलबी के कारण हो जाता है।
लिवर का बढ़ना के लक्षण
इस बीमारी में दाईं तरफ भारी’पन रहता है। रह-रहकर कांटे से चुभते हैं। भूख नहीं लगती। अफरा, बदहजमी,आंखें पीली हो जाना, जीभ पर स्तेप हुआ चढ़ना, मंह का स्वाद कड़वा हो जाना आदि लक्षण दिखाई देते हैं। अति ठीक से अपना काम नहीं कर पानी का और शिकायत रहती है। कभी-कभी पतले दस्त आते हैं मालूम पड़ने लगता है। यदि यकृत नीचे की ओर बढ़ा हो तो हाथ से दबाने पर पता चल जाता है। उसे कार्यकारी को दर्द भी महसूस होता है।
उपचार
1. लिवर का बढ़ना मे घरेलू निदान
- शंख भस्म 2 ग्राम की मात्रा में मट्टे के साथ कुछ दिनों तक प्रयोग करें। मकोय या पुनर्नवा का रस गरम करके यकृत की सूजन पर लेप करें।
- भांगरे के रस में एक चम्मच पिसी हुई अजवायन मिलाकर सेवन कराएं।
- प्याज को आग में भूनकर उसका रस निकाल लें। भोजन के बाद दो चम्मच रस पानी में घोलकर पिलाएं। पलाश के पत्ते पर सरसों का तेल चुपड़कर गरम करके
- प्लीहा पर बांधे। तम्बाकू के पत्तों को नीबू के रस में पीसकर प्लीहा की सूजन पर लेप लगाएं।
- अनार के पांच पत्ते छाया में सुखा-पीसकर चूर्ण बना लें। फिर इसमें 2 ग्राम नौसादर मिलाकर 3-3 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम ताजे पानी से खाएं।
- कच्चे पपीते का दूध 5 बूंद तथा पका केला एक-दोनों को अच्छी तरह फेंटकर खा जाएं। यह दवा 15 दिनों तक करें।
- प्याज को भूनकर उसका रस पीने से लिवर का बढ़ना दूर होती है
- एक चम्मच करेले के रस में थोड़ा-सा नमक और राई का चूर्ण मिलाकर सेवन करें। 3 माशा जवाखार को पानी या मट्टे के साथ खिलाएं।
2. आयुर्वेदिक निदान
- ग्वारपाठे का रस 4 रत्ती, हल्दी का चूर्ण 2 रत्ती तथा पिसा हुआ सेंधा नमक 2 रत्ती-सबको मिलाकर सुबह-शाम पानी से सेवन करें।
- पीपल, बायबिडंग और जवाखार-तीनों का समभाग कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। नित्य 4-6 माशा चूर्ण कास के पत्तों के रस में मिलाकर खाएं।
- करेले के पत्तों के रस में थोड़ा-सा शहद मिलाकर प्रयोग करें। छोटी पीपल को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में गुलाब का अर्क और सौंफ का अर्क मिलाकर घूंट-घूंट
- रोगी को पिलाएं। लहसुन की एक कली, पीपरामूल 3 रत्ती तथा हरड़ दो-सबको गोमूत्र में पीसकर सेवन करें।
- अजवायन, चीते की जड़ की छाल, पीपरामूल, पीपल, जवाखार एवं बच- सबको समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इसमें से 5 माशा चूर्ण मट्ठे या दही के साथ खाएं।
3. होमियोपैथिक निदान
- लिवर में दर्द-बेचैनी, बहुत दर्द आदि लक्षणों में मरक्यूरियस दें।
- सफेद पाखाना, आंखें पीली, लिवर का बढ़ना, दबाने से दर्द आदि लक्षणों में चेलिडोनियम २ दें।
- तेज दर्द, शूल-सी चुभन, बेचैनी, सूजन, घबराहट आदि लक्षणों में एकोनाइट 3 दें।
- रोग पुराना हो जाने पर सल्फर 30 देना चाहिए।
- लिवर में दर्द, जलन, प्लीहा बड़ा तथा कठोर, सूई बेधने जैसा दर्द, कमजोरी आदि में आर्सेनिक 6 हैं।
4. चुम्बक निदान
- लिवर की स्थिति के पास पेड़ पर दाईं तरफ शक्तिशाली चुम्बक दिन में पांच बार 25 मिनट तक लगाएं।
- चुम्बक दोनों ध्रुवों का लगाएं।
- यदि यकृत बढ़ा हो और दबाने पर सूजन-दर्द हो तो चुम्बक का केवल दक्षिणी सिरा लगाना चाहिए।
- चुम्बक द्वारा जल तैयार करके दिन में तीन-चार बार घूंट-घूंट पिएं।
5. एक्यूप्रेशर निदान
- दाएं पैर तथा दाएं हाथ की हथेली में छंगुली के नीचे यकृत के छाया बिन्दु पाए जाते हैं। अतः इन्हों स्थानों पर
- बारी-बारी से 3 सेकंड तक प्रेशर दें।
- प्रेशर गहराई में दें ताकि रक्त रुक जाए।
नोट : यदि आपको लिवर का बढ़ना रोग लंबे समय तक बनी रहती है या गंभीर है, तो डॉक्टर से सलाह लेना उचित होगा। वे सही उपचार और सलाह प्रदान कर सकते हैं।
महत्वपूर्ण निर्देश –
हालाकि हमने ऊपर सभी तरह कि दवाइयों के बारे मे बताया है लेकिन अगर आप नीचे दिए गए निर्देशों को पालन करते है तो आपको कृमि रोग कि समस्या नहीं होगी और आप स्वास्थ्य रहेंगे –
- यदि रोगी को बुखार रहता हो तो उसके पेडू पर गीली पट्टी रखकर ऊपर से तौलिया ढक दें।
- शरीर को गरम पानी से पोंछें।
- बिना हल्दी का सादा तथा सुपाच्य भोजन दें। दूध, देर से पचने वाले तथा चिकने पदार्थों का सेवन कदापि न करें।
- रोगी को विश्राम अधिक कराएं। उसे क्रोध, शोक, चिन्ता आदि से भी बचाएं।
ऐसी ही जानकारी के लिए आप हमारी वेबसाईट पर विज़िट कर सकते है । पोस्ट “लिवर का बढ़ना (हेपेटोमेगाली) : लक्षण ,कारण और 5 तरह से निदान” कैसी लगी कमेन्ट करके जरूर बताये आपका स्वास्थ्य अच्छा रहे यही हम कामना करते है
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